नई दिल्ली, (अंकिता सिंह)| सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार
को कहा है कि एक अध्यादेश को फिर से जारी करना संविधान के साथ धोखाधड़ी है।
इसे दोबारा जारी करने के लिए राष्ट्रपति या राज्यपाल से अनुमति मिलना यह
सुनिश्चित नहीं करता है कि उसकी न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती।
इस बात का उल्लेख करते हुए कहा है कि किसी अध्यादेश का वही प्रभाव होता है, जो किसी पारित कानून का होता है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने 6-1 के बहुमत से कहा कि एक अध्यादेश को संसद या विधानसभा में पेश करना अनिवार्य है।
इस बात का उल्लेख करते हुए कहा है कि किसी अध्यादेश का वही प्रभाव होता है, जो किसी पारित कानून का होता है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने 6-1 के बहुमत से कहा कि एक अध्यादेश को संसद या विधानसभा में पेश करना अनिवार्य है।