नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (CBSE) ने मंगलवार को बोर्ड की चार घंटे चली बैठक में 10वीं बोर्ड की परीक्षा को वैकल्पिक से हटाकर अनिवार्य कर देने सहित तीन अहम फैसले लिए
साल 2018 से सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई करने वाले सभी छात्रों को दसवीं बोर्ड परीक्षा अनिवार्य रूप से देनी होगी। इसके साथ ही सीबीएसई बोर्ड के सभी स्कूलों को दसवीं क्लास तक थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला लागू करना होगा। वर्तमान में यह फॉर्मूला सिर्फ आठवीं क्लास तक लागू था और अब स्कूलों के प्रिंसिपल को भी योग्यता टेस्ट देनी होगी। इन तीनों फैसलों पर आखिरी मुहर एचआरडी मंत्रालय को लगानी है।
10वीं तक थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के आंतर्गत आने वाले थ्री लैंगवेज फॉर्मूला का मतलब होता है – हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी और इंग्लिश के अलावा एक अन्य भारतीय मॉडर्न लैंग्वेज भी सिखानी होगी। वहीं, हिंदी भाषी से अलग राज्यों में हिंदी, इंग्लिश और एक स्थानीय भाषा सिखानी होगी। हालांकि 18 हजार स्कूलों में से अधिकतर में कक्षा आठ तक स्थानीय भाषा/हिंदी, इंग्लिश और एक विदेशी भाषा जैसे जर्मन आदि सिखाई जा रही है। बोर्ड ने कहा कि स्कूलों को ना सिर्फ यह फॉर्मूला लागू करना होगा, बल्कि इसे 10वीं तक बढ़ाना भी होगा।

प्रिंसिपल को देना होना योग्यता टेस्ट
बोर्ड बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि सीबीएसई स्कूलों के सभी प्रिंसिपल को योग्यता टेस्ट पास करना होगा। बोर्ड मेंबर के एक अधिकारी ने बताया, “देखने में आया है कि स्कूल के मालिक की पत्नी या रिश्तेदार को ही प्रिंसिपल बना दिया जाता है। यह किसी भी स्कूल का प्रिंसिपल बनने की योग्यता नहीं है। इसलिए बोर्ड ने सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट के आधार पर ही प्रिंसिपलों के लिए एक टेस्ट तैयार किया है, जो उन्हें पास करना होगा।

दसवीं बोर्ड परीक्षा के दौरान स्टूडेंटस में बढ़ते तनाव और सुसाइड को मद्देनजर रखते हुए बतौर शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल ने 2011 में बोर्ड एग्जाम को खत्म कर दिया था
साल 2018 से सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई करने वाले सभी छात्रों को दसवीं बोर्ड परीक्षा अनिवार्य रूप से देनी होगी। इसके साथ ही सीबीएसई बोर्ड के सभी स्कूलों को दसवीं क्लास तक थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला लागू करना होगा। वर्तमान में यह फॉर्मूला सिर्फ आठवीं क्लास तक लागू था और अब स्कूलों के प्रिंसिपल को भी योग्यता टेस्ट देनी होगी। इन तीनों फैसलों पर आखिरी मुहर एचआरडी मंत्रालय को लगानी है।
10वीं तक थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के आंतर्गत आने वाले थ्री लैंगवेज फॉर्मूला का मतलब होता है – हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी और इंग्लिश के अलावा एक अन्य भारतीय मॉडर्न लैंग्वेज भी सिखानी होगी। वहीं, हिंदी भाषी से अलग राज्यों में हिंदी, इंग्लिश और एक स्थानीय भाषा सिखानी होगी। हालांकि 18 हजार स्कूलों में से अधिकतर में कक्षा आठ तक स्थानीय भाषा/हिंदी, इंग्लिश और एक विदेशी भाषा जैसे जर्मन आदि सिखाई जा रही है। बोर्ड ने कहा कि स्कूलों को ना सिर्फ यह फॉर्मूला लागू करना होगा, बल्कि इसे 10वीं तक बढ़ाना भी होगा।

प्रिंसिपल को देना होना योग्यता टेस्ट
बोर्ड बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि सीबीएसई स्कूलों के सभी प्रिंसिपल को योग्यता टेस्ट पास करना होगा। बोर्ड मेंबर के एक अधिकारी ने बताया, “देखने में आया है कि स्कूल के मालिक की पत्नी या रिश्तेदार को ही प्रिंसिपल बना दिया जाता है। यह किसी भी स्कूल का प्रिंसिपल बनने की योग्यता नहीं है। इसलिए बोर्ड ने सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट के आधार पर ही प्रिंसिपलों के लिए एक टेस्ट तैयार किया है, जो उन्हें पास करना होगा।

दसवीं बोर्ड परीक्षा के दौरान स्टूडेंटस में बढ़ते तनाव और सुसाइड को मद्देनजर रखते हुए बतौर शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल ने 2011 में बोर्ड एग्जाम को खत्म कर दिया था