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अच्छे परिणाम के लिए सोच में बदलाव की आवश्यकता , चारों तरफ कोहराम मचा

इंटरमीडिएट परिणाम को लेकर चारों तरफ कोहराम मचा हुआ हैं। इस परिणाम से एक बात स्पष्ट है कि यहाँ वास्तव में पढने वाले बच्चों का प्रतिशत यहीं है।ये बात अलग है कि इससे पहले लालू-राबड़ी,नीतीश काल में परीक्षा परिणामों में बेतहाशा वृद्धि हुई थी।
यह वृद्धि कैसे हुई थी,इस पर टिप्पणी करना मैं उचित नहीं समझता आप स्वयं समझदार हैं।इनके शासन काल से पहले थर्ड डिवीजन लाने वाले छात्र-छात्राओं के घर,मुहल्ला,गाँव में मिठाईयाँ बाँटी जाती थी।माता-पिता गौरवान्वित महसूस करते थे।परंतु इनके शासनकाल में थर्ड डिवीजन क्या सेकंड डिवीजन का महत्व समाप्त हो गया था।यदि सही तरीके से परीक्षा ली जाए तो परिणाम लगभग इसी के आसपास रहेंगे।विद्यालय में आज भी पढने की अपेक्षा सरकारी लाभ लेने के लिए छात्र आते हैं।सरकारी लाभ समाप्त कर दें विद्यालय में नामांकन कम हो जायेंगे।अच्छे परिणाम के लिए सोच में बदलाव की आवश्यकता है।जिस दिन से विद्यालय जाने का उद्देश्य सरकारी लाभ ना होकर शिक्षा ग्रहण करने का हो जाएगा उस दिन से परीक्षा परिणाम बेहतर होने लगेगा।
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