पटना, इस बार इंटर के परिणाम ने शिक्षा जगत में दो धुरी या यूं कहें तो धारणा पैदा कर दिया है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और कदाचार मुक्त परीक्षा चाहने वालों ने इस परिणाम को सार्थक परिप्रेक्ष्य में लिया है।
वही जो लोग कदाचार या शिक्षा को व्यापार के रूप में अपने फायदे के लिए अनैतिक क्रियाकलाप करते या कराते थे उन्हें झटका लगा है। उक्त बातें शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी ने न्यूज़ बिहार के साथ हुए संवाद में कही। उन्होंने कहा कि हालांकि फेल होने का दुःख सभी को होता है। पर यह भी सत्य है कि जो पढ़ेगा वो लिखेगा और जो लिखेगा वो पास भी होगा। बिहार में कदाचार अब नहीं होने दिया जाएगा ये तो तय है।
आगे डॉ चौधरी ने कहा कि दूसरी धुरी के लोग जो पिछले साल कदाचार की तस्वीर साझा कर बिहार की शिक्षा को बदनाम करते थे। सरकार और शिक्षा विभाग पर ऊँगली उठाते थे वो आज भी ऊँगली उठा रहे हैं। फर्क बस इतना है कि इस बार सत्य और सही के विरुद्ध उनकी ऊँगली उठी है। विरोध करने वाले यहीं तक नहीं रुके बच्चों को जो बिलकुल अबोध हैं उन्हें भड़काने, प्रदर्शन करने, गैरसंसादीये आचरण करने को उकसा रहे हैं। इस तरह की दोहरी नीति और भविष्य के स्तंभ बच्चों के साथ अपनी गन्दी राजनीतिक मंशा को साधना किस तरह का राष्ट्र और प्रदेश प्रेम है ?
डॉ चौधरी ने बताया कि परिणाम के बाद से ही शिक्षा विभाग पूरी समीक्षा कर रहा है। यहाँ तक की शिक्षा विभाग ने फौरी तौर पर यह भी घोषणा कर दिया है कि कंपार्टमेंटल परीक्षा मात्र एक नहीं दो विषय की ली जायेगी। एक माह के अंदर परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम बच्चों के भविष्य के प्रति सजग है इसके लिए हमें किसी के प्रमाण की जरूरत नहीं है। जिन बच्चों को यह लगता है कि उनके लिखने के अनुसार अंक नहीं मिले हैं तो वे कॉपी का पुनः मूल्यांकन करा कर संतुष्ट हो सकते हैं।
शिक्षा मंत्री विरोधियों के बयान पर खूब बोले उन्होंने कहा कि आखिर किस तरह की शिक्षा प्रणाली चाहते है विरोध करने वाले ? केंद्र में उन्ही की सरकार है जो शिक्षा के नाम पर केंद्र सरकार जो कर रही उसका विरोध पूरे देश में हो रहा है। वैसे लोगों से आग्रह है बच्चों के कंधे पर बंदूक रख राजनीति करने से बाज आएं। कुछ लोग जो अपने दल में हासिये पर हैं वो बच्चों को नाहक उकसा रहे हैं। अगर सच में कुछ करना चाहते हैं तो बच्चों में अच्छे संस्कार और मेहनत कर अगली बार अच्छा से अच्छा प्रदर्शन करने का हौसला दें। मैं प्रदेश के अभिभावक और उन बच्चों को आगाह करता हूँ कि ऐसे लोगों पर ध्यान न दें ये आपके हितैषी नहीं सबसे बड़े दुश्मन हैं। 1991 के परिणाम को भी याद करना आज जरुरी है। केदार पांडे जी के समय भी परिणाम का प्रतिशत काफी कम था। वहीं भाजपा के लोगों को उत्तरप्रदेश में राजनाथ सिंह के शासन को भी याद करना चाहिए जब मात्र 27 फ़िशद बच्चे पास हुए थे। इन सब बातों के साथ एक अहम बात जो शिक्षा मंत्री ने कहा वो ये था कि फेल होने वाले 37 फ़िशद बच्चे थोड़ा सा प्रयास कर कम्पार्टमेंटल परीक्षा में बेहतर कर सकते हैं।
