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शिक्षा से खिलवाड़: पाठशाला नहीं जनाब, यहां स्कूल बना है बारातशाला

नवादा: जिले के गोविंदपुर प्रखंड कॉलोनी स्थित राज्यकीय प्राथमिक विद्यालय में घोर लापवाही सामने आई है. जिसे देखने और पढ़ने के बाद भी आपको अपने आंखों पर विश्वास नहीं होगा. यहां न आपको शिक्षक मिलेंगे और न पढ़ने वाले बच्चे. मिलेंगा तो बस, ताला जड़ा हुआ क्लास रूम.




जी हां, हकीकत यही है इस विद्यालय की. यहां का आलम यह है कि जिस कक्षा में बच्चे को बैठकर पढ़ना चाहिए उसमें आधार कार्ड सेंटर खुला हुआ है. इतना ही नहीं इस विद्यालय भवन का उपयोग बारात घर के रूप में किया जाता है.

इन सब में हैरान करने वाली बात यह है कि ये सारी गतिविधियां बीडीओ, सीओ के सहमति से होती हैं. यह मेरा कहना नहीं है यह तो इस विद्यालय के शिक्षक और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का कहना है. दोपहर 2 बजे दिन गुरुवार को जब हमारे संवाददाता स्कूल पहुंचे तब यहां न छात्र थे न ही शिक्षक. वहीं, दूसरी क्लास में आधार कार्ड सेंटर चल था. आश्चर्य की बात यह है कि यह विद्यालय प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय के महज 50 कदम की दूरी पर भी नहीं है. इस संदर्भ में हमारे रिपोर्टर ने अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कुछ लोगों से बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने डर से कैमरा के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

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मचा हड़कंप

कुछ देर बाद मीडिया के पहुंचने की जानकारी मिलते ही विद्यालय के एक शिक्षक हांफते हुए वहां पहुंचे. जब उनसे यह पूछा गया कि, दोपहर के सवा दो बजने वाले हैं आप कहां गए हुए थे ? तो शिक्षक हांफते हुए बोले, लंच हुआ तो थोड़ी देर के लिए स्कूल बंद कर दवा लाने बाजार चले गए थे. अब स्कूल दोबारा खोल दिया हैं. लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि अब तो दोपहर के सवा दो बजे गए हैं. अब तक तो बच्चे को वापिस आ जाने चाहिए तो यह सुनकर मास्टर साहब के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी. वो अपनी और अपने शिक्षकों के नाकामयाबी को छिपाने के भरसक प्रयास करते हुए कहने लगे कि हेड मास्टर साहब अपने बच्चे के इलाज़ कराने के लिए छुट्टी पर चले गए हैं और मैं अकेला पड़ गया हूं.

रुकती हैं बारात

स्कूल में बारात रुकने के विषय में सफाई देते हुए सीओ साहब बोले कि मेरे स्टॉफ के बच्चे का शादी है. तो हम लोग ऊपर से बेंच-डेस्क खाली करवाकर नीचे रखवाये हैं. इसलिए छुट्टी करनी पड़ी. इस दौरान जब उनसे यह पूछा गया कि, क्या हेड मास्टर साहब छुट्टी के लिए कोई आवेदन दिया हैं. तो मास्टर साहब का कहना था लिखित में नहीं दिया है. मौखिक में बोला गया है. इतना ही नहीं मास्टर साहब ने स्वयं यह भी कबूल किया है कि पहले इस विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 95 हुआ करती थी. यह संख्या सिमट कर 28-30 रह गई है. आज 3 से 4 बच्चे ही पढ़ने नहीं आये हैं. जबकि, एमडीएम पोर्टल के मुताबिक, इस विद्यालय में 49 छात्र नामांकित हैं. यानी मास्टर साहब को यह भी पता नहीं है कि, उनके विद्यालय में वास्तव में कितने विद्यार्थी हैं. इससे तो मध्याह्न भोजन की राशि में भी गड़बड़ियां निकल सकती है. हालांकि, शिक्षक इसे आसपास में कई प्राइवेट स्कूलों के खुल जाने के हवाला देते रहे.

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की जा चुकी है कार्रवाई

वहीं, इस मामले पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार का कहना है कि यहां दो शिक्षक पदस्थापित हैं. लेकिन यहां छात्रों की उपस्थिति नहीं है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. वेतन बंद करने के लिए हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी को लिखा है. और इसका स्पष्टीकरण हमने पूछा है, जिसका जबाव हमें अभी तक नहीं मिला है. रही बात आधार कार्ड बनवाने की तो आज के समय मे यह एक राज्यस्तरीय कार्यक्रम है. बच्चों के आधार कार्ड बनवाये जा रहे हैं, जिनमें बीडीओ साहब और हमारे मार्गदर्शन में कोशिश है कि जल्द से जल्द बच्चों के आधार कार्ड बनवाकर बैंक से टैग कर दिए जाएंगे. ताकि बच्चे के अकाउंट में ससमय पैसे आ जाए. अन्त में उन्होंने कहा जब तक शिक्षक नियमित रूप से पढ़ना शुरू नहीं कर देंगे. उनका वेतन बंद रहेगा.

हिंसा पर उतारू हुए मुखिया

जैसे ही मास्टर साहब ने बारात ठहरने के संदर्भ में सीओ साहब का जिक्र किया, वैसे ही हमारा रिपोर्टर सीओ साहब से प्रतिक्रिया लेने उनके कार्यालय में जा पहुंचा. उनके आदेश पर विद्यालय में बारात ठहरने से संबंधित सवाल पर पहले उन्होंने पहचानने से इनकार कर दिया. फिर कैमरा बंद करने की धमकी देने लगे. मामला यहीं नहीं रुका. सीओ साहब के कार्यालय में बैठे उनके शागिर्द माधोपुर पंचायत के मुखिया अशोक कुमार ने हमारे रिपोर्टर को मानवता के पाठ पढ़ाया. इसके बाद आवेश में आकर हाथापाई करने पर उतारू हो गए.

जैसे-जैसे शादियों की साहलग तेज होती है, वैसे ही प्राइमरी स्कूलों का प्रयोग बारातियों के ठहरने के लिए किया जाने लगता है.

नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़

अब सवाल यह उठता है कि क्या विद्यालय के कक्षा में बीडीओ और बीईओ के मार्गदर्शन में आधार सेंटर चलवाना उचित है? क्या सीओ के आदेश पर विद्यालय भवन का उपयोग बारात ठहरने के लिए किया जाना सही है? क्या स्कूल के शिक्षक बच्चों को शिक्षित करने के बदले बारात ठहरने के बंदोबस्त करने लायक ही रह गए हैं? क्यों न माधोपुर पंचायत के मुखिया अशोक कुमार से पूछा जाए, जिनका कहना है विद्यालय में मानवता के नाते बारात ठहराई जाती है? कब तक इन मुखिया जैसे लोग मानवता की आड़ में गरीब बच्चों के भविष्य से खिलावाड़ करते रहेंगे? अगर उन्हें मानवता की इतनी फिक्र है तो क्यों न स्वयं प्रखंड स्टॉफ के लिए बारात घर बनवा देते हैं. सच तो यह है कि इन लोगों को बच्चे की भविष्य की चिंता है ही नहीं.

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