बिहार प्रदेश सरकार ने बिहार प्रदेश सर्विस कमीशन (BBSC) की ओर से चल रही
असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. फैसले से
संबंधित निर्देश बीपीएससी को भेजे जाएंगे. राज्य के विश्व विद्यालयों में
असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए सितंबर 2014 में ही प्रक्रिया
शुरू हुई थी.
गौरतलब है कि बिहार के भीतर बोली जानी वाली मैथिली भाषा के प्रोफेसरों की नियुक्ति हो चुकी है. अंग्रेजी का रिजल्ट जारी किया जा चुका है. सरकार ने पूरी हो चुकी इंटरव्यू प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया है. बचे विषयों में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है.
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गौरतलब है कि बिहार के भीतर बोली जानी वाली मैथिली भाषा के प्रोफेसरों की नियुक्ति हो चुकी है. अंग्रेजी का रिजल्ट जारी किया जा चुका है. सरकार ने पूरी हो चुकी इंटरव्यू प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया है. बचे विषयों में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है.
आखिर क्या है पूरा मामला?
मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया यूजीसी के 2009 के रेगुलेशन के तहत चल रहा थी. इसके अंतर्गत 2009 के पहले डॉक्टरेट करने वालों के लिए भी नेट अनिवार्य था. यूजीसी ने पिछले महीने ऐसी राहत दी थी कि 2009 से पहले डॉक्टरेट करने वालों के लिए नेट अनिवार्य नहीं होगा. नियुक्ति प्रक्रिया के बीच यूजीसी से मिली राहत पर अमल न होने की वजह से इस पर जम कर राजनीति हुई.
शिक्षा मंत्री और अधिकारी क्या कहते हैं?
बिहार प्रदेश के शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने विधान मंडल के मानसून सत्र में ऐसी घोषणा की थी कि असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति प्रक्रिया में बिहारी अभ्यर्थियों को राहत दी जाएगी. इसी घोषणा की वजह से रोक लगी है. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ डीएस गंगवार की अध्यक्षता में शुक्रवार को एक बैठक हुई और इस पर रोक लगाने का फैसला लिया गया.
सरकार तैयार करेगी नया परिनियम...
शिक्षा विभाग नए सिरे से असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए स्टैच्यूट (परिनियम) तैयार करेगा. इसमें यूजीसी के नए रेगुलेशन के तहत वंचित अभ्यर्थियों को शामिल कराने के लिए नियमावली बना कर बीपीएससी को दी जाएगी. यूजीसी ने जुलाई में जारी अधिसूचना में 2009 के प्रावधानों को कुछ हद तक शिथिल किया है. अब कोई भी पीएचडी धारक या नेट पास सहायक प्रोफेसर बन सकता है. राज्य सरकार ने यूजीसी की इस अधिसूचना को लागू कराने का निर्णय लिया है.
33 विषयों का इंटरव्यू बाकी है...
ज्ञात
हो कि बीपीएससी ने 8 विषयों की प्रक्रिया पूरी कर ली है. 33 विषयों का
इंटरव्यू प्रक्रिया अधूरी है. नए आदेश के बाद बीपीएससी पहले इसकी समीक्षा
कराएगी. यूजीसी के नए नियम के लागू होने के बाद अभ्यर्थियों की संख्या काफी
बढ़ जाएगी. मेधा के आधार पर स्क्रूटनी के लिए परीक्षा भी ली जा सकती है.
इसके अलावा 6 अन्य विषय दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, गणित,
रसायन और भौतिकी का रिजल्ट तैयार होने के बाद भी हाईकोर्ट में पेंडिंग है. मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया यूजीसी के 2009 के रेगुलेशन के तहत चल रहा थी. इसके अंतर्गत 2009 के पहले डॉक्टरेट करने वालों के लिए भी नेट अनिवार्य था. यूजीसी ने पिछले महीने ऐसी राहत दी थी कि 2009 से पहले डॉक्टरेट करने वालों के लिए नेट अनिवार्य नहीं होगा. नियुक्ति प्रक्रिया के बीच यूजीसी से मिली राहत पर अमल न होने की वजह से इस पर जम कर राजनीति हुई.
शिक्षा मंत्री और अधिकारी क्या कहते हैं?
बिहार प्रदेश के शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने विधान मंडल के मानसून सत्र में ऐसी घोषणा की थी कि असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति प्रक्रिया में बिहारी अभ्यर्थियों को राहत दी जाएगी. इसी घोषणा की वजह से रोक लगी है. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ डीएस गंगवार की अध्यक्षता में शुक्रवार को एक बैठक हुई और इस पर रोक लगाने का फैसला लिया गया.
सरकार तैयार करेगी नया परिनियम...
शिक्षा विभाग नए सिरे से असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए स्टैच्यूट (परिनियम) तैयार करेगा. इसमें यूजीसी के नए रेगुलेशन के तहत वंचित अभ्यर्थियों को शामिल कराने के लिए नियमावली बना कर बीपीएससी को दी जाएगी. यूजीसी ने जुलाई में जारी अधिसूचना में 2009 के प्रावधानों को कुछ हद तक शिथिल किया है. अब कोई भी पीएचडी धारक या नेट पास सहायक प्रोफेसर बन सकता है. राज्य सरकार ने यूजीसी की इस अधिसूचना को लागू कराने का निर्णय लिया है.
33 विषयों का इंटरव्यू बाकी है...
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