पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: बिहार में शिक्षक बहाली के मसले पर राजद और जदयू आमने-सामने हैं। तेजस्वी यादव ने सरकार पर शिक्षक बहाली प्रक्रिया को फंसाने का आरोप लगाया तो जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष व
विधान पार्षद संजय सिंह ने उनसे ही सवाल पूछ दिया। जदयू नेता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव यह बताएं कि वर्ष 1990 से 2005 के बीच बिहार में कितने शिक्षकों की नियुक्ति हुई? सच यह है कि इस अवधि में मात्र 35,499 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। वहीं नीतीश कुमार के शासनकाल में 2005 से अब तक लगभग 3.50 लाख प्राथमिक और लगभग 50 हजार उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का नियोजन हुआ है।संजय ने कहा कि तेजस्वी यादव को यह मालूम होना चाहिए कि नीतीश कुमार के 16 साल बेमिसाल रहे हैं। इन 16 वर्षों में उन्होंने विकास का जो काम किया है उसे कोई मिटा नहीं सकता। नीतीश कुमार राष्ट्रीय विमर्श में राजनीतिज्ञों की भीड़ से अलग हैं। राजनीति को उन्होंने सामाजिक सरोकार से जोड़कर विकास के नए आयाम जोड़े। दहेज प्रथा, बाल विवाह, शराबबंदी और पर्यावरण को लेकर उन्होंने अद्वितीय काम किया है। उन्हें क्लाइमेट लीडर की उपाधि भी दी गई है।
शिक्षक बहाल करने में सरकार का ढुलमुल रवैया क्यों : तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार को पुराने वादों की याद दिलाते हुए कहा है कि बिहार में शिक्षकों के तीन लाख पद रिक्त हैं। फिर भी शिक्षकों की बहाली करने में राज्य सरकार का रवैया ढुलमुल रवैया क्यों है? तेजस्वी ने बयान जारी कर कहा कि सरकार में न शर्म है, न दर्द है और नहीं संवेदना है। वादाखिलाफी का भी डर नहीं और जिम्मेदारी का भी अहसास नहीं है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 16 वर्षों की नीतीश-भाजपा सरकार युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देने के मामले में तनिक भी गंभीर नहीं है। क्योंकि सरकार का मानना है कि उसे बेरोजगारी, नौकरी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं विकास जैसे मुद्दों पर नहीं, बल्कि जातपात और धर्म के नाम पर वोट मिलते हैं। इसलिए सरकार को न तो वर्तमान की चिंता है और न ही भविष्य की।