सीतामढ़ी (बिहार)। इंसान कुछ बनने की जुनून ठान ले तो उसके लिए
कुछ भी बन पाना असंभव नहीं है। इस बात को सत्य किया है जिले के बथनाहा
प्रखंड के विशनपुर गांव की बहू दुर्गा शक्ति ने। दुर्गा बचपन
में पुलिस पदाधिकारी बनने की ठान ली थी। लेकिन, मूल रुप से गोपालगंज की
रहने वाली दुर्गा की शादी तत्कालीन शिक्षक आनंद अशोक के साथ हुई।
उसे पति के साथ गांव में आकर रहना पड़ा। कुछ सालों तक उसे अपनी इच्छा को दबाकर रखना पड़ा। इसके बाद पति को पटना सचिवालय में नौकरी मिल गई। पति-पत्नी पटना चले गये। शादी के 17 वर्ष बाद उसने बिहार लोक सेवा आयोग की 62वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया। पहले प्रयास में वह डीएसपी पद के लिये चुन ली गयी। चयन होने बाद सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने दुर्गा शक्ति को सम्मानित कर उसकी हौसला अफजायी की।
पति ने हौसला दिया, पढ़ाई जारी रखने की प्रेरणा दी : दुर्गा शक्ति
दुर्गा शक्ति ने अपनी सफलता का श्रेय पति व परिजनों को दिया है। कहा- यदि आप ठान लेते हैं तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल नहीं है। कहा- वह चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। इस कारण घर की जिम्मेवारी भी उसके उपर था। शिक्षक पिता को छोटे भाई बहनों को पढ़ाने के लिए वक्त नहीं मिलता था। शादी के बाद गांव में आकर रहना पड़ा। लगा अब आगे अपने लक्ष्य को नहीं पा सकूंगी। लेकिन, पति ने हौसला दिया। धैर्य रखने को कहा। वहीं अपनी पढ़ाई जारी रखने की प्रेरणा दी। इसी बीच एक बेटा भी हुआ। ध्यान उधर बंट गया था। फिर भी पति के सहयोग से मुकाम को पाने में सफल रही।
किसान परिवार की है बहू
दुर्गा शक्ति के ससुर सत्यनारायण साह सामान्य किसान हैं। खेती के बल ही उन्होंने तीन-तीन बेटों को पढ़ाकर काबिल बनाया। अशोक दूसरे नंबर पर है। सत्यनारायण ने कहा कि उसके बेटे व बहू ने सफलता प्राप्त कर उनका मान बढ़ाया है। सफलता पर सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।
उसे पति के साथ गांव में आकर रहना पड़ा। कुछ सालों तक उसे अपनी इच्छा को दबाकर रखना पड़ा। इसके बाद पति को पटना सचिवालय में नौकरी मिल गई। पति-पत्नी पटना चले गये। शादी के 17 वर्ष बाद उसने बिहार लोक सेवा आयोग की 62वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया। पहले प्रयास में वह डीएसपी पद के लिये चुन ली गयी। चयन होने बाद सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने दुर्गा शक्ति को सम्मानित कर उसकी हौसला अफजायी की।
पति ने हौसला दिया, पढ़ाई जारी रखने की प्रेरणा दी : दुर्गा शक्ति
दुर्गा शक्ति ने अपनी सफलता का श्रेय पति व परिजनों को दिया है। कहा- यदि आप ठान लेते हैं तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल नहीं है। कहा- वह चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। इस कारण घर की जिम्मेवारी भी उसके उपर था। शिक्षक पिता को छोटे भाई बहनों को पढ़ाने के लिए वक्त नहीं मिलता था। शादी के बाद गांव में आकर रहना पड़ा। लगा अब आगे अपने लक्ष्य को नहीं पा सकूंगी। लेकिन, पति ने हौसला दिया। धैर्य रखने को कहा। वहीं अपनी पढ़ाई जारी रखने की प्रेरणा दी। इसी बीच एक बेटा भी हुआ। ध्यान उधर बंट गया था। फिर भी पति के सहयोग से मुकाम को पाने में सफल रही।
किसान परिवार की है बहू
दुर्गा शक्ति के ससुर सत्यनारायण साह सामान्य किसान हैं। खेती के बल ही उन्होंने तीन-तीन बेटों को पढ़ाकर काबिल बनाया। अशोक दूसरे नंबर पर है। सत्यनारायण ने कहा कि उसके बेटे व बहू ने सफलता प्राप्त कर उनका मान बढ़ाया है। सफलता पर सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।