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शिक्षा विभाग में साहब नहीं, यहा बाबुओं का चलता है सिक्का

जमुई। विद्यालयों में शिक्षकों के प्रतिनियोजन को रद करने का लगभग एक माह पूर्व जिलाधिकारी ने आदेश जारी किया था। एक माह बाद भी शिक्षा विभाग में इस दिशा में कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही है। दरअसल यहा साहब नहीं, बाबुओं का सिक्का चलता है। इस कारण जिलाधिकारी का यह आदेश मखौल बन कर रह गया है।

शिक्षा भवन के कायरें पर बाबुओं की पकड़ इतनी मजबूत है कि वैसे स्कूलों अथवा कार्यालयों को पत्र तक नहीं भेजा गया, जहा शिक्षक प्रतिनियुक्त हैं। 22 वर्षो से राजेंद्र प्रसाद पटना में प्रतिनियुक्त है। वैसे दर्जन भर शिक्षक हैं जो कई वर्षों से विभिन्न स्कूलों में प्रतिनियुक्त हैं। कई शिक्षक और शिक्षक नेता बाबुओं के प्रिय हैं। इनके प्रतिनियोजन में विभागीय नियमों को ताक पर रख दिया गया। सूत्रों के अनुसार शिक्षकों के प्रतिनियोजन के लिए एक रैकेट सक्रिय है। बहरहाल, अगस्त महीने में शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए डीएम ने प्रतिनियोजन रद करने संबंधी आदेश का कड़ाई से पालन करने का बीईओ को निर्देश दिया था। खैरा प्रखंड के बुनियादी विद्यालय, दाबिल में पाच शिक्षक प्रतिनियुक्त हैं, लेकिन प्रतिनियोजन रद कर मूल विद्यालय में योगदान देने का आदेश इन्हें नहीं दिया गया। इसी प्रकार खैरा व चकाई के शिक्षक नगर क्षेत्र में प्रतिनियोजित हैं। ये भी मूल विद्यालय में नहीं लौटे हैं। सभी प्रखंडों के संकुल संसाधन केंद्रों में शिक्षकों का प्रतिनियोजन किया गया है। यह नियम के विरुद्ध है। जमुई संकुल संसाधन केंद्र में आधा दर्जन शिक्षक प्रतिनियोजन पर हैं।
ये हैं प्रतिनियुक्त शिक्षक
पवन कुमार सिंह, सचिन प्रसाद केशरी, दुर्गा पांडेय, श्यामसुंदर पाडेय, ऋतिक रौशन, रवींद्र सिंह, सुभाष यादव, जाहिद अंसारी, संजीव सिन्हा, पवन कुमार।
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'प्रतिनियोजन रद करने संबंधी पत्र स्कूलों को भेजा गया है। मूल विद्यालय में योगदान नहीं देने वाले शिक्षकों का वेतन स्थगित रहेगा।'
- सुरेंद्र कुमार सिन्हा

जिला शिक्षा पदाधिकारी, जमुई।
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