परीक्षा एक बार, मार्क्सशीट मिले तीन बार

गफलत. उर्दू टीइटी मार्क्सशीट को लेकर बिहार बोर्ड ने नहीं निकाली कोई गाइड लाइन
बहाली में अभ्यर्थी अपने फायदे के मार्क्सशीट का कर रहे इस्तेमाल
 पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की तरफ से ली गयी उर्दू टीइटी परीक्षा तो एक बार हुई लेकिन कई अभ्यर्थियों को तीन बार मार्क्सशीट दिया गया. ये अभ्यर्थी अपने फायदे को देखते हुए उसी मार्क्सशीट का उपयोग कर रहे हैं जिसमें सबसे अधिक अंक दिये गये हैं.
पुराने मार्क्सशीट को बोर्ड के द्वारा रद्द भी नहीं किया गया. उर्दू टीइटी मार्क्सशीट को लेकर परीक्षा समिति के द्वारा कोई गाइड लाइन नहीं निकाला गया है.  

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की लापरवाही कोई इंटर और मैट्रिक के रिजल्ट में ही नहीं हुआ है. बल्कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में भी बड़े स्तर पर धांधली हुई है. उर्दू और बंगला स्पेशल टीइटी में भी बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने लापरवाही की है. परीक्षा में प्रश्न पत्र में गलत प्रश्न देने के कारण कई बार उर्दू टीइटी का रिजल्ट घोषित किया गया. बोर्ड ने तीन बार उर्दू टीइटी का रिजल्ट तो घोषित कर दिया, लेकिन पहले वाले रिजल्ट को कैंसिल नहीं किया. जिन अभ्यर्थी का नाम तीनों रिजल्ट में है, वो अभ्यर्थी अपना वही मार्क्सशीट बहाली में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें उन्हें सबसे ज्यादा अंक आया है.

छह हजार हो चुकी बहाली : उर्दू टीइटी में 16 हजार 882 अभ्यर्थियों का फाइनल रिजल्ट में नाम है. अभी तक छह हजार की बहाली सरकार ने उर्दू शिक्षक के रूप में की है. बहाली के समय अभ्यर्थियों से मार्क्सशीट जमा करवाया जाता है. इसमें अभ्यर्थी वही मार्क्सशीट जमा कर रहे हैं, जिसमें उन्हें सबसे ज्यादा अंक है. इस दौरान स्कूल की ओर से यह नहीं देखा जा रहा है कि कौन सा मार्क्सशीट अभ्यर्थी से लिया जायेगा. इससे कम अंक वाले अभ्यर्थियों का नियोजन अच्छा हो जा रहा है.

पहले वाले मार्क्सशीट को रद्द नहीं किया: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से उर्दू टीइटी के लिये बस अंक पत्र जारी किया गया. जिन अभ्यर्थियों का नाम तीनों या दो बार के रिजल्ट में आया, उन अभ्यर्थी के पहले वाले मार्क्सशीट को रद्द नहीं किया गया. बोर्ड ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया.

ये बोल

16 हजार 882 अभ्यर्थियों में लगभग 10 हजार के पास तीन मार्क्सशीट हैं, क्योंकि ये अभ्यर्थी तीनों बार के रिजल्ट में शामिल हैं. लेकिन तीनों मार्क्सशीट में अंकों का अंतर है. लेकिन अभ्यर्थी अपना वहीं मार्क्सशीट इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें उन्हें सबसे ज्यादा अंक आया है.

नाजिर हुसैन, उर्दू टीइटी अभ्यर्थी महासंघ

केस वन

नाजिरा बानो ने उर्दू टीइटी  की परीक्षा दी. पहली बार रिजल्ट में नाजिरा बानो को 150 में 105 अंक आये.  हाइकोर्ट के आदेश पर जब दुबारा रिजल्ट घोषित किया गया तो नाजिरा बानो के  अंक 90 हो गये. इसके बाद तीसरी बार जब रिजल्ट आया और बिहार बोर्ड से नाजिरा  बानो को मार्क्सशीट मिला तो उसमें 101 अंक मिले. नाजिरा बानो के पास उर्दू  टीइटी के तीन मार्क्सशीट हैं. नाजिरा बानो के तीनों ही मार्क्सशीट बिहार  विद्यालय परीक्षा समिति सेमान्य हैं.

केस टू

ऐसी ही कहानी आलम खान की है. आलम खान को उर्दू टीइटी में पहली बार 150 अंक में 94 अंक आये. दूसरी बार जब 27 हजार  अभ्यर्थियों का सेलेक्शन हुआ तो आलम खान के अंक बढ़ कर 104 हो गये. तीसरी  बार के मार्क्सशीट में आलम खान के अंक फिर कम हाे गये. तीसरी बार आलम खान  को महज 90 अंक प्राप्त हुए. लेकिन आलम खान ने नियुक्ति में 104 वाला अंक पत्र  ही जमा किया है.
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