पटना। बिहार सरकार ने बीपीएससी की ओर से चल रही असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए BPSC को इस संबंध में निर्देश दिए हैं। प्रक्रिया के तहत मैथिली भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति पूरी हो चुकी है। असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के चल रही प्रक्रिया में छह विषयों का इंटरव्यू हो चुका है जबकि छह रिजल्ट्स (दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, गणित, रसायन व भौतिकी) अभी पेंडिंग पड़ा हुआ है।
इन छह विषयों का रिजल्ट तैयार है पर हाईकोर्ट में पेंडिंग है। इनके अतिरिक्त 33 विषयों में अभी इंटरव्यू होना बाकी है। गौरतलब है कि राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए सितंबर, 2014 में प्रक्रिया शुरू हुई थी।
राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल राज्य की नौकरियों में स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए अधिक सीटें आरक्षित किए जाने की मांग कर रहे थे। इसी घटनाक्रम के चलते राज्य सरकार ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) से सहायक प्रोफेसर (Assistant Professor) के पद पर भर्ती करने पर रोक लगाने कहा है। शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार ने बीपीएससी को प्रदेश के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए जारी साक्षात्कार पर रोक लगाने को कहा है।
बीपीएससी के सचिव प्रभात कुमार सिन्हा ने बताया कि अभी उन्हें इस संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन जो भी सरकार द्वारा निर्देश दिए जाएंगे आयोग उसका अनुपालन करेगा। नए आदेश के अनुसार सरकार ने पूर्ण हो चुकी इंटरव्यू प्रक्रिया को पूरा कराने का निर्णय लिया है। बचे विषयों में नियुक्ति की प्रक्रिया रोक दी गई है।
गौरतलब है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने प्रदेश की सरकारी नौकरियों तथा राज्य के अधीनस्थ शिक्षण संस्थानों में स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग करते हुए कहा था कि अंग्रेजी विषय में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति में अधिकतम बाहरी उम्मीदवारों को चुना गया है।
भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी लालू यादव की मांग का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहायक प्रोफेसर की जारी भर्ती पर तत्काल रोक लगाने और यूजीसी के 2009 के दिशानिर्देश को लागू करने की मांग की थी ताकि उस समय तक पीएचडी कर चुके प्रदेश के 35000 अभ्यर्थियों को इस साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर मिल सके।
मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया यूजीसी के 2009 के रेगुलेशन के तहत चल रही थी, जिसमें 2009 के पहले पीएचडी करने वालों के लिए भी नेट अनिवार्य था। हालांकि पिछले महीने ही यूजीसी ने इस नियम में राहत देते हुए कहा था कि 2009 से पहले पीएचडी करने वालों के लिए नेट अनिवार्य नहीं होगा।
नए नियमानुसार होगी भर्ती
शिक्षा विभाग नए सिरे से असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति का स्टैच्यूट (परिनियम) बनवाएगा। इसमें यूजीसी के नए रेगुलेशन के तहत वंचित अभ्यर्थियों को शामिल कराने के लिए नियमावली बना बीपीएससी को दी जाएगी। यूजीसी द्वारा जुलाई में जारी अधिसूचना के अनुसार अब कोई भी पीएचडी या नेट पास सहायक प्रोफेसर बन सकता है। राज्य सरकार ने यूजीसी की इस अधिसूचना को लागू कराने का निर्णय लिया है।
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इन छह विषयों का रिजल्ट तैयार है पर हाईकोर्ट में पेंडिंग है। इनके अतिरिक्त 33 विषयों में अभी इंटरव्यू होना बाकी है। गौरतलब है कि राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए सितंबर, 2014 में प्रक्रिया शुरू हुई थी।
राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल राज्य की नौकरियों में स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए अधिक सीटें आरक्षित किए जाने की मांग कर रहे थे। इसी घटनाक्रम के चलते राज्य सरकार ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) से सहायक प्रोफेसर (Assistant Professor) के पद पर भर्ती करने पर रोक लगाने कहा है। शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार ने बीपीएससी को प्रदेश के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए जारी साक्षात्कार पर रोक लगाने को कहा है।
बीपीएससी के सचिव प्रभात कुमार सिन्हा ने बताया कि अभी उन्हें इस संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन जो भी सरकार द्वारा निर्देश दिए जाएंगे आयोग उसका अनुपालन करेगा। नए आदेश के अनुसार सरकार ने पूर्ण हो चुकी इंटरव्यू प्रक्रिया को पूरा कराने का निर्णय लिया है। बचे विषयों में नियुक्ति की प्रक्रिया रोक दी गई है।
गौरतलब है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने प्रदेश की सरकारी नौकरियों तथा राज्य के अधीनस्थ शिक्षण संस्थानों में स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग करते हुए कहा था कि अंग्रेजी विषय में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति में अधिकतम बाहरी उम्मीदवारों को चुना गया है।
भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी लालू यादव की मांग का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहायक प्रोफेसर की जारी भर्ती पर तत्काल रोक लगाने और यूजीसी के 2009 के दिशानिर्देश को लागू करने की मांग की थी ताकि उस समय तक पीएचडी कर चुके प्रदेश के 35000 अभ्यर्थियों को इस साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर मिल सके।
मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया यूजीसी के 2009 के रेगुलेशन के तहत चल रही थी, जिसमें 2009 के पहले पीएचडी करने वालों के लिए भी नेट अनिवार्य था। हालांकि पिछले महीने ही यूजीसी ने इस नियम में राहत देते हुए कहा था कि 2009 से पहले पीएचडी करने वालों के लिए नेट अनिवार्य नहीं होगा।
नए नियमानुसार होगी भर्ती
शिक्षा विभाग नए सिरे से असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति का स्टैच्यूट (परिनियम) बनवाएगा। इसमें यूजीसी के नए रेगुलेशन के तहत वंचित अभ्यर्थियों को शामिल कराने के लिए नियमावली बना बीपीएससी को दी जाएगी। यूजीसी द्वारा जुलाई में जारी अधिसूचना के अनुसार अब कोई भी पीएचडी या नेट पास सहायक प्रोफेसर बन सकता है। राज्य सरकार ने यूजीसी की इस अधिसूचना को लागू कराने का निर्णय लिया है।
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