मुंगेर (मनीष कुमार)। कभी पूर्वी बिहार का कैंब्रिज कहे जाने वाले बिहार का प्रतिष्ठित आरडी एंड डीजे कॉलेज आज की तारीख में संसाधनों की कमी का दंश झेल रहा है। इस कॉलेज का अपना एक अलग गौरवशाली अतीत रहा है। लेकिन, वर्तमान में चुनौतियों से जूझते हुए कॉलेज अपनी गरिमा को बचाए रखने का जंग लड़ रहा है।
आचार्य कपिल जैसे प्रकांड विद्वान कभी इस महाविद्यालय के प्राचार्य हुआ करते थे। शिक्षक भी अपने अपने विषयों में महारत हासिल किए हुए थे। यही कारण था कि दूर दूर से छात्र आरडी एंड डीजे कालेज में पढ़ाई करने का सपना लिए हुए मुंगेर चले आते थे। लेकिन, अब न तो पहले जैसे शिक्षक यहां हैं और न ही छात्र। आज यहां शिक्षकों की बड़े पैमाने पर कमी है। आलम यह है कि वनस्पति विज्ञान, गणित, हिन्दी, उर्दू तथा बंग्ला में केवल एक शिक्षक के भरोसे विभाग चल रहा है। जबकि जंतु विज्ञान में दो, अर्थशास्त्र में दो, तथा अंग्रेजी में दो शिक्षक हैं तथा राजनीति विज्ञान, इतिहास तथा वाणिज्य में तीन शिक्षक हैं। इन्हीं शिक्षकों के भरोसे महाविद्यालय में स्नातक एवं स्नातकोत्तर दोनों वर्गों के कक्षा का संचालन किया जाता है। जानकारों का कहना है कि किसी भी कॉलेज में स्नातक की कक्षा के संचालन के लिए कम से कम चार तथा स्नातकोत्तर की कक्षा संचालन के लिए न्यूनतम आठ शिक्षकों का होना अनिवार्य है। लेकिन यहां स्नातकोत्तर की पढ़ाई के आरंभ हुए दो वर्ष होने को हैं लेकिन अब तक यहां शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की जा सकी है। यहां यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बिना शिक्षा के ही छात्र पीजी की डिग्री ले रहे हैं।
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हर कॉलेज में शिक्षकों की इसी तरह कमी है। शिक्षकों की नियुक्ति का कार्य बिहार लोक सेवा आयोग करता है। नए शिक्षकों की नियुक्ति के बाद ही मुंगेर सहित अन्य कालेज में शिक्षकों की पो¨स्टग संभव है।
प्रो. रमाशंकर दूबे, कुलपति, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय
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