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बिहार में 'लोटे' की निगरानी का आदेश वापस लिया गया

पटना। शिक्षकों को 'लोटे' की निगरानी सौंपने के आदेश पर हुए विवाद के बाद बिहार के शिक्षा विभाग ने घुटने टेक दिए हैं। गुरुवार को विभाग ने 'लोटे' की निगरानी शिक्षकों से कराने का आदेश वापस ले लिया। इधर, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने इस मामले पर यू-टर्न लेते हुए कहा कि अफवाह उड़ाई गई थी।

सेल्फी लेने या खुले में शौच को जा रहे लोगों को रोकने के लिए निगरानी करने का कोई आदेश शिक्षकों को नहीं दिया गया था। विदित हो कि दो दिन पूर्व ही उन्होंने कहा था कि शिक्षक बौद्धिक कार्य करते हैं। स्वच्छता का कार्य राष्ट्रीय स्तर पर चल रहा है। ऐसे में शिक्षकों को लोटे की निगरानी का काम भी करना चाहिए, लेकिन इससे पढ़ाई नहीं बाधित होनी चाहिए।
गौरतलब है कि दो दिन पूर्व ही औरंगाबाद के देव और मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी ने एक आदेश में शिक्षकों को खुले में शौच की निगरानी का काम सौंपा था। आदेश में कहा गया था कि शिक्षक अपने शैक्षणिक दायित्वों के अलावा सुबह छह से सात और शाम पांच से छह बजे के बीच खुले में शौच को जाने वालों की निगरानी करेंगे और उनकी फोटो खींचेंगे।
माध्यमिक शिक्षक संघ से लेकर नियोजित शिक्षक संघ तक ने सरकार के इस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए इसका विरोध किया था। शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों ने अपने पूर्व के आदेश को वापस ले लिया है।

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