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बीसीए की परीक्षा में बाहरी को बनाया वीक्षक, पकड़ा तो हटाया

जिस शिक्षक पर पूर्व की परीक्षा में केन्द्राधीक्षक रहते हुए नकल कराने का आरोप है और उसकी जांच चल रही हाे, उसे ही टीएमबीयू ने दूसरी परीक्षा की भी जिम्मेदारी दे दी। उस शिक्षक ने बिना अनुमति के बाहरी व्यक्ति को वीक्षक बना दिया। सोमवार से विवि के बहुद्देशीय प्रशाल में शुरू हुई बीसीए की परीक्षा में यही हुआ।
केन्द्राधीक्षक डॉ. संजय कुमार झा ने बिना विवि की अनुमति के एक बाहरी व्यक्ति को वीक्षक की ड्यूटी में लगा दिया। परीक्षा का निरीक्षण करने प्रतिकुलपति प्रो. रामयतन प्रसाद पहुंचे तब मामला सामने आया कि एक ऐसा व्यक्ति भी वीक्षक बना हुआ है जो न तो किसी अंगीभूत कॉलेज या पीजी विभाग में शिक्षक है और न ही कर्मचारी।

विवि ने कार्रवाई की जगह वीक्षक बढ़ाने के लिए फाइल मांगी

केंद्राधीक्षक पर नकल नहीं रोक पाने का है आरोप

आनन-फानन में केन्द्राधीक्षक ने उस व्यक्ति को परीक्षा के बीच ही वीक्षक की ड्यूटी से हटा दिया। हद तो यह कि प्रतिकुलपति ने मामले में कार्रवाई करने की जगह कहा कि परीक्षा में विवि के लोग ही लगाए जाएं। अगर और वीक्षकाें की जरूरत है तो इसके लिए फाइल बढ़ाई जाए। डॉ. संजय झा पर हाल ही में हुई लाॅ की परीक्षा में नकल नहीं रोक पाने का आरोप है। सवाल उठता है कि बार-बार संजय झा को ही केन्द्राधीक्षक बनाने की विभाग की क्या मजबूरी है? क्या संजय झा को अपने तरीके से काम करने की छूट दे रखी है?

इसी व्यक्ति को केन्द्राधीक्षक ने दी थी वीक्षक की ड्यूटी।


बड़ा सवाल? संजय झा कैसे बने केन्द्राधीक्षक

डॉ. संजय झा हाल ही में लॉ की परीक्षा के लिए केन्द्राधीक्षक बनाए गए थे। परीक्षा विभाग का कहना था कि उनसे पहले छह शिक्षक यह जिम्मेदारी लेने से मना कर चुके थे। एक दिन तो छात्रों ने किताब रखकर नकल की थी। मामले में राजभवन ने संज्ञान लेकर रजिस्ट्रार को मॉनिटरिंग करने को कहा था। रजिस्ट्रार ने भी नकल होते पकड़ा। अधूरी जांच के बीच नकल नहीं रोक पाने के आरोप झेल रहे डॉ. झा को विभाग ने बीसीए की परीक्षा की जिम्मेदारी दे दी। परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि आरोपों की जांच चल रही है। यह अभी साबित नहीं हुआ है। 

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