शराबबंदी के समर्थन में नीतीश सरकार द्वारा आयोजित मानव शृंखला में जबरन
खड़े कराये गये 90 फीसद छात्रों और 10 फीसद कर्मचारियों की जगह, अगर जनता
की स्वतः स्फूर्त भागीदारी होती, तो इस पर गर्व करना बेहतर होता।
दुनिया में जिस किसी मानव शृंखला का उल्लेख होता है, उसमें कहीं भी छात्रों-कर्मचारियों को जबरन खड़ा नहीं किया गया। इसके बावजूद जब भाजपा ने शराबबंदी और मानव शृंखला का समर्थन किया है, तब नीतीश सरकार को भी अगले अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन करना चाहिए।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने संवादाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने मानव शृंखला को छात्र शृंखला में बदल दिया था। इसमें अदालत के आदेश का पालन न होना, 500 से ज्यादा बच्चों का बेहोश होना, दर्जनों छात्रों का घायल होना, दो बच्चों की मौत, पानी-एम्बुलेंस तक का इंतजाम न होना और घंटों तक पूरे राज्य में जनजीवन का अस्त-व्यस्त रहना मानव शृंखला को दागदार बना गया।
उन्होंने कहा कि सरकार को इससे सबक लेकर भविष्य में कभी भी मानव शृंखला जैसे कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को जबरन शामिल न करने का फैसला करना चाहिए। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था कि हाइकोर्ट की मनाही के बावजूद पांचवीं कक्षा से नीचे के छात्र भी शृंखला में लगा दिये गये और शिक्षकों को अधिक-से-अधिक छात्रों को शामिल कराने के लिए टारगेट दिया गया था। छात्रों-अभिभावकों पर तरह-तरह से दबाव बनाया गया था। मानव शृंखला को मुख्यमंत्री ने अपनी ब्रांडिंग से जोड़ दी थी, जो अनुचित है।
दुनिया में जिस किसी मानव शृंखला का उल्लेख होता है, उसमें कहीं भी छात्रों-कर्मचारियों को जबरन खड़ा नहीं किया गया। इसके बावजूद जब भाजपा ने शराबबंदी और मानव शृंखला का समर्थन किया है, तब नीतीश सरकार को भी अगले अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन करना चाहिए।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने संवादाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने मानव शृंखला को छात्र शृंखला में बदल दिया था। इसमें अदालत के आदेश का पालन न होना, 500 से ज्यादा बच्चों का बेहोश होना, दर्जनों छात्रों का घायल होना, दो बच्चों की मौत, पानी-एम्बुलेंस तक का इंतजाम न होना और घंटों तक पूरे राज्य में जनजीवन का अस्त-व्यस्त रहना मानव शृंखला को दागदार बना गया।
उन्होंने कहा कि सरकार को इससे सबक लेकर भविष्य में कभी भी मानव शृंखला जैसे कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को जबरन शामिल न करने का फैसला करना चाहिए। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था कि हाइकोर्ट की मनाही के बावजूद पांचवीं कक्षा से नीचे के छात्र भी शृंखला में लगा दिये गये और शिक्षकों को अधिक-से-अधिक छात्रों को शामिल कराने के लिए टारगेट दिया गया था। छात्रों-अभिभावकों पर तरह-तरह से दबाव बनाया गया था। मानव शृंखला को मुख्यमंत्री ने अपनी ब्रांडिंग से जोड़ दी थी, जो अनुचित है।