रोहतास। शिक्षा विभाग अपनी कारगुजारियों से हमेशा चर्चा में रहा है।
वरीय अधिकारियों के पत्रों व निर्देशों को ताक पर रख शिक्षकों का वेतन
भुगतान व ट्रांसफर- पो¨स्टग आम बात हो गई। गलत शिक्षकों को वेतन भुगतान
करने के मामले में आखिरकार शिक्षा विभाग की गर्दन फंस ही गई।
करगहर प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय लडुई विशुनपुरा में कार्यरत शिक्षिका सुमिता कुमारी के आवेदन को गंभीरता से लेते हुए जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ऋषिदेव झा ने गलत तरीके से शिक्षकों को अनियमित तरीके से वेतन भुगतान मामले में जवाबदेही तय संबंधित लोगों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। पीजीआर के इस आदेश के बाद एक बार फिर शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
शिक्षिका द्वारा दायर परिवाद को निष्पादित करते हुए पीजीआर ने कहा है कि विभागीय अधिकारियों का सिर्फ पत्रों को भेजना ही दायित्व नहीं है, बल्कि उस पर अमल करना व कराना भी उनकी जिम्मेदारी है। आदेश में कहा है कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक का पत्र किसी एक नहीं सभी शिक्षकों पर लागू होता है। 29 मार्च 2015 के बाद जिले के अन्य प्रखंडों में भी शिक्षकों का नियोजन हुआ है, लेकिन उन्हें कैसे वेतन भुगतान किया जा रहा है। लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने लोक शिकायत प्राधिकार के प्रतिवेदन को लापरवाही का द्योतक मानते हुए कहा है कि यदि परिवादी परिवाद दायर नहीं करती, तो सरकारी राशि का दुरुपयोग जारी रहती।
बताते चलें कि सुमिता कुमारी ने कुछ माह पूर्व जिला लोक शिकायत निवारण में आवेदन दे वेतन भुगतान की गुहार लगाई थी। जिसमें परिवादिनी का कहना था कि दिनारा, शिवसागर व करगहर को छोड़ अन्य प्रखंडों में शिक्षकों के वेतन भुगतान किया जा रहा है। इस मामले में शिक्षा विभाग अपना पक्ष रखते हुए सुमिता का नियोजन 29 मार्च 2015 के बाद होने की बात कह वेतन भुगतान नहीं करने का प्रतिवेदन प्राधिकार में सौंपा था। सवाल यह उठता है कि जब सुमिता कुमारी का नियोजन नियमसंगत नहीं है, तो जिले में कई और ऐसे शिक्षक हैं, जिनका नियोजन मार्च 2015 के बाद हुआ है और वे अपना वेतन उठा रहे हैं। जब विभाग इन शिक्षकों को गलत मान लिया है, तो विभाग के वरीय अधिकारी वेतन भुगतान के संबंध में मार्गदर्शन कैसे दे सकते हैं।
करगहर प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय लडुई विशुनपुरा में कार्यरत शिक्षिका सुमिता कुमारी के आवेदन को गंभीरता से लेते हुए जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ऋषिदेव झा ने गलत तरीके से शिक्षकों को अनियमित तरीके से वेतन भुगतान मामले में जवाबदेही तय संबंधित लोगों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। पीजीआर के इस आदेश के बाद एक बार फिर शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
शिक्षिका द्वारा दायर परिवाद को निष्पादित करते हुए पीजीआर ने कहा है कि विभागीय अधिकारियों का सिर्फ पत्रों को भेजना ही दायित्व नहीं है, बल्कि उस पर अमल करना व कराना भी उनकी जिम्मेदारी है। आदेश में कहा है कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक का पत्र किसी एक नहीं सभी शिक्षकों पर लागू होता है। 29 मार्च 2015 के बाद जिले के अन्य प्रखंडों में भी शिक्षकों का नियोजन हुआ है, लेकिन उन्हें कैसे वेतन भुगतान किया जा रहा है। लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने लोक शिकायत प्राधिकार के प्रतिवेदन को लापरवाही का द्योतक मानते हुए कहा है कि यदि परिवादी परिवाद दायर नहीं करती, तो सरकारी राशि का दुरुपयोग जारी रहती।
बताते चलें कि सुमिता कुमारी ने कुछ माह पूर्व जिला लोक शिकायत निवारण में आवेदन दे वेतन भुगतान की गुहार लगाई थी। जिसमें परिवादिनी का कहना था कि दिनारा, शिवसागर व करगहर को छोड़ अन्य प्रखंडों में शिक्षकों के वेतन भुगतान किया जा रहा है। इस मामले में शिक्षा विभाग अपना पक्ष रखते हुए सुमिता का नियोजन 29 मार्च 2015 के बाद होने की बात कह वेतन भुगतान नहीं करने का प्रतिवेदन प्राधिकार में सौंपा था। सवाल यह उठता है कि जब सुमिता कुमारी का नियोजन नियमसंगत नहीं है, तो जिले में कई और ऐसे शिक्षक हैं, जिनका नियोजन मार्च 2015 के बाद हुआ है और वे अपना वेतन उठा रहे हैं। जब विभाग इन शिक्षकों को गलत मान लिया है, तो विभाग के वरीय अधिकारी वेतन भुगतान के संबंध में मार्गदर्शन कैसे दे सकते हैं।