अब ऐसे लोगो का क्या किया जाए जो सरकार के डर से आंदोलन करना ही नही चाहते
मधेपुरा ज़िला के सम्मानित शिक्षक/शिक्षक प्रतिनिधि साथियों-समय पर वेतन मिलना और वेतनमान की लड़ाई दोनों ही आवश्यक है।हमारे बहुत से शिक्षक साथी बाहर से आये हुए हैं जो पूर्णतः वेतन पर निर्भर है।वेतनमान की लड़ाई वह तभी लड़ पाएंगे जब उसके पेट में दाना होगा।
जब कोई बड़ा आंदोलन शुरू होता है तब सरकार आंदोलनकारी को डराने के लिए तरह तरह के दंडात्मक आदेश निकालती है जिस आंदोलन कारी का परिवार सिर्फ वेतन पर निर्भर हो वह अपने परिवार के खातिर आंदोलन से वापस होने लगते हैं और आंदोलन कमजोर पड़ने लगता है।
इस परिस्थिति में एक दूरदर्शी नेता कोशिश करता है कि आंदोलन को जल्द से जल्द सफलता दिला कर समाप्त करवाया जाए।
साथियों सरकार द्वारा वर्तमान में जो हठधर्मिता दिखाया जा रहा है वह सिर्फ और सिर्फ कोर्ट में मुकदमा लंबित होने के कारण।इसलिए मै शुरू से कहता आ रहा हूँ की सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर हाई कोर्ट में जाना ही गलत था।इसी के कारण आंदोलन लंबा खिंच रहा है। बहरहाल अब तो हाई कोर्ट के निर्णय आने तक अथवा सरकार द्वारा लिया गया समय सीमा समाप्त होने पर ही अगला आंदोलन शुरू किया जा सकता है।इससे पहले आंदोलन शुरू करना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लग रहा है क्योंकि इससे बेवजह 15-20 दिन हड़ताल को ज्यादा खींचना पड जायेगा क्योंकि कोर्ट का निर्णय आने से पहले सरकार किसी से बात नहीं करने वाली है।ये बात आप सभी जानते ही हैं।ऐसे में जो शिक्षक साथी और उसका परिवार वेतन पर निर्भर है वह परेशान हो उठेगा।जो आंदोलन के लिए अच्छा नहीं होगा।
इन्हीं बातों पर चिन्तन कर के ही पप्पू जी ने 17 अप्रैल 2017 से हड़ताल की तिथि घोषित किये हैं।
बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक इस बात से सहमत भी है।
साथियों बड़ी लड़ाई का आगाज जज्बात से नहीं किया जाता है व्यापक रणनीति के साथ किया जाता है।ताकि कम नुकसान से बड़ी सफलता प्राप्त किया जा सके।यही आदरणीय पप्पू जी का उद्देश्य है।
अप्रैल मई में भीषण गर्मी का भी प्रकोप होगा और ठीक जून के पहले सप्ताह से गर्मी की छुट्टी भी होगी।इस प्रकार हम कम कार्यदिवस गंवाये लंबी हड़ताल कर सकते हैं।
वैसे आप सभी विद्द्वान हैं।मंथन जरूर करें।
आपका अपना-
सुबोध सुधीर
प्रखंड अध्यक्ष
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ पुरैनी मधेपुरा
नोट- इस पर सभी साथी अपना अपना विचार देने का कष्ट करें।ताकि यथोचित निर्णय लिया जा सके तथा सर्वोत्तम निर्णय से राज्य संघ को अवगत किया जा सके।
मधेपुरा ज़िला के सम्मानित शिक्षक/शिक्षक प्रतिनिधि साथियों-समय पर वेतन मिलना और वेतनमान की लड़ाई दोनों ही आवश्यक है।हमारे बहुत से शिक्षक साथी बाहर से आये हुए हैं जो पूर्णतः वेतन पर निर्भर है।वेतनमान की लड़ाई वह तभी लड़ पाएंगे जब उसके पेट में दाना होगा।
जब कोई बड़ा आंदोलन शुरू होता है तब सरकार आंदोलनकारी को डराने के लिए तरह तरह के दंडात्मक आदेश निकालती है जिस आंदोलन कारी का परिवार सिर्फ वेतन पर निर्भर हो वह अपने परिवार के खातिर आंदोलन से वापस होने लगते हैं और आंदोलन कमजोर पड़ने लगता है।
इस परिस्थिति में एक दूरदर्शी नेता कोशिश करता है कि आंदोलन को जल्द से जल्द सफलता दिला कर समाप्त करवाया जाए।
साथियों सरकार द्वारा वर्तमान में जो हठधर्मिता दिखाया जा रहा है वह सिर्फ और सिर्फ कोर्ट में मुकदमा लंबित होने के कारण।इसलिए मै शुरू से कहता आ रहा हूँ की सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर हाई कोर्ट में जाना ही गलत था।इसी के कारण आंदोलन लंबा खिंच रहा है। बहरहाल अब तो हाई कोर्ट के निर्णय आने तक अथवा सरकार द्वारा लिया गया समय सीमा समाप्त होने पर ही अगला आंदोलन शुरू किया जा सकता है।इससे पहले आंदोलन शुरू करना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लग रहा है क्योंकि इससे बेवजह 15-20 दिन हड़ताल को ज्यादा खींचना पड जायेगा क्योंकि कोर्ट का निर्णय आने से पहले सरकार किसी से बात नहीं करने वाली है।ये बात आप सभी जानते ही हैं।ऐसे में जो शिक्षक साथी और उसका परिवार वेतन पर निर्भर है वह परेशान हो उठेगा।जो आंदोलन के लिए अच्छा नहीं होगा।
इन्हीं बातों पर चिन्तन कर के ही पप्पू जी ने 17 अप्रैल 2017 से हड़ताल की तिथि घोषित किये हैं।
बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक इस बात से सहमत भी है।
साथियों बड़ी लड़ाई का आगाज जज्बात से नहीं किया जाता है व्यापक रणनीति के साथ किया जाता है।ताकि कम नुकसान से बड़ी सफलता प्राप्त किया जा सके।यही आदरणीय पप्पू जी का उद्देश्य है।
अप्रैल मई में भीषण गर्मी का भी प्रकोप होगा और ठीक जून के पहले सप्ताह से गर्मी की छुट्टी भी होगी।इस प्रकार हम कम कार्यदिवस गंवाये लंबी हड़ताल कर सकते हैं।
वैसे आप सभी विद्द्वान हैं।मंथन जरूर करें।
आपका अपना-
सुबोध सुधीर
प्रखंड अध्यक्ष
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ पुरैनी मधेपुरा
नोट- इस पर सभी साथी अपना अपना विचार देने का कष्ट करें।ताकि यथोचित निर्णय लिया जा सके तथा सर्वोत्तम निर्णय से राज्य संघ को अवगत किया जा सके।