बेतिया। सरकारी विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर काम करने वाले नियोजित शिक्षकों के लिए जून माह आफत भरा साबित होने वाला है। सूत्रों के अनुसार शीघ्र ही विजिलेंस की टीम जिला मुख्यालय में कैंप लगाकर शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के आधार पर मिले निष्कर्षो का खुलासा करने वाली है। इसके लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय को सूचना भेज दी गयी है।
बता दें कि विगत दो साल से बार बार नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र को जमा करवाया जा चुका है जिसकी गहन पड़ताल की जा रही है बल्कि यूं कहें की पड़ताल पूरी की जा चुकी है जिसमें कई फर्जी प्रमाण पत्र पाये गये हैं। कई ऐसे प्रमाण पत्र भी मिले हैं जो इंटर कॉलेजों से रिश्वत के आधार पर खरीदे गये हैं। यह खुलासा तब हुआ जब शिक्षकों से उनके मैट्रिक व इंटर की परीक्षा से जुड़े एडमिट कार्ड की मांग की गयी। परीक्षा के प्रवेश पत्र की मांग करने के बाद फर्जी प्रमाण पत्र वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के चेहरे पीले पड़ने लगे और हर बार की तरह इस बार भी पैसे की बोली लगाकर प्रवेश पत्र प्राप्त करने की कोशिश की गयी लेकिन इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली। इधर शिक्षा विभाग से जुड़े विजिलेंस की टीम ने अंदर ही अंदर सभी नियोजित शिक्षकों के परीक्षाओं के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी कर ली है जिससे यह पता चल चुका है कि जिले में सैकड़ों से अधिक ऐसे शिक्षक आज भी कार्यरत है जो फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर कार्यरत है। बता दें कि विजिलेंस की टीम ने यह रिपोर्ट भी तैयार किया है कि फर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजन के समय किन किन जनप्रतिनिधियों व शिक्षा समितियों की संलिप्तता थी। ऐसे में इन सभी पर गाज गिरने की संभावना बनी हुई है। जानकारी के अनुसार, 2005 व 2006 व उसके बाद के कई नियाजनों के समय शिक्षा समिति ,जनप्रतिनिधि व शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर अवैध रुप से शिक्षकों का नियोजन कर दिया था। ऐसे ही नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए शिक्षा विभाग के विजिलेंस की टीम ने सक्रियता दिखाई है। अव्वल तो यह है कि जिले के सरकारी विद्यालयों में कई शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने बिना मैट्रिक की परीक्षा पास किये ही इंटरमीडिएट की डिग्री को किसी प्रकार प्राप्त कर लिया और वर्षो से सरकारी विद्यालयों में बिना योग्यता के ही नौकरी कर सरकार को चूना लगा रहे हैं। ऐसे मे आने वाले समय में जब शिक्षा विभाग के विजिलेंस की टीम जिला मुख्यालय में कैंप कर फर्जीवाड़े का खुलासा करेगी तो सच सबके सामने आ जाएगा। बहरहाल फर्जी प्रमाण पत्र पर वर्षो से शिक्षक की नौकरी करने वाले शिक्षकों के लिए उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है।
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बता दें कि विगत दो साल से बार बार नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र को जमा करवाया जा चुका है जिसकी गहन पड़ताल की जा रही है बल्कि यूं कहें की पड़ताल पूरी की जा चुकी है जिसमें कई फर्जी प्रमाण पत्र पाये गये हैं। कई ऐसे प्रमाण पत्र भी मिले हैं जो इंटर कॉलेजों से रिश्वत के आधार पर खरीदे गये हैं। यह खुलासा तब हुआ जब शिक्षकों से उनके मैट्रिक व इंटर की परीक्षा से जुड़े एडमिट कार्ड की मांग की गयी। परीक्षा के प्रवेश पत्र की मांग करने के बाद फर्जी प्रमाण पत्र वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के चेहरे पीले पड़ने लगे और हर बार की तरह इस बार भी पैसे की बोली लगाकर प्रवेश पत्र प्राप्त करने की कोशिश की गयी लेकिन इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली। इधर शिक्षा विभाग से जुड़े विजिलेंस की टीम ने अंदर ही अंदर सभी नियोजित शिक्षकों के परीक्षाओं के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी कर ली है जिससे यह पता चल चुका है कि जिले में सैकड़ों से अधिक ऐसे शिक्षक आज भी कार्यरत है जो फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर कार्यरत है। बता दें कि विजिलेंस की टीम ने यह रिपोर्ट भी तैयार किया है कि फर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजन के समय किन किन जनप्रतिनिधियों व शिक्षा समितियों की संलिप्तता थी। ऐसे में इन सभी पर गाज गिरने की संभावना बनी हुई है। जानकारी के अनुसार, 2005 व 2006 व उसके बाद के कई नियाजनों के समय शिक्षा समिति ,जनप्रतिनिधि व शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर अवैध रुप से शिक्षकों का नियोजन कर दिया था। ऐसे ही नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए शिक्षा विभाग के विजिलेंस की टीम ने सक्रियता दिखाई है। अव्वल तो यह है कि जिले के सरकारी विद्यालयों में कई शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने बिना मैट्रिक की परीक्षा पास किये ही इंटरमीडिएट की डिग्री को किसी प्रकार प्राप्त कर लिया और वर्षो से सरकारी विद्यालयों में बिना योग्यता के ही नौकरी कर सरकार को चूना लगा रहे हैं। ऐसे मे आने वाले समय में जब शिक्षा विभाग के विजिलेंस की टीम जिला मुख्यालय में कैंप कर फर्जीवाड़े का खुलासा करेगी तो सच सबके सामने आ जाएगा। बहरहाल फर्जी प्रमाण पत्र पर वर्षो से शिक्षक की नौकरी करने वाले शिक्षकों के लिए उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है।
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