हमारी सरकार एक कमिटमेंट वाली सरकार है जो भी हमने वादा किया वो पूरा कर रहे हैं। एक महीने के अंदर बिहार बोर्ड कंपार्टमेंटल परीक्षा आयोजित करेगा ताकि जिन छात्रों के रिजल्ट खराब हुए हैं। वे दोबारा परीक्षा में शामिल होकर बेहतर कर सकें। ये बड़ा प्रश्न है जो हमने पहले ही जनता के बीच रखा था कि क्या हम कदाचार को जारी रहने दे या फिर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और छात्रों के भविष्य के लिए सख्त कदम उठायें। जनता के विचारोपरांत सरकार ने बगैर कोई समझौता किए सख्त कदम उठाए हैं। इसके साथ ही सरकार शिक्षा में बेहतरी के लिए और भी कई कदम उठा रही हैं। प्लस टू स्कूलों से लेकर माध्यमिक स्कूलों तक में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने। छात्रा-छात्राओं के अंदर पढऩे की जिजीविषा पैदा करना और उस तरह का माहौल विकसित करने का निरंतर प्रयास जारी हैं। शिक्षकों की जवाबदेही तय करने से लेकर विशेष वर्ग संचालन पर भी विचार किया जा रहा है। रिजल्ट तो अच्छे नहीं हैं, परन्तु थोड़ा धैर्य रखना होगा व्यवस्था में जल्द ही बदलाव दिखेगा। परिणाम से निराश नहीं बल्कि इसे एक चुनौती के रूप में देखा जाए। आने वाला भविष्य का भार इन्हीं बच्चों के कंधे पर आना है जिसे मजबूत एवं हर तरह से सुयोग्य कर्मठ और संस्कारी बनाना हम सब की जिम्मेवारी है।
वही जो लोग कदाचार या शिक्षा को व्यापार के रूप में अपने फायदे के लिए अनैतिक क्रियाकलाप करते या कराते थे उन्हें झटका लगा है। उक्त बातें शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी ने न्यूज़ बिहार के साथ हुए संवाद में कही। उन्होंने कहा कि हालांकि फेल होने का दुःख सभी को होता है। पर यह भी सत्य है कि जो पढ़ेगा वो लिखेगा और जो लिखेगा वो पास भी होगा। बिहार में कदाचार अब नहीं होने दिया जाएगा ये तो तय है।
आगे डॉ चौधरी ने कहा कि दूसरी धुरी के लोग जो पिछले साल कदाचार की तस्वीर साझा कर बिहार की शिक्षा को बदनाम करते थे। सरकार और शिक्षा विभाग पर ऊँगली उठाते थे वो आज भी ऊँगली उठा रहे हैं। फर्क बस इतना है कि इस बार सत्य और सही के विरुद्ध उनकी ऊँगली उठी है। विरोध करने वाले यहीं तक नहीं रुके बच्चों को जो बिलकुल अबोध हैं उन्हें भड़काने, प्रदर्शन करने, गैरसंसादीये आचरण करने को उकसा रहे हैं। इस तरह की दोहरी नीति और भविष्य के स्तंभ बच्चों के साथ अपनी गन्दी राजनीतिक मंशा को साधना किस तरह का राष्ट्र और प्रदेश प्रेम है ?
