किशनगंज। नियोजित शिक्षक अपनी बारह सूत्री मांगों को लेकर दूसरे दिन
आमरण आमरण पर डटे रहे। अपनी मांगों को लेकर नारे भी लगाए। लेकिन आश्चर्य की
बात है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का डंका पीटने वाली सरकार नियोजित
शिक्षकों की मांग को लेकर चुप्पी साधी हुई है।
इससे प्रतीत होता है कि सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ शिक्षा व्यवस्था के प्रति भी सजग नही हैं। इसी का परिणाम है कि बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में शिक्षक आज विद्यालय में अध्यापन कार्य करने के बदले में आमरण अनशन पर बैठने पर मजबूर हो गए हैं। गुरूवार को राजद जिलाध्यक्ष इंतखाब आलम उर्फ बबलू ने टाउन हॉल स्थित आमरण अनशन पर बैठे नियोजित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों का कार्य विद्यालय में अध्यापन करना है। लेकिन सरकार इन शिक्षकों को अध्यापन कार्य के साथ कई अन्य सरकारी कार्यों में लगा देती है। नियोजित शिक्षक इन सभी कार्यों का संपादन सफलता पूर्वक पूरा कर देते हैं। इसके बावजूद भी इन शिक्षकों की कई मांगे पूरी नहीं करना अत्यंत ही दुखद है। इनकी बारह सूत्री मांगे हैं। शिक्षा विभाग को चाहिए कि नियोजित शिक्षकों की जायज मांगों से सरकार का ध्यान आकृष्ट कराए।
इन मांगों में मुख्य रूप से 2016-17 में जीओबी मद में वेतन का भुगतान, सत्र 2017-18 में जीओबी मद में चार माह और एसएसए मद में लंबित पांच माह का वेतन भुगतान करना शामिल है। वर्षों से लंबित मातृत्व एंव चिकित्सा अवकाश का भुगतान, 2013 और 2015 में दक्षता एवं संवर्धन पूर्ण कर चुके शिक्षकों का एरियर भुगतान, सेवा के दौरान मृत नियोजित शिक्षकों के परिवार को अनुग्रह राशि का भुगतान करना भी शामिल हैं। साथ ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा बिना स्पष्टीकरण पूछे वेतन काटने और स्थगित करने की प्रक्रिया पर रोक लगे। इस दौरान मुख्य रूप से राजद नेता उस्मान गनी, संघ के जिलाध्यक्ष रागीबुर रहमान, जिला प्रधान सचिव पंकज बसाक, शकीला बानो सहित कई नियोजित शिक्षक मौजूद थे।
इससे प्रतीत होता है कि सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ शिक्षा व्यवस्था के प्रति भी सजग नही हैं। इसी का परिणाम है कि बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में शिक्षक आज विद्यालय में अध्यापन कार्य करने के बदले में आमरण अनशन पर बैठने पर मजबूर हो गए हैं। गुरूवार को राजद जिलाध्यक्ष इंतखाब आलम उर्फ बबलू ने टाउन हॉल स्थित आमरण अनशन पर बैठे नियोजित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों का कार्य विद्यालय में अध्यापन करना है। लेकिन सरकार इन शिक्षकों को अध्यापन कार्य के साथ कई अन्य सरकारी कार्यों में लगा देती है। नियोजित शिक्षक इन सभी कार्यों का संपादन सफलता पूर्वक पूरा कर देते हैं। इसके बावजूद भी इन शिक्षकों की कई मांगे पूरी नहीं करना अत्यंत ही दुखद है। इनकी बारह सूत्री मांगे हैं। शिक्षा विभाग को चाहिए कि नियोजित शिक्षकों की जायज मांगों से सरकार का ध्यान आकृष्ट कराए।
इन मांगों में मुख्य रूप से 2016-17 में जीओबी मद में वेतन का भुगतान, सत्र 2017-18 में जीओबी मद में चार माह और एसएसए मद में लंबित पांच माह का वेतन भुगतान करना शामिल है। वर्षों से लंबित मातृत्व एंव चिकित्सा अवकाश का भुगतान, 2013 और 2015 में दक्षता एवं संवर्धन पूर्ण कर चुके शिक्षकों का एरियर भुगतान, सेवा के दौरान मृत नियोजित शिक्षकों के परिवार को अनुग्रह राशि का भुगतान करना भी शामिल हैं। साथ ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा बिना स्पष्टीकरण पूछे वेतन काटने और स्थगित करने की प्रक्रिया पर रोक लगे। इस दौरान मुख्य रूप से राजद नेता उस्मान गनी, संघ के जिलाध्यक्ष रागीबुर रहमान, जिला प्रधान सचिव पंकज बसाक, शकीला बानो सहित कई नियोजित शिक्षक मौजूद थे।