राज्य के सरकारी विद्यालयों में नियोजित करीब पौने चार लाख शिक्षकों को
पुराने शिक्षकों के समान वेतन देने पर राज्य सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
पटना हाईकोर्ट की ओर से समान वेतन देने के फैसले पर शीर्षस्तर पर विमर्श के
बाद जो तस्वीर उभरी है, उसमें आदेश का पालन संभव नहीं है।
सरकार का मत है कि वित्तीय कोष व संसाधन के मद्देनजर समान वेतन लागू करना संभव नहीं है, इसलिए सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का निर्णय किया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अपील करने को लेकर शिक्षा विभाग के दो अधिकारी पिछले दो दिनों से दिल्ली में कैंप कर वरीय अधिवक्ताओं के साथ अपील की तैयारी कर रहे हैं। सोमवार के बाद कभी भी यह अपील दायर की जा सकती है।
सरकार फैसले को लागू करने की स्थिति में नहीं
समान वेतन को लेकर पूछे जाने पर बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने शनिवार को 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में कहा कि वर्ष 2009 से समान वेतन देने की बात कही गयी है। एरियर की राशि ही कम से कम 75000 करोड़ हो जाएगी। यह राशि आएगी कहां से? इसलिए यह संभव ही नहीं है। मुख्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि 75000 करोड़ रुपए देने का मतलब है कि राज्य सरकार के सभी विभागों की सभी योजनाएं बंद कर दी जाएं। तभी इतनी राशि वेतन मद में दी जा सकती है। पर, सभी जन कल्याणकारी योजनाएं बंद कर दी जाएं, यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार फैसले को लागू करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए जहां जरूरी होगा, अपील करेंगे।
समान वेतन को हर साल 15000 करोड़ और चाहिए
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि समान वेतन देने पर प्रति साल 15000 करोड़ अतिरिक्त चाहिए। विदित है कि फिलहाल नियोजित शिक्षकों के वेतन पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसमें से करीब 7200 करोड़ रुपए सर्वशिक्षा अभियान के तहत नियोजित किए गए शिक्षकों पर तथा शेष राशि राज्य योजना मद से भुगतान पाने वाले शिक्षकों के वेतन पर खर्च है। समान वेतन के बाद यह राशि 25000 करोड़ सालाना हो जाएगी, जो शिक्षा विभाग के बजट के बराबर है।
3.69 लाख नियोजित शिक्षक हैं राज्य में
फिलहाल राज्य में करीब 3 लाख 69 हजार नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष हैं। इनमें 3.19 लाख शिक्षक प्रारंभिक कक्षाओं में, जबकि करीब 50 हजार हाईस्कूल, प्लसटू शिक्षक तथा पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में नियोजित हैं। 3.19 प्रारंभिक शिक्षकों में से 2 लाख 53 हजार सर्वशिक्षा अभियान के तहत कार्यरत हैं। इनके वेतन भुगतान में 60 फीसदी राशि केन्द्र सरकार जबकि 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को देनी होती है। दूसरी तरफ 66 हजार ऐसे नियोजित शिक्षक हैं जिनके वेतन पर शत-प्रतिशत राशि राज्य सरकार खर्च करती है।
सरकार का मत है कि वित्तीय कोष व संसाधन के मद्देनजर समान वेतन लागू करना संभव नहीं है, इसलिए सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का निर्णय किया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अपील करने को लेकर शिक्षा विभाग के दो अधिकारी पिछले दो दिनों से दिल्ली में कैंप कर वरीय अधिवक्ताओं के साथ अपील की तैयारी कर रहे हैं। सोमवार के बाद कभी भी यह अपील दायर की जा सकती है।
सरकार फैसले को लागू करने की स्थिति में नहीं
समान वेतन को लेकर पूछे जाने पर बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने शनिवार को 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में कहा कि वर्ष 2009 से समान वेतन देने की बात कही गयी है। एरियर की राशि ही कम से कम 75000 करोड़ हो जाएगी। यह राशि आएगी कहां से? इसलिए यह संभव ही नहीं है। मुख्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि 75000 करोड़ रुपए देने का मतलब है कि राज्य सरकार के सभी विभागों की सभी योजनाएं बंद कर दी जाएं। तभी इतनी राशि वेतन मद में दी जा सकती है। पर, सभी जन कल्याणकारी योजनाएं बंद कर दी जाएं, यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार फैसले को लागू करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए जहां जरूरी होगा, अपील करेंगे।
समान वेतन को हर साल 15000 करोड़ और चाहिए
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि समान वेतन देने पर प्रति साल 15000 करोड़ अतिरिक्त चाहिए। विदित है कि फिलहाल नियोजित शिक्षकों के वेतन पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसमें से करीब 7200 करोड़ रुपए सर्वशिक्षा अभियान के तहत नियोजित किए गए शिक्षकों पर तथा शेष राशि राज्य योजना मद से भुगतान पाने वाले शिक्षकों के वेतन पर खर्च है। समान वेतन के बाद यह राशि 25000 करोड़ सालाना हो जाएगी, जो शिक्षा विभाग के बजट के बराबर है।
3.69 लाख नियोजित शिक्षक हैं राज्य में
फिलहाल राज्य में करीब 3 लाख 69 हजार नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष हैं। इनमें 3.19 लाख शिक्षक प्रारंभिक कक्षाओं में, जबकि करीब 50 हजार हाईस्कूल, प्लसटू शिक्षक तथा पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में नियोजित हैं। 3.19 प्रारंभिक शिक्षकों में से 2 लाख 53 हजार सर्वशिक्षा अभियान के तहत कार्यरत हैं। इनके वेतन भुगतान में 60 फीसदी राशि केन्द्र सरकार जबकि 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को देनी होती है। दूसरी तरफ 66 हजार ऐसे नियोजित शिक्षक हैं जिनके वेतन पर शत-प्रतिशत राशि राज्य सरकार खर्च करती है।