डॉ चौधरी ने बताया कि परिणाम के बाद से ही शिक्षा विभाग पूरी समीक्षा कर रहा है। यहाँ तक की शिक्षा विभाग ने फौरी तौर पर यह भी घोषणा कर दिया है कि कंपार्टमेंटल परीक्षा मात्र एक नहीं दो विषय की ली जायेगी। एक माह के अंदर परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम बच्चों के भविष्य के प्रति सजग है इसके लिए हमें किसी के प्रमाण की जरूरत नहीं है। जिन बच्चों को यह लगता है कि उनके लिखने के अनुसार अंक नहीं मिले हैं तो वे कॉपी का पुनः मूल्यांकन करा कर संतुष्ट हो सकते हैं।
शिक्षा मंत्री विरोधियों के बयान पर खूब बोले उन्होंने कहा कि आखिर किस तरह की शिक्षा प्रणाली चाहते है विरोध करने वाले ? केंद्र में उन्ही की सरकार है जो शिक्षा के नाम पर केंद्र सरकार जो कर रही उसका विरोध पूरे देश में हो रहा है। वैसे लोगों से आग्रह है बच्चों के कंधे पर बंदूक रख राजनीति करने से बाज आएं। कुछ लोग जो अपने दल में हासिये पर हैं वो बच्चों को नाहक उकसा रहे हैं। अगर सच में कुछ करना चाहते हैं तो बच्चों में अच्छे संस्कार और मेहनत कर अगली बार अच्छा से अच्छा प्रदर्शन करने का हौसला दें। मैं प्रदेश के अभिभावक और उन बच्चों को आगाह करता हूँ कि ऐसे लोगों पर ध्यान न दें ये आपके हितैषी नहीं सबसे बड़े दुश्मन हैं। 1991 के परिणाम को भी याद करना आज जरुरी है। केदार पांडे जी के समय भी परिणाम का प्रतिशत काफी कम था। वहीं भाजपा के लोगों को उत्तरप्रदेश में राजनाथ सिंह के शासन को भी याद करना चाहिए जब मात्र 27 फ़िशद बच्चे पास हुए थे। इन सब बातों के साथ एक अहम बात जो शिक्षा मंत्री ने कहा वो ये था कि फेल होने वाले 37 फ़िशद बच्चे थोड़ा सा प्रयास कर कम्पार्टमेंटल परीक्षा में बेहतर कर सकते हैं।
हमारी सरकार एक कमिटमेंट वाली सरकार है जो भी हमने वादा किया वो पूरा कर रहे हैं। एक महीने के अंदर बिहार बोर्ड कंपार्टमेंटल परीक्षा आयोजित करेगा ताकि जिन छात्रों के रिजल्ट खराब हुए हैं। वे दोबारा परीक्षा में शामिल होकर बेहतर कर सकें। ये बड़ा प्रश्न है जो हमने पहले ही जनता के बीच रखा था कि क्या हम कदाचार को जारी रहने दे या फिर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और छात्रों के भविष्य के लिए सख्त कदम उठायें। जनता के विचारोपरांत सरकार ने बगैर कोई समझौता किए सख्त कदम उठाए हैं। इसके साथ ही सरकार शिक्षा में बेहतरी के लिए और भी कई कदम उठा रही हैं। प्लस टू स्कूलों से लेकर माध्यमिक स्कूलों तक में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने। छात्रा-छात्राओं के अंदर पढऩे की जिजीविषा पैदा करना और उस तरह का माहौल विकसित करने का निरंतर प्रयास जारी हैं। शिक्षकों की जवाबदेही तय करने से लेकर विशेष वर्ग संचालन पर भी विचार किया जा रहा है। रिजल्ट तो अच्छे नहीं हैं, परन्तु थोड़ा धैर्य रखना होगा व्यवस्था में जल्द ही बदलाव दिखेगा। परिणाम से निराश नहीं बल्कि इसे एक चुनौती के रूप में देखा जाए। आने वाला भविष्य का भार इन्हीं बच्चों के कंधे पर आना है जिसे मजबूत एवं हर तरह से सुयोग्य कर्मठ और संस्कारी बनाना हम सब की जिम्मेवारी है।