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कार्रवाईः बिहार टॉपर्स घोटाले में 32 पर चार्जशीट दायर, एसआइटी ने कोर्ट में दाखिल किया घोटाले का कच्चा चिट्ठा

पटना।  बिहार बोर्ड के टॉपर घोटाले में सोमवार को निगरानी की विशेष अदालत (प्रथम) में एसआइटी ने बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह समेत 32 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया. देर शाम कोतवाली थाने से लोहे की दो बक्सों में बंद घोटाले का कच्चा चिट्ठा चार्जशीट के साथ कोर्ट में पेश किया गया.
कुल 25 जब्ती सूची कोर्ट को मुहैया करायी गयी है, जिसके आधार पर घोटाले का आरोप अदालत के सामने पुलिस साबित करेगी. 4124 पेजों की केस डायरी, दो पेजों की चार्जशीट के साथ सभी साक्ष्य निगरानी के विशेष जज राघवेंद्र कुमार सिंह के समक्ष पेश किये गये.  आरोपपत्र के अनुसार इंटर परीक्षा, 2016 की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में सरकारी पद का भ्रष्ट दुरुपयोग कर निजी लाभ के लिए एक अपराधिक षड्यंत्र के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी कर मेरिट लिस्ट बनायी गयी थी. मामला उजागर होने पर मेरिट लिस्ट के छात्र और छात्राओं को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और उन्हें अयोग्य पाने के बाद प्राथमिकी दर्ज कर एसआइटी ने अनुसंधान किया.

मालूम हो कि मीडिया में टॉपर्स के बयान देखने के बाद छह जून, 2016 को कोतवाली थाने में बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया. जांच आगे बढ़ने के बाद इस घोटाले का परदाफाश होता गया और इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई. जिन लोगों के िखलाफ चार्जशीट दायर िकया गया है, उनमें पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह व उनकी पत्नी पूर्व विधायक उषा सिन्हा, वैशाली के वीआर कॉलेज का प्राचार्य अमित कुमार उर्फ बच्चा राय, पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा व श्रीनिवास चंद तिवारी, राहुल कुमार, सौरभ श्रेष्ठ, आस्था श्रीवास्तव, रूबी राय, शंभुनाथ दास, संजीव कुमार सुमन, विशेश्वर प्रसाद यादव, रंजीत कुमार मिश्रा, शैल कुमारी, अजित शक्तिमान, संदीप कुमार झा, अनिल कुमार, वीणा कुमारी सिन्हा,  प्रभात कुमार जायसवाल, नंदकिशोर यादव, डॉ कुमारी शंकुतला, निशू सिंह, रीता कुमारी,  विकास चंद्रा,  रामभूषण झा, अजय कुमार सिंह, विनोद चंद्र झा, सुरेंद्र प्रसाद, चंद्रमणि प्रसाद सिंह, अरुण कुमार सिंह, ओमप्रकाश सिन्हा और राहुल राज शामिल हैं.
 आपको बता दें कि इंटर टॉपर्स घोटाले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि हम जिसे जिम्मेदारी देते  हैं, उस पर विश्वास करते हैं और भरोसे पर चलते हैं, लेकिन अगर कोई भरोसा  तोड़ता है, तो उसकी खैर नहीं. गलती की, तो उसकी सजा मिलेगी ही और मिल भी  रही है. इसमें बिहार नजीर बनेगा. मुख्यमंत्री ने शिक्षक दिवस पर श्रीकृष्ण  मेमोरियल हॉल में आयोजित राजकीय शिक्षा पुरस्कार समारोह उद्घाटन करते हुए कहा कि इंटर  परीक्षा में जो धांधली हुई, भ्रष्टाचार हुआ,  उसकी लोग जांच की मांग कर रहे  थे.  हमने कहा कि जांच की जरूरत ही नहीं है. पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर सीधे  कार्रवाई शुरू करे और कार्रवाई हो रही है. गड़बड़ी करनेवालों को बख्शा नहीं जायेगा.उन्होंने कहा कि ऐसी घटना हो जाती है, तो और चीजों की बेहतरी होती है. नीतीश ने घटना  को उजागर करने के लिए मीडिया को धन्यवाद दिया. कहा, इस कारण से शिक्षा व्यवस्था और मजबूत हुई है. जब तक धांधली की संभावना को समाप्त नहीं कर देते हैं, तब तक  चैन से नहीं बैठेंगे. शिक्षा विभाग की भी यह प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हर पहलू पर गौर किया जा रहा है.  बिहार में हमने इसे चुनौती के रूप में लिया है. मेरिट का टेस्ट पारदर्शी  तरीके से होना चाहिए.
 गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने राजकीय शिक्षा पुरस्कार समारोह में राज्य के शिक्षकों से प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक गुणवत्ता लाने का आह्वान किया. कहा कि हम संस्थान बहुत बना देंगे, लेकिन गुणवत्ता तो शिक्षकों पर ही निर्भर है. बिहार कितना विकसित करेगा, यह भी शिक्षकों के हाथ में है.  शिक्षक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. मुख्यमंत्री ने सभी विश्वविद्यालयों से भी कहा कि मैं विश्वविद्यालयों की शिक्षा में हस्तक्षेप में विश्वास नहीं करता हूं, लेकिन मेरी चाहत है कि विश्वविद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई का वातावरण ठीक हो. विश्वविद्यालयों में एकेडमिक कैलेंडर बने व उसका पालन हो और कुछ नहीं चाहिए. इसका पालन नहीं करेंगे, तो विश्वविद्यालय मूल अवधारणा से पथभ्रष्ट हो जायेगा. विश्वविद्यालयों में समय पर पढ़ाई, परीक्षा और रिजल्ट मिले, ताकि सेशन देर होने से जो यूथ (छात्र-छात्राएं) सफर कर रहे हैं, उन्हें परेशानी न हो. मुख्यमंत्री ने कहा, शिक्षा में गुणवत्ता ऐसा सवाल है, जिसकी चर्चा दुनिया भर में है. बिहार पिछड़ा राज्य है, इसलिए गुणवत्ता की जरूरत नहीं है, ऐसा नहीं है. कई विकसित राष्ट्रों में भी यह चिंता है. जिस स्टेज को प्राप्त करेंगे, उससे बेहतर मुकाम हासिल करेंगे. इसमें सतत ध्यान देना होगा. समय पर शिक्षा देनी होगी. शिक्षा के क्षेत्र में हमने कठिन राह तय की है. पर अभी मीलों जाना है और अागे बढ़ते जाना है. बिहार में अनेक पहल हुई.  स्कूलों से साढ़े 12% बच्चे बाहर थे, अब एक प्रतिशत से कम बच्चे ही बाहर रह गये हैं. पोशाक योजना के बाद लड़कियों के लिए  आयी साइकिल योजना से सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत हुई है. लोगों की मानसिकता व सोच में परिवर्तन आया. शिक्षकों की संख्या भी स्कूलों में बढ़ी, लेकिन अब गुणवत्ता बड़ी चुनौती है. सरकार इसके लिए प्रयत्नशील भी है.  बिहार में शिक्षकों की ट्रेनिंग की कमी थी. अब वर्ल्ड बैंक से इसके लिए ऋण लिया गया है. इसके जरिये ट्रेनिंग का पुख्ता इंतजाम किया जा रहा है.
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