संवाद सहयोगी, करपी, अरवल
प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय टेकारी में शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। विद्यालय में पहले आठ शिक्षक-शिक्षिकाएं पदस्थापित थे।
लेकिन, समय पर विद्यालय नहीं आने को लेकर प्रभारी और शिक्षक आपस में उलझ पड़े थे। मामला इस कदर तूल पकड़ा कि पिछले नौ फरवरी को मारपीट तक की नौबत आ गई। ग्रामीणों के अथक प्रयास के बावजूद भी जब शिक्षक आपस में लड़ना बंद नहीं किए तो ग्रामीणों ने इन चारों शिक्षिकाओं और प्रभारी को स्थानांतरण की मांग करते हुए विद्यालय में तालाबंदी कर दी थी। तकरीबन दस दिनों तक विद्यालय का ताला बंद रहा था। प्रखंड प्रमुख नीलम देवी एवं समाजसेवी राधेश्याम शर्मा ने इस मामले को लेकर सजगता दिखाते हुए वस्तु स्थिति से तत्कालीन बीईओ स्व.शालिक राम शर्मा और बीडीओ अखिलेश्वर कुमार के साथ विद्यालय पहुंचकर पूरी स्थिति से अवगत हुए थे। ग्रामीणों की मांग पर प्रभारी जितेंद्र नारायण, शिक्षिका अमिता कुमारी, पूनम कुमारी एवं मीना कुमारी का स्थानांतरण कर दिया गया। हालांकि इसके बाद से विद्यालय में विवाद का दौर थम गया। लेकिन, स्थानांतरित किए गए इन शिक्षकों के स्थान पर दूसरे शिक्षकों की पदस्थापन नहीं होने से पठन-पाठन में समस्या होने लगी। हालात यह है कि विद्यालय में मात्र चार शिक्षक शेष बचे जिनमें एक शिक्षिका दो वर्षीय प्रशिक्षण में चली गई है। अब आठवीं तक की कक्षा में केवल तीन शिक्षक हैं। जबकि, स्टूडेंट्स की संख्या 363 है। एक से अधिक कक्षा के बच्चे एक साथ बैठ कर पढ़ाई करने को विवश हैं। वर्तमान में स्कूल का प्रभार सत्येंद्र कुमार के पास है। इन्होंने प्रभार ग्रहण करने के उपरांत शिक्षकों की कमी की समस्या को विभाग के अधिकारियों के समक्ष कई बार उठाया। लेकिन, स्थानांतरित शिक्षक के जगह पर दूसरे शिक्षकों को अभी तक पदस्थापित नहीं किया गया है। प्रभारी ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों की समस्या के साथ-साथ शौचालय का भी अभाव है। ग्रामीण ¨बदा यादव ने भी अपने गांव के विद्यालय में शिक्षकों की कमी को लेकर अधिकारियों से कई बार फरियाद लगाया। लेकिन, स्थिति जस की तस बनी हुई है और इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय टेकारी में शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। विद्यालय में पहले आठ शिक्षक-शिक्षिकाएं पदस्थापित थे।
लेकिन, समय पर विद्यालय नहीं आने को लेकर प्रभारी और शिक्षक आपस में उलझ पड़े थे। मामला इस कदर तूल पकड़ा कि पिछले नौ फरवरी को मारपीट तक की नौबत आ गई। ग्रामीणों के अथक प्रयास के बावजूद भी जब शिक्षक आपस में लड़ना बंद नहीं किए तो ग्रामीणों ने इन चारों शिक्षिकाओं और प्रभारी को स्थानांतरण की मांग करते हुए विद्यालय में तालाबंदी कर दी थी। तकरीबन दस दिनों तक विद्यालय का ताला बंद रहा था। प्रखंड प्रमुख नीलम देवी एवं समाजसेवी राधेश्याम शर्मा ने इस मामले को लेकर सजगता दिखाते हुए वस्तु स्थिति से तत्कालीन बीईओ स्व.शालिक राम शर्मा और बीडीओ अखिलेश्वर कुमार के साथ विद्यालय पहुंचकर पूरी स्थिति से अवगत हुए थे। ग्रामीणों की मांग पर प्रभारी जितेंद्र नारायण, शिक्षिका अमिता कुमारी, पूनम कुमारी एवं मीना कुमारी का स्थानांतरण कर दिया गया। हालांकि इसके बाद से विद्यालय में विवाद का दौर थम गया। लेकिन, स्थानांतरित किए गए इन शिक्षकों के स्थान पर दूसरे शिक्षकों की पदस्थापन नहीं होने से पठन-पाठन में समस्या होने लगी। हालात यह है कि विद्यालय में मात्र चार शिक्षक शेष बचे जिनमें एक शिक्षिका दो वर्षीय प्रशिक्षण में चली गई है। अब आठवीं तक की कक्षा में केवल तीन शिक्षक हैं। जबकि, स्टूडेंट्स की संख्या 363 है। एक से अधिक कक्षा के बच्चे एक साथ बैठ कर पढ़ाई करने को विवश हैं। वर्तमान में स्कूल का प्रभार सत्येंद्र कुमार के पास है। इन्होंने प्रभार ग्रहण करने के उपरांत शिक्षकों की कमी की समस्या को विभाग के अधिकारियों के समक्ष कई बार उठाया। लेकिन, स्थानांतरित शिक्षक के जगह पर दूसरे शिक्षकों को अभी तक पदस्थापित नहीं किया गया है। प्रभारी ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों की समस्या के साथ-साथ शौचालय का भी अभाव है। ग्रामीण ¨बदा यादव ने भी अपने गांव के विद्यालय में शिक्षकों की कमी को लेकर अधिकारियों से कई बार फरियाद लगाया। लेकिन, स्थिति जस की तस बनी हुई है और इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।