लंबे समय से नियमित शिक्षकों की भांति सेवा शर्त एवं वेतनमान की लड़ाई लड़ रहे स्थानीय निकायों के शिक्षकों के मूल वेतन मे 15 फीसदी की वृद्धि का पत्र निर्गत होने के बाद टीईटी- एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ, गोपगुट (TSUNSS) ने कहा है कि बिहार सरकार के मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस वृद्धि देने की घोषणा की थी लेकिन साल भर बीत जाने के बावजूद अभी तक शिक्षकों को इसका लाभ नहीं मिल सका है।
हालांकि, शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर पत्र निकाल कर जरूर शिक्षकों को उम्मीद दिलायी जाती रही है कि लाभ मिलेगा। लेकिन कब यह बताने वाला कोई नहीं है। इसलिए यह छलावे की तरह है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक ने कहा कि शिक्षकों की लड़ाई नियमित शिक्षकों की भांति सेवाशर्त और वेतनमान जब तक नहीं कर दी जाती है तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।
कैल्कुलेटर का बहाना बनाकर फिर से लटकाने की कोशिश
उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग के द्वारा पूर्व की भांति ही इसमें में कई सारी खामियां बरती गई है। एक तो पहले से ही राज्यकर्मियों को मिल रहे समान इंडेक्स और लेवल में सरकार सत्रह प्रतिशत कम वेतन दे रही है। अगर उसी अंतर को ही वह पाट दे तो शिक्षकों का मूल वेतन कम से कम सत्रह प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। वही दूसरी ओर कैल्कुलेटर का बहाना बनाकर फिर से इसे लटकाने का कार्य सरकार कर रही है। एक आसान लेवल निर्धारण करने में तो सरकार को सवा साल लग गए और यह कैल्कुलेटर कब तक जारी होगा। यह भी कहना मुश्किल है। मौटे तौर पर सरकार शिक्षकों को और समाज को गुमराह कर रही है।
जल्द नियुक्ति पत्र दे सरकार नहीं तो गुजारा भत्ता दे
संघ के प्रदेश सचिव अमित कुमार, शाकिर ईमाम, नाजिर हुसैन, संजीत कुमार गुड्डू, प्रवक्ता अश्वनी पांडेय आदि ने मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायादेश के आलोक में टीईटी एसटीईटी शिक्षकों को बेहतर स्केल दे सरकार और छठे चरण के अंतर्गत चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों के शीघ्र पदस्थापन की व्यवस्था करें। प्रमाण पत्रों की जांच के नाम पर नियुक्ति की प्रक्रिया को टाले नहीं। साथ ही एक डेडलाइन घोषित कर शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दे अन्यथा उनके परिजनों के जीवन यापन हेतु गुजारा भत्ते का भुगतान करे।