सुपौल। शिक्षा को बढ़ावा देने व सरकारी विद्यालयों में नामांकन शत-प्रतिशत बढ़ाने के लिए सरकार प्रति वर्ष सर्व शिक्षा अभियान के तहत करोड़ों रूपये का गुणात्मक शिक्षा देने के नाम पर व्यय करती है। उसके बाद भी सुपौल जिले में आज भी हजारों की संख्या में बच्चे स्कूल से बाहर हैं।
हाइटेक जमाने में कम्प्यूटर का माउस हाथ में पकड़ने के स्थान पर आज के नौनिहाल गांव की गलियों कौड़ी, गुल्ली या फिर गरीबी के कारण घर की चक्की चलाने के लिए नौकरी कर अपना भविष्य चौपट कर रहे हैं। इसमें अभिभावक की कमी माना जाए या फिर शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की उदासीनता। मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 एवं 2100 के तहत शिक्षा विभाग के अफसरों को शत-प्रतिशत नामांकन विद्यालय में कराए जाने का फरमान भी जारी किया गया। परन्तु विभागीय सूत्र से मिली जानकारी अनुसार वर्तमान 2017 बच्चे स्कूल से बाहर हैं। यह तो शिक्षा विभाग का सर्वे है। यदि किसी अन्य एजेंसी से विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों का सर्वे कराया जाए तो इसकी संख्या काफी बढ़ सकती है।
- कहते हैं अधिकारी
पूछने पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा गिरीश कुमार का कहना है कि लगातार विद्यालय से बाहर बच्चों में कमी आ रही है। वैसे भी 11 से 13 वर्ष आयु के विद्यालय से बाहर बच्चों को उत्प्रेरण उत्कर्ष केन्द्रों के माध्यम से पढ़ाई किया जाता है। तत्पश्चात उन्हें उम्र के हिसाब से उचित कक्षाओं में नामांकित किया जाता है।
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