खरोरा के प्राइमरी स्कूल में कान्वेंट जैसा माहौल और बच्चों की स्मार्टनेस
देखकर शिक्षा अधिकारी हैरान रह गए। बच्चों के फर्राटेदार जवाब सुनकर डीईओ
राकेश पांडेय ने कहा कि ढाई महीने में बच्चों के भीतर यह रिस्पांस देखकर
अवाक हूं। इमानदार कोशिश हुई है, गुणवत्ता में सुधार आया है।
स्कूल के पौधरोपण कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे शिक्षा अधिकारी शिक्षा की गुणवत्ता देखने सीधे बच्चों मिले। पहली कक्षा के बच्चों की जुबान पर देश-दुनिया की जानकारी ने साबित किया कि अनुशासित प्रयास से बुनियादी शिक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
पौधरोपण के दौरान बेहद शालीन और अनुशासित ढंग से बच्चों ने अतिथियों का स्वागत कर जिंदगी में पेड़ों की महत्ता बताई। बच्चों की प्रतिभा देखकर शिक्षा अधिकारियों ने कहा कि पहली कक्षा के बच्चों का स्तर देखकर पूरे स्कूल का अंदाजा लग रहा है। पहली के बच्चे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत प्रदेश व महासमुंद की जानकारी दे रहे थे। दूसरी कक्षा के बच्चों ने भी प्रसंग विधि के जरिए दी जा रही शिक्षा के आधार पर मौजूद लोगों को गीत और कविताएं सुनाईं। संकुल समन्वयक जागेश्वर सिन्हा ने बताया कि गुणवत्ता सुधारने नई पहल और शिक्षकों की मेहनत ने खरोरा को माॅडल स्कूल के रूप में विकसित किया है। पहली और दूसरी कक्षा में प्रहसन विधि से प्रशिक्षित शिक्षक अध्यापन करा रहे हैं। अब उनकी मेहनत के नतीजे भी दिखने लगे हैं। बुनियादी कक्षा को इस मुकाम पर खड़ा करने वाले शिक्षक को सम्मानित करने का प्रस्ताव भी है।
25 स्कूलों में यह प्रयास
कविता और प्रहसन के जरिए बच्चों में झिझक दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। ब्लॉक के 25 स्कूलों को चिह्नांकित किया गया है कि खरोरा की तरह शिक्षा दी जाए। शिक्षक भी इस दिशा में खूब मेहनत कर रहे हैं। यही वजह है कि शिक्षा के साथ बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास हो रहा है। पीके शर्मा, बीईओ, महासमुंद
अफसरों से बच्चे घबराए नहीं, देख हुए उत्साहित
गांव के स्कूल में अक्सर अफसरों की छवि को डरावना बताया जाता है। वहीं खरोरा स्कूल में बच्चे अफसरों को देख घबराए नहीं, बल्कि उत्साहित हो स्वागत करने फूल लेकर आगे बढ़े। अतिथियों के प्रति स्कूली बच्चों में स्वागत के इस संस्कार को शिक्षा अधिकारियों ने पूरे जिले के लिए प्रेरणास्पद बताया।
पहली कक्षा के बच्चे ढाई महीने में राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अफसरों के नाम से वाकिफ हैं। हाल ही में बिहार बोर्ड से टाॅपर घोषित हुई 12वीं की छात्रा को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर मालूम नहीं था। यही सवाल यहां के बच्चों ने हाजिर जवाबी में बता दिया।
ढाई महीने में राष्ट्रपति से लेकर जनप्रतिनिधियों से वाकिफ
शिक्षा की गुणवत्ता स्तर का आंकलन करने पहुंचे डीईओ और बीईओ को अपनी हाजिर जवाबी से प्रभावित करते बच्चे।
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स्कूल के पौधरोपण कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे शिक्षा अधिकारी शिक्षा की गुणवत्ता देखने सीधे बच्चों मिले। पहली कक्षा के बच्चों की जुबान पर देश-दुनिया की जानकारी ने साबित किया कि अनुशासित प्रयास से बुनियादी शिक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
पौधरोपण के दौरान बेहद शालीन और अनुशासित ढंग से बच्चों ने अतिथियों का स्वागत कर जिंदगी में पेड़ों की महत्ता बताई। बच्चों की प्रतिभा देखकर शिक्षा अधिकारियों ने कहा कि पहली कक्षा के बच्चों का स्तर देखकर पूरे स्कूल का अंदाजा लग रहा है। पहली के बच्चे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत प्रदेश व महासमुंद की जानकारी दे रहे थे। दूसरी कक्षा के बच्चों ने भी प्रसंग विधि के जरिए दी जा रही शिक्षा के आधार पर मौजूद लोगों को गीत और कविताएं सुनाईं। संकुल समन्वयक जागेश्वर सिन्हा ने बताया कि गुणवत्ता सुधारने नई पहल और शिक्षकों की मेहनत ने खरोरा को माॅडल स्कूल के रूप में विकसित किया है। पहली और दूसरी कक्षा में प्रहसन विधि से प्रशिक्षित शिक्षक अध्यापन करा रहे हैं। अब उनकी मेहनत के नतीजे भी दिखने लगे हैं। बुनियादी कक्षा को इस मुकाम पर खड़ा करने वाले शिक्षक को सम्मानित करने का प्रस्ताव भी है।
25 स्कूलों में यह प्रयास
कविता और प्रहसन के जरिए बच्चों में झिझक दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। ब्लॉक के 25 स्कूलों को चिह्नांकित किया गया है कि खरोरा की तरह शिक्षा दी जाए। शिक्षक भी इस दिशा में खूब मेहनत कर रहे हैं। यही वजह है कि शिक्षा के साथ बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास हो रहा है। पीके शर्मा, बीईओ, महासमुंद
अफसरों से बच्चे घबराए नहीं, देख हुए उत्साहित
गांव के स्कूल में अक्सर अफसरों की छवि को डरावना बताया जाता है। वहीं खरोरा स्कूल में बच्चे अफसरों को देख घबराए नहीं, बल्कि उत्साहित हो स्वागत करने फूल लेकर आगे बढ़े। अतिथियों के प्रति स्कूली बच्चों में स्वागत के इस संस्कार को शिक्षा अधिकारियों ने पूरे जिले के लिए प्रेरणास्पद बताया।
पहली कक्षा के बच्चे ढाई महीने में राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अफसरों के नाम से वाकिफ हैं। हाल ही में बिहार बोर्ड से टाॅपर घोषित हुई 12वीं की छात्रा को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर मालूम नहीं था। यही सवाल यहां के बच्चों ने हाजिर जवाबी में बता दिया।
ढाई महीने में राष्ट्रपति से लेकर जनप्रतिनिधियों से वाकिफ
शिक्षा की गुणवत्ता स्तर का आंकलन करने पहुंचे डीईओ और बीईओ को अपनी हाजिर जवाबी से प्रभावित करते बच्चे।
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