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मान्यता बारहवीं की, पढ़ाई आठवीं तक की

कैमूर। बेशक शिक्षा की तरक्की तालीम की गलियों से होकर गुजरती है। मगर यहां के तालीम की गली को शासन और प्रशासन ने बंद कर दिया है। लिहाजा कई गांव के दर्जनों बच्चों का भविष्य अंधकार में चल रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने प्रति पांच किमी की दूरी पर उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाने की नियत से मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित कर उच्च माध्यमिक विद्यालय का दर्जा दिया।
विद्यालयों के भवन निर्माण पर सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर आलीशान भवन भी बनाया। मगर आज वह किसी काम के नहीं है। दुर्गावती प्रखंड मुख्यालय से 6-7 किमी की दूरी पर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय गोरार को सरकार ने साल 2013-14 में उच्च माध्यमिक 10 प्लस टू का दर्जा दिया। लाखों रुपए खर्च भवन भी बना। मगर दो साल बाद भी इस विद्यालय में एक भी शिक्षकों की बहाली नहीं हो सकी। और यही कारण है कि क्षेत्र के गोरार, खामिदौरा, सरियांव, कुशहरिया, मच्छनहटा, मरहईयां जैसे बहुतेरे गांव के दर्जनों बच्चों को 10 वीं और 12 वीं की शिक्षा लेने के लिए 6-7 किमी दूर जाना पड़ रहा है। खैर सवाल खड़ा होता है कि पूरे देश में शिक्षा का अधिकार लागू होने के बावजूद भी आखिर प्रारम्भिक शिक्षा लेने के लिए बच्चों को इतनी पापड़ क्यों बेलना पड़ रहा है। अभी दो साल पहले रिक्तियों के आधार पर शिक्षकों की बहाली हुई थी। वहीं मजे की बात यह है कि शासन और प्रशासन शिक्षकों को शिक्षण कार्य से हटा कर बीआरसी प्रखंड, जिला शिक्षा कार्यालयों के अलावा जनगणना, मतदान, मतगणना, मतदाता सूची बनाने के लिए इनकी प्रतिनियुक्ति करती है। आखिर क्यों नहीं इस विद्यालय में स्थायी शिक्षकों के आने से पहले प्रतिनियुक्ति पर क्यों नहीं भेजती। गांव के मुरारी पासवान ने बताया कि इस विद्यालय को 12 वीं तक का दर्जा मिले दो साल हो गये। मगर आज तक एक भी शिक्षकों की यहां नियुक्ति नहीं हुई। लिहाजा गांव के बच्चे और बच्चियां पढ़ाई से दूर होती जा रही है। सरकार गरीबों की बात तो करती है मगर सत्ता में आते ही भूल जाती है। जबकि आज सरकारी स्कूलों में गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण -
फोटो फाइल 27 बीएचयू 16
मुरारी पासवान - गांव के मुरारी पासवान कहते हैं कि दो साल बाद भी इस विद्यालय में बच्चों का 9 वीं व 10 वीं में नामांकन नहीं हो रहा है। लिहाजा गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में हैं।
फोटो फाइल 27 बीएचयू 13
रामाकांत - रामाकांत का भी दर्द कुछ ऐसा ही है। उन्होंने कहा कि नजदीक विद्यालय होने से सहुलियत होती अब दूर जाना होगा।
क्या कहते हैं छात्र -
फोटो फाइल 27 बीएचयू 12
बलवंत कुमार - इस विद्यालय से 8 वीं तक पढ़ाई करने वाले छात्र बलवंत कुमार ने कहा कि अभी तक मेरा नामांकन 9 वीं में दूसरे किसी भी विद्यालय में नहीं हो पाया है। आगे की पढ़ाई करने के लिए सात किमी दूर जाना होगा।
फोटो फाइल 27 बीएचयू 14
ज्योति - आठवीं तक इसी विद्यालय में पढ़ी ज्योति कहती है कि मैं अभी घर बैठी हूं। आगे की पढ़ाई के लिए चैनपुर के बहुअरा या दुर्गावती जाना होगा। जिसके लिए साइकिल या रोज बस से आना जाना होगा। इतनी दूरी साइकिल से आने जाने में परेशानी होगी और बस का किराया प्रतिदिन देने में अभिभावक सक्षम नहीं है।
फोटो फाइल 27 बीएचयू 15
नेहा - नेहा ने बताया कि एक दो माह बाद भी अगर इस विद्यालय में शिक्षक आ जाय तो हम अपना नामांकन यही करा लेते। इतनी दूर के स्कूल में जाने से कई तरह की परेशानी है।
क्या कहते हैं एचएम -
विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं है जो 10 वीं और 12 वीं के बच्चों को पढ़ाये। मैने कई बार शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है। साथ ही बैठकों में भी इस सवाल को उठाता हूं। नामांकन नहीं करना हमारी मजबूरी है। आखिर बच्चों को पढ़ायेगा कौन ।

क्या कहते हैं अधिकारी - इस संबंध में पूछे जाने डीईओ राम राज प्रसाद ने कहा कि मेरे द्वारा मंगलवार को विद्यालय का निरीक्षण किया गया। फिलहाल नामांकन करने के लिए हमने कहा है। जैसे ही शिक्षकों का नियोजन शुरू होगा उच्च माध्यमिक विद्यालय गोरार में शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी।
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