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सरकारी स्कूलों में न शिक्षक न ही कंप्यूटर, बेकार पड़े हैं कंप्यूटर लैब बिना कंप्यूटर दी जा रही तकनीकी शिक्षा

पटना: एक  ओर सरकार सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने की बात कह रही है. वहीं, दूसरी ओर तकनीकी शिक्षा देने वाले संसाधन कंप्यूटर और कंप्यूटर शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पहुंच से  दूर हैं. पटना के स्कूलों की हम बात करें, तो कंप्यूटर शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ठप है़    जबकि सरकार अलग-अलग एजेेंसियों के माध्यम से कंप्यूटर लैब और कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी कर चुकी है. बावजूद इसके सरकारी विद्यालयों में अाज कंप्यूटर लैब बदहाल स्थिति में हैं.

बिहार के बच्चे तकनीकी शिक्षा से जुड़ सकें, इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में कंप्यूटर लैब बनाये गये हैं. विभिन्न एजेंसियों के जरिये कंप्यूटर लैब व शिक्षक की व्यवस्था भी की गयी, लेकिन न तो स्कूलों में कंप्यूटर लैब में बच्चे पढ़ते हैं और न ही इनका उपयोग स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं ही करती हैं. ज्यादातर स्कूलों में या तो कंप्यूटर लैब बंद हैं या कंप्यूटर हैं ही नहीं. इससे आज भी स्कूलों में बच्चे कंप्यूटर शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं.
 
तीन और पांच वर्ष तक रहे शिक्षक, बेल्ट्रॉन को सौंपी गयी थी जिम्मेदारी
 शिक्षा विभाग  द्वारा 'बूट मॉडल ' (बिल्ट ऑन ऑपरेटिंग ट्रांसफर) के तहत वर्ष 2007-08 में स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई शुरू की गयी. इसकी जिम्मेदारी बेल्ट्रॉन को सौंपी गयी. इसके बाद एनआईटी और एडुकॉन एजेंसी के  जरिये स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित किये गये. योजना के अनुसार तीन वर्षों तक स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित कर इसकी ट्रेनिंग शिक्षकों को दी गयी. इसके बाद स्कूलों को कंप्यूटर लैब चलाना था, लेकिन एजेंसी का टर्म पूरा होते ही स्कूल प्रशासन की ओर से इसका संचालन बंद हो गया. वर्ष 2012-14 प्रियर्सन आइएलएफएस और कॉम्पुकॉन जैसे सॉफ्टवेयर एजेंसियों के माध्यम से बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना के जरिये सूबे के 1832 स्कूलों में विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से कंप्यूटर लैब की व्यवस्था की गयी. इसके लिए सभी स्कूलों में नौ लाख रुपये की लागत से लैब स्थापित किये गये. इसके लिए साढ़े सात लाख रुपये की राशि एकमुश्त में दी गयी. शेष राशि के एलॉटमेंट में कंप्यूटर शिक्षक के मानदेय, जेनरेटर इत्यादि पर खर्च के लिए दिये गये. इसका संचालन राज्य माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से किया गया है. 
 
कहीं एक तो कहीं दो वर्षों से बंद हैं कंप्यूटर 

स्कूल की मानें, तो विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक नहीं होने से कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. कहीं एक वर्ष से तो कहीं दो वर्ष  तो कहीं तीन वर्ष से कंप्यूटर लैब बंद पड़े हैं. क्योंकि इन कंप्यूटरों को चलाने वाले शिक्षक नहीं हैं. पटना जिले में कुल 32 कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. पर स्कूलों में कंप्यूटर नहीं है. कुछ स्कूलों में कंप्यूटर या तो चोरी हो गये हैं या फिर कुछ खराब हैं.

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