जमुई। भविष्य संवारने की उम्मीदों पर टिकी सरकारी स्कूलों में बच्चों की
पढ़ाई व्यवस्था की मार में हांफ रही है। गर्मी हो या कड़ाके की ठंड सरकारी
स्कूल के बच्चे एक समान मौसम की मार झेलते हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने
के जुमले दूर-दूर तक सरकारी स्कूलों में दिखता नहीं है।
तपिश भरी दिन में स्कूल के बरामदे पर बच्चे कैसी पढ़ाई करते हैं इसका अंदाजा अभिभावकों को भी है। यह दीगर बात है कि प्रशासनिक महकमा इस व्यवस्था पर ही बेहतर शिक्षा देने का दंभ भरती है। खैर, एक बार फिर जिले भर के बच्चे गर्म पछुवा हवा के झोंके से परेशान, बस्ते की बोझ लेकर पढ़ाई के लिए स्कूल जा रहे हैं। गर्मी को लेकर शिक्षा विभाग ने स्कूल के शैक्षणिक समय में फेरबदल कर बच्चों को राहत देने की थोड़ी कोशिश की है। दरअसल सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की माकूल व्यवस्था के लिए पर्याप्त संसाधनों का टोटा है। कहीं पानी की किल्लत तो कहीं बरामदे पर पढ़ाई। अमूमन जिले भर के स्कूलों में यह दृश्य देखने को मिल जाएगा।
राजकीय बुनियादी विद्यालय, नूमर इसकी बानगी है। बरामदे पर बैठे मासूम बच्चे ककहरा पढ़ रहे हैं। शिक्षक अपने कक्ष में दिखे। अन्य बच्चे चिलचिलाती धूप में भी इधर-उधर खेल रहे थे। इस विद्यालय में व्यवस्था को मानो श्राप लगा हो। कई वर्ग कक्ष ऐसे हैं