पटना [वेब डेस्क]। बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खर्च का हिसाब देने के लिए जिम्मेदारी तय करने
की बात कही। उन्होंने कड़ा रूख दिखाते हु्ए कहा कि कुछ भी करना पड़े, कीजिए
लेकिन हर हाल में खर्च का हिसाब समय पर आ जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चूंकि इससे आगे की योजनाएं जुड़ी रहती हैं और सरकार जो पैसे देती है उसका पूर्ण सदुपयोग होना चाहिए। इसीलिए अब इसमें गोलमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कक्षाओं में छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति को बढ़ाने के ठोस उपाय किए जाने चाहिए, साथ ही शैक्षणिक कैलेंडर और वित्तीय प्रबंधन को भी दुरुस्त किया जाना चाहिए।
सीएम बोले - खर्च का हिसाब समय पर आए
नीतीश कुमार बुधवार को अफसरों के साथ बैठकर उच्च शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बैठक में समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिए असरदार तंत्र बनाने की बात तय हुई। सरकार, इन सभी मसलों पर विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी करेगी। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों को जारी की जाने वाली राशि के खर्च का
हिसाब समय पर नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई।
नीतीश कुमार ने कहा कि समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिलने से उच्च शिक्षा में विकास की गति तेज नहीं हो रही है। उन्होंने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के कार्यों को असंतोषजनक माना और कहा कि विश्वविद्यालय सत्र नियमित करें। विश्वविद्यालय व कॉलेजों में बेहतर शैक्षणिक माहौल बने।निर्धारित समय में कक्षाएं, कक्षाओं में छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति के लिए कार्यक्रम बने। नामांकन की स्थिति में सुधार हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सभी तबके में उच्च शिक्षा के प्रति भरोसे का माहौल बनेगा, तभी सरकार का उद्देश्य सफल होगा। उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ेगा तो निश्चित तौर पर छात्र-छात्राओं का भी रुझान बढ़ेगा।
समय पर परीक्षा और रिजल्ट देने की व्यवस्था करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय में समय पर परीक्षा और रिजल्ट देने की व्यवस्था करने को कहा, ताकि विद्यार्थियों को आगे के कैरियर के लिए परेशानी न हो। उन्होंने अफसरों से कहा कि सरकार के सात निश्चय में उच्च शिक्षा पर विशेष जोर है। उच्च शिक्षा में नामांकन के लिए सरकार छात्रों को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड दे रही है।
नीतीश ने कहा कि अगर सूबे में बच्चों को बेहतर माहौल मिलेगा, तो राज्य का पैसा राज्य में ही रहेगा। सारे काम इसी हिसाब से हों। उनका कहना था कि शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय राशि जारी होने के साथ ही उसकी मॉनीटरिंग में जुटें। निर्धारित समय में उपयोगिता प्रमाण पत्र लिया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार, सीएम के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव अतीश चंद्रा, शिक्षा विभाग के अपर सचिव के. सेंथिल कुमार, वित्त विभाग के सचिव राहुल सिंह, सीएम के ओएसडी गोपाल सिंह, उच्च शिक्षा निदेशक डा. खालिद मिर्जा समेत विभाग के तमाम वरीय पदाधिकारी मौजूद थे।
विश्वविद्यालय में वित्तीय प्रबंधन जरूरी
सीएम ने कहा कि विश्वविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन जरूरी है। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन वित्तीय अनियमितता को रोकने में सफल नहीं होते हैं तो संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
दो नए विश्वविद्यालयों के लिए विस्तृत प्रस्ताव बनेगा
बैठक में बीएन मंडल विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार को बांटकर पूर्णिया विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय के कुछ कॉलेजों के लिए पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के गठन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। विभाग को विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया।
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उन्होंने कहा कि चूंकि इससे आगे की योजनाएं जुड़ी रहती हैं और सरकार जो पैसे देती है उसका पूर्ण सदुपयोग होना चाहिए। इसीलिए अब इसमें गोलमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कक्षाओं में छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति को बढ़ाने के ठोस उपाय किए जाने चाहिए, साथ ही शैक्षणिक कैलेंडर और वित्तीय प्रबंधन को भी दुरुस्त किया जाना चाहिए।
सीएम बोले - खर्च का हिसाब समय पर आए
नीतीश कुमार बुधवार को अफसरों के साथ बैठकर उच्च शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बैठक में समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिए असरदार तंत्र बनाने की बात तय हुई। सरकार, इन सभी मसलों पर विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी करेगी। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों को जारी की जाने वाली राशि के खर्च का
हिसाब समय पर नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई।
नीतीश कुमार ने कहा कि समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिलने से उच्च शिक्षा में विकास की गति तेज नहीं हो रही है। उन्होंने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के कार्यों को असंतोषजनक माना और कहा कि विश्वविद्यालय सत्र नियमित करें। विश्वविद्यालय व कॉलेजों में बेहतर शैक्षणिक माहौल बने।निर्धारित समय में कक्षाएं, कक्षाओं में छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति के लिए कार्यक्रम बने। नामांकन की स्थिति में सुधार हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सभी तबके में उच्च शिक्षा के प्रति भरोसे का माहौल बनेगा, तभी सरकार का उद्देश्य सफल होगा। उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ेगा तो निश्चित तौर पर छात्र-छात्राओं का भी रुझान बढ़ेगा।
समय पर परीक्षा और रिजल्ट देने की व्यवस्था करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय में समय पर परीक्षा और रिजल्ट देने की व्यवस्था करने को कहा, ताकि विद्यार्थियों को आगे के कैरियर के लिए परेशानी न हो। उन्होंने अफसरों से कहा कि सरकार के सात निश्चय में उच्च शिक्षा पर विशेष जोर है। उच्च शिक्षा में नामांकन के लिए सरकार छात्रों को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड दे रही है।
नीतीश ने कहा कि अगर सूबे में बच्चों को बेहतर माहौल मिलेगा, तो राज्य का पैसा राज्य में ही रहेगा। सारे काम इसी हिसाब से हों। उनका कहना था कि शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय राशि जारी होने के साथ ही उसकी मॉनीटरिंग में जुटें। निर्धारित समय में उपयोगिता प्रमाण पत्र लिया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार, सीएम के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव अतीश चंद्रा, शिक्षा विभाग के अपर सचिव के. सेंथिल कुमार, वित्त विभाग के सचिव राहुल सिंह, सीएम के ओएसडी गोपाल सिंह, उच्च शिक्षा निदेशक डा. खालिद मिर्जा समेत विभाग के तमाम वरीय पदाधिकारी मौजूद थे।
विश्वविद्यालय में वित्तीय प्रबंधन जरूरी
सीएम ने कहा कि विश्वविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन जरूरी है। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन वित्तीय अनियमितता को रोकने में सफल नहीं होते हैं तो संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
दो नए विश्वविद्यालयों के लिए विस्तृत प्रस्ताव बनेगा
बैठक में बीएन मंडल विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार को बांटकर पूर्णिया विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय के कुछ कॉलेजों के लिए पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के गठन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। विभाग को विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया।
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