कुव्यवस्था. इंदिरा उच्च विद्यालय के दो कमरों में होती है 425 छात्रों की पढ़ाई
जिले की शिक्षा व्यवस्था किस कदर उच्च स्तरीय है, जिसका नमूना इंदिरा
हाइस्कूल में देख्ने को मिल जायेगा, जहां दो कमरों में 425 छात्र बैठ कर
पढ़ाई करते हैं. यही नहीं यहां हिंदी व संस्कृत विषय के शिक्षक साइंस
विषयों की पढ़ाई कराते हैं़ विद्यालय में नौ शिक्षकों का पद है, लेकिन
वर्तमान में मात्र चार शिक्षक ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
बक्सर : जिले में एक ऐसा भी हाइस्कूल है, जहां हिंदी के शिक्षक
फिजिक्स व केमेस्ट्री के सूत्र सुलझाते हैं. इतना ही नहीं बच्चों को जीव
विज्ञान का पाठ व अंगरेजी भी यही शिक्षक पढ़ाते हैं. आपको जान कर थोड़ा
अटपटा लग सकता है कि भला हिंदी व संस्कृत के टीचर विज्ञान कैसे पढ़ा पाते
होंगे, पर यह बात सोलह आने सच है. अगर विश्वास नहीं हो रहा हो, तो आप शहर
के जेल रोड स्थित इंदिरा हाइस्कूल जाकर कभी भी इसका जांच कर सकते हैं.
ऐसे में इस स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों के भविष्य कैसा होगा, इसका
अंदाजा आप सहज ही लगा सकते हैं. गौर करनेवाली बात है कि जब जिला मुख्यालय
स्थित हाइस्कूल का हाल यह है, तो अन्य स्कूलों को का क्या हाल होगा. बता
दें कि सरकार व जिला प्रशासन द्वारा सरकारी विद्यालयों में बच्चों की 75
फीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर दी गयी है. इसके लिए स्कूल प्रबंधन भी लगातार
कोशिश कर रहा है. अभिभावकों के साथ बैठक कर उनके बच्चों को नियमित विद्यालय
भेजने का आग्रह भी करता है, लेकिन शिक्षकों के अभाव में जिला प्रशासन व
सरकार का यह प्रयास बेमानी साबित हो रहा है
. जानकारी के अनुसार शहर के इस चर्चित हाइस्कूल में महज चार शिक्षक ही
तैनात हैं. जबकि शिक्षकों का पद नौ है. उसमें भी विज्ञान व अंगरेजी सहित
कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं हैं. वहीं, स्कूल में समुचित सुविधाओं
का भी घोर अभाव है. ऐसे में छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए
स्तरीय शिक्षकों से पढ़ाई के लिए विद्यालय छोड़ना छात्र-छात्राओं की मजबूरी
बन गयी है. बावजूद विद्यालय प्रबंधन द्वारा इन्हीं शिक्षकों के सहयोग
प्रतिदिन आठ घंटी की पढ़ाई करवायी जाती है.
बरामदे में बैठ पढ़ाई करते हैं छात्र
संसाधनों का अभाव झेल रहे इस विद्यालय में पठन-पाठन के लिए महज दो
कमरों की व्यवस्था है. ऐसे में इन्हीं दो कमरों में स्कूल के साढ़े चार सौ
छात्रों को पढ़ने को विवश होना पड़ रहा. अब इसका अंदाजा लगाया जा सकता है
कि दो कमरों में सभी विषयों की पढ़ाई कैसे की जाती होगी. जानकारी के अनुसार
इंदिरा उच्च विद्यालय में सिर्फ छह कमरे हैं. एक कमरे में प्रिंसिपल चैंबर
व पुस्तकालय और ऑफिस चलता है. दूसरे कमरे में शिक्षक कमरा के रूप में
निर्धारित हैं. तीसरे में प्रैक्टिकल की व्यवस्था है. जबिक चौथे में
कंप्यूटर का लैब है. ऐसे में पठन-पाठन के लिए महज दो ही कमरे शेष बच गये
हैं. जबकि स्कूल में नामांकित बच्चों की संख्या 425 है. इस स्थिति में
इन्हीं दोनों कमरों व बरामदों में बच्चों की क्लास लगती है.
खेल का नहीं है मैदान
विद्यालय के आसपास सरकार की परती जमीन थी, जिस पर स्थानीय लोगों
द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है. इसके कारण विद्यालय का अपना खेल मैदान
नहीं है. ऐसे में छात्रों को खेलकूद से वंचित होना पड़ रहा है. वहीं,
अतिक्रमण के कारण विद्यार्थियों को प्रार्थना भी विद्यालय के बरामदे में ही
करनी पड़ती है.
नौ िशक्षकों की जगह विद्यालय में पढ़ा रहे मात्र चार शिक्षक
कोर्स पूरा करने के लिए बाहरी शिक्षकों की लेनी पड़ती है मदद
इंदिरा कन्या हाइस्कूल में संसाधनों के साथ-साथ शिक्षकों का भी अभाव
है. ऐसे में इस स्कूल में पढ़नेवाले छात्रों का कोर्स पूरा नहीं हो पाता
है. इसके लिए इस स्कूल में पढ़नेवालों छात्रों को ट्यूशन व कोचिंग का सहारा
लेना पड़ता है. बताया जाता है कि इंदिरा उच्च विद्यालय में शिक्षकों के
स्वीकृत पद नौ हैं. जबकि पदस्थापित महज चार हैं. ऐसे में कैसे होगी छात्रों
की पढ़ाई.छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का महत्वपूर्ण हिस्सा विज्ञान विषय के
एक भी शिक्षक विद्यालय में नहीं हैं. विद्यालय में विज्ञान, अंगरेजी,
संस्कृत, खेलकूद शिक्षक, सामाजिक विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं. इसलिए
विद्यार्थियों को बाहरी शिक्षकों पर निर्भर रहना पड़ता है.
425 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं स्कूल में
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