समस्तीपुर। वर्ष 2010 के प्रखंड शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में तत्कालीन
प्रखंड प्रमुख एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा व्यापक रूप से गड़बड़ी
किये जाने के विरूद्ध प्रखंड क्षेत्र के गोरियारी ग्राम निवासी राजीव कुमार
ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत बीईओ से प्रखंड शिक्षक नियोजन से
संबंधित सभी अभिलेख उपलब्ध कराने की मांग की है।
मगर सूचना देने का निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं होने पर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग के कार्यालय में बाद संख्या- 125812/14-15 दायर कर सूचना उपलब्ध कराने की मांग की है। उक्त दायर किये गये बाद संख्या के आलोक में राज्य सूचना आयोग के प्रशाखा पदाधिकारी ने अपने पत्रांक-6520/ रासूअ पटना. दिनांक-26/07/2016 के माध्यम से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ललन कुमार पाण्डेय को एक माह के अन्दर आवेदक को सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया। परन्तु प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ललन कुमार पाण्डेय ने अपने पत्रांक-451 दिनांक-23 अगस्त 2016 को पंजीकृत डाक के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराने के बजाय आवेदक को मात्र एक पत्र प्रेषित किया गया। जिसमें अंकित है कि 57 पन्ने का शिक्षक नियोजन से संबंधित सभी अभिलेख संलग्न है। जबकि डाक खोलने पर आवेदक को मात्र एक पन्ने का पत्र प्राप्त हुआ है। इस संबंध में आवेदक राजीव कुमार ने बताया कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी सूचना उपलब्ध कराने में अभिलेखों की छायाप्रति कराने में लगी खर्च का भुगतान आवेदक को व्यय करने का प्रावधान है। लेकिन बीईओ ने छायाप्रति कराने में लगी खर्च का भुगतान लिए किस आधार पर 57 पन्ने का सूचना उपलब्ध करने का झूठी पत्र निर्गत कर दिया है। डाक द्वारा भेजी गयी पत्र के इनवेलप के उपर डाक का वजन मात्र बारह ग्राम अंकित है। जबकि 57 पन्ने का वजन कम से कम 100 ग्राम से अधिक होना चाहिए। उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर 2016 को राज्य सूचना आयोग, पटना के कार्यालय में इस मामले की सुनवाई है। नतीजन अपनी कार्यालय की गुनाही छुपाने के लिए बीईओ ने आनन फानन में 57 पन्ने का सूचना उपलब्ध कराने की झूठा पत्र डाक के माध्यम से भेज दिया है। यहां बताना आवश्यक है कि जिला निगरानी विभाग कोषांग के अधिकारी द्वारा वर्ष 2010 के प्रखंड शिक्षक नियोजन की सभी अभिलेख बार-बार उपलब्ध कराने के आदेश किये जाने के बाद भी बीईओ श्री पाण्डेय ने अब तक अभिलेख जमा नहीं किया है। जिससे 40 प्रखंड शिक्षक के नौकरी पर निगरानी विभाग की तलवारें लटकने लगी है। तो सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना कहां से उपलब्ध हो गयी है। जानकार लोगों का बताना है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अपने ही बुने जाल में फंसते जा रहे हैं। क्योंकि निगरानी विभाग के अधिकारी द्वारा वर्ष 2010 के प्रखंड नियोजन की सभी संचिका बार-बार मांगे जाने पर बीईओ ने आज तक जमा नहीं कर सका तो आवेदक राजीव कुमार का सूचना देने के लिए सभी अभिलेख कहां से उपलब्ध हो गया है। इससे स्पष्ट होता है कि बीईओ कार्यालय में शिक्षा माफियाओं का वर्चस्व कायम है। शिक्षा माफियाओं के इशारे पर ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय का संचालन किया करते हैं। बीईओ द्वारा निगरानी विभाग के अधिकारी और राज्य सूचना आयोग को गुमराह करने के विरूद्ध भाजपा के वरिष्ठ नेता अर्जुन प्रसाद यादव ने राज्य सरकार से बीईओ की कार्यशैली को उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
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मगर सूचना देने का निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं होने पर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग के कार्यालय में बाद संख्या- 125812/14-15 दायर कर सूचना उपलब्ध कराने की मांग की है। उक्त दायर किये गये बाद संख्या के आलोक में राज्य सूचना आयोग के प्रशाखा पदाधिकारी ने अपने पत्रांक-6520/ रासूअ पटना. दिनांक-26/07/2016 के माध्यम से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ललन कुमार पाण्डेय को एक माह के अन्दर आवेदक को सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया। परन्तु प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ललन कुमार पाण्डेय ने अपने पत्रांक-451 दिनांक-23 अगस्त 2016 को पंजीकृत डाक के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराने के बजाय आवेदक को मात्र एक पत्र प्रेषित किया गया। जिसमें अंकित है कि 57 पन्ने का शिक्षक नियोजन से संबंधित सभी अभिलेख संलग्न है। जबकि डाक खोलने पर आवेदक को मात्र एक पन्ने का पत्र प्राप्त हुआ है। इस संबंध में आवेदक राजीव कुमार ने बताया कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी सूचना उपलब्ध कराने में अभिलेखों की छायाप्रति कराने में लगी खर्च का भुगतान आवेदक को व्यय करने का प्रावधान है। लेकिन बीईओ ने छायाप्रति कराने में लगी खर्च का भुगतान लिए किस आधार पर 57 पन्ने का सूचना उपलब्ध करने का झूठी पत्र निर्गत कर दिया है। डाक द्वारा भेजी गयी पत्र के इनवेलप के उपर डाक का वजन मात्र बारह ग्राम अंकित है। जबकि 57 पन्ने का वजन कम से कम 100 ग्राम से अधिक होना चाहिए। उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर 2016 को राज्य सूचना आयोग, पटना के कार्यालय में इस मामले की सुनवाई है। नतीजन अपनी कार्यालय की गुनाही छुपाने के लिए बीईओ ने आनन फानन में 57 पन्ने का सूचना उपलब्ध कराने की झूठा पत्र डाक के माध्यम से भेज दिया है। यहां बताना आवश्यक है कि जिला निगरानी विभाग कोषांग के अधिकारी द्वारा वर्ष 2010 के प्रखंड शिक्षक नियोजन की सभी अभिलेख बार-बार उपलब्ध कराने के आदेश किये जाने के बाद भी बीईओ श्री पाण्डेय ने अब तक अभिलेख जमा नहीं किया है। जिससे 40 प्रखंड शिक्षक के नौकरी पर निगरानी विभाग की तलवारें लटकने लगी है। तो सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना कहां से उपलब्ध हो गयी है। जानकार लोगों का बताना है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अपने ही बुने जाल में फंसते जा रहे हैं। क्योंकि निगरानी विभाग के अधिकारी द्वारा वर्ष 2010 के प्रखंड नियोजन की सभी संचिका बार-बार मांगे जाने पर बीईओ ने आज तक जमा नहीं कर सका तो आवेदक राजीव कुमार का सूचना देने के लिए सभी अभिलेख कहां से उपलब्ध हो गया है। इससे स्पष्ट होता है कि बीईओ कार्यालय में शिक्षा माफियाओं का वर्चस्व कायम है। शिक्षा माफियाओं के इशारे पर ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय का संचालन किया करते हैं। बीईओ द्वारा निगरानी विभाग के अधिकारी और राज्य सूचना आयोग को गुमराह करने के विरूद्ध भाजपा के वरिष्ठ नेता अर्जुन प्रसाद यादव ने राज्य सरकार से बीईओ की कार्यशैली को उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
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