पटना : एनडीए में अपनी खिचड़ी पकते न देख केंद्रीय मानव संसाधन विकास
राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार सरकार पर फिर से शिक्षा के सवाल को
लेकर हमला किया है. उन्होंने बिहार में केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना में
राज्य सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि नये केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना में असहयोग के
विरोध में वह आठ और नौ दिसंबर को उपवास करेंगे. उन्होंने शिक्षा सुधार के
मुद्दे पर राज्य सरकार को खुली बहस का न्योता दिया है. रालोसपा की शिक्षा
सुधार की 25 सूत्रीय मांग पूरी हुए बिना शर्त एनडीए में रहने का सियासी
पैंतरा भी चला है.
केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकार सम्मेलन
में बिहार की शिक्षा में सुधार के लिए आंदोलन करने की घोषणा करते हुए कहा
कि शिक्षा सुधार को लेकर बिहार सरकार मेरी मांग मान ले तो सीट शेयरिंग और
नीच वाले बयान को भी भूलने को तैयार हूं. जनहित के लिए व्यक्तिगत मायने
नहीं रखता.
नीतीश सरकार पर केंद्रीय विद्यालयों के अधिकाधिक प्रस्ताव देने की जगह
मात्र दो प्रस्ताव (औरंगाबाद - नवादा) देने और इसमें भी दोनाें केंद्रीय
विद्यालयों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया. कहा कि सात
दिसंबर तक सरकार ने जमीन हस्तांतरण की घोषणा नहीं की तो वह आठ को देव
(औरंगाबाद) और नौ दिसंबर को नवादा में उपवास पर बैठेंगे.
शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा के दावों पर पलटवार करते हुए कहा कि
शिक्षा में सुधार के लिए कुशवाहा ने कोई प्रयास नहीं किया इसे कोई साबित कर
दे तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे. बिहार में शिक्षा के दो ही मॉडल
हैं, एक लालू प्रसाद का चरवाहा स्कूल मॉडल और दूसरा नीतीश कुमार का नालंदा
मॉडल. नालंदा मॉडल में ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें सौ तक गिनती भी नहीं आती है.
कहा कि मई महीने तक वह केंद्रीय राज्यमंत्री हैं.