नई दिल्ली। मोदी सरकार में मंत्री और भाजपा से नाराज
चल रहे आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए विरोध की राजनीति शुरू कर
दी है। उन्होंने नीतीश के एजुकेशन मॉडल पर सवाल उठाया है।
उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश में दो केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जमीन आवंटित करने के लिए वे उपवास पर बैठेंगे। कुशवाहा ने आरोप लगाया कि बिहार के औरंगाबाद जिले के देवकुंड और नवादा जिले में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए जमीन हस्तांतरण संबंधी कुछ कागजी कार्रवाई अबतक पूरी नहीं की जा सकी है। इसको लेकर नीतीश सरकार कर रवैया जनविरोधी है।
नालंदा मॉडल समझ से परे
आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि दोनों स्थानों पर केंद्रीय विद्यालय की स्थापना को लेकर राज्य सरकार से भूमि के हस्तांतरण के लिए आठ और नौ दिसंबर को एक दिन के उपवास पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में कभी लालू जी का चरवाहा मॉडल हुआ करता था और आज नीतीश कुमार जी का नालंदा मॉडल है। लेकिन यह नालंदा मॉडल क्या है, उनकी समझ से परे है। बिहार की जनता उनसे जानना चाहती है कि क्या यही है नालंदा मॉडल जहां के शिक्षकों को अपने वेतन के लिए प्रखंड कार्यालय से सुप्रीम कोर्ट तक की दौर लगानी पड़ती है।
एनसीईआरटी के लिए नहीं मुहैया कराया भूमि
उन्होंने नीतीश सरकार से पूछा है कि क्या यही है नालंदा मॉडल जहां सरकारी विद्यालयों में शिक्षक पढाई की जगह खिचडी अनाने और उसे बांटने के काम में लगे रहते हैं। क्या यही है नालंदा मॉडल जहां शून्य बटा 100 अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को टॉपर घोषित कर दिया जाता है। अगर नीतीश का नालंदा मॉडल यही है तो इसे ध्वस्त होना चाहिए। कुशवाहा ने आरोप लगाया कि एनसीइआरटी ने बिहार में अपना एक क्षेत्रीय संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके लिए बार-बार आग्रह के बावजूद राज्य सरकार ने भूमि उपलब्ध नहीं कराया।
उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश में दो केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जमीन आवंटित करने के लिए वे उपवास पर बैठेंगे। कुशवाहा ने आरोप लगाया कि बिहार के औरंगाबाद जिले के देवकुंड और नवादा जिले में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए जमीन हस्तांतरण संबंधी कुछ कागजी कार्रवाई अबतक पूरी नहीं की जा सकी है। इसको लेकर नीतीश सरकार कर रवैया जनविरोधी है।
नालंदा मॉडल समझ से परे
आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि दोनों स्थानों पर केंद्रीय विद्यालय की स्थापना को लेकर राज्य सरकार से भूमि के हस्तांतरण के लिए आठ और नौ दिसंबर को एक दिन के उपवास पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में कभी लालू जी का चरवाहा मॉडल हुआ करता था और आज नीतीश कुमार जी का नालंदा मॉडल है। लेकिन यह नालंदा मॉडल क्या है, उनकी समझ से परे है। बिहार की जनता उनसे जानना चाहती है कि क्या यही है नालंदा मॉडल जहां के शिक्षकों को अपने वेतन के लिए प्रखंड कार्यालय से सुप्रीम कोर्ट तक की दौर लगानी पड़ती है।
एनसीईआरटी के लिए नहीं मुहैया कराया भूमि
उन्होंने नीतीश सरकार से पूछा है कि क्या यही है नालंदा मॉडल जहां सरकारी विद्यालयों में शिक्षक पढाई की जगह खिचडी अनाने और उसे बांटने के काम में लगे रहते हैं। क्या यही है नालंदा मॉडल जहां शून्य बटा 100 अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को टॉपर घोषित कर दिया जाता है। अगर नीतीश का नालंदा मॉडल यही है तो इसे ध्वस्त होना चाहिए। कुशवाहा ने आरोप लगाया कि एनसीइआरटी ने बिहार में अपना एक क्षेत्रीय संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके लिए बार-बार आग्रह के बावजूद राज्य सरकार ने भूमि उपलब्ध नहीं कराया।