फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाने वालों और उनकी धांधली में मदद करने वाली नियोजन संस्था से जुड़े 1700 लोगों पर अभी प्राथमिकी दर्ज करायी जा चुकी है. प्राथमिक निगरानी ब्यूरो ने करायी है. वहीं कुल प्राथमिकी की संख्या 600 से पार हो चुकी है.
सितंबर 2021 तक के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो छह साल में हर दूसरे दिन फर्जी दस्तावेज मामले में संबंधित पक्षों में एफआइआर दर्ज हो रही है. यह एफआइआर उन शिक्षकों पर हुई हैं, जिन्होंने चयन के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया था.
जानकारों का कहना है कि लॉक डाउन और अन्य तकनीकी अड़चनों की वजह से जांच कुछ धीमी हुई है. जल्दी ही जांच में गति देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग संबंधित एजेंसियों के साथ एक उच्च स्तरीय मीटिंग करने जा रहा है.
आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक कुल एफआइआर में सर्वाधिक पांच सौ एफआइआर प्राइमरी सेक्शन में हुई हैं. वहीं कुल 1700 से अधिक लोगों पर दर्ज प्रकरणों में 1500 से अधिक संख्या प्राइमरी शिक्षकों की है. बात साफ है कि सर्वाधिक गड़बड़ी प्राइमरी स्कूलों में हुए नियोजन में ही हुई है.
उल्लेखनीय है कि 2006 से 2015 तक प्रदेश में हुई प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती में प्रयुक्त किये गये दस्तावेजों की जांच निगरानी को दी हुई है. जांच की यह कवायद अभी जारी है.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक करीब 50 हजार शिक्षकों के तरफ से हाल ही में ऑन लाइन जमा कराये गये 89799 फोल्डर्स की जांच होनी है. अभी तक इन दस्तावेजों के सत्यापन को लेकर कोई भी स्थिति साफ नहीं हो सकी है. दरअसल दस्तावेज सत्यापन में दूसरे राज्य के बोर्डों से अपेक्षित मदद नहीं मिल पा रही हैं. वहीं बिहार के विश्वविद्यालयों से भी सत्यापन का कार्य धीमा बताया जा रहा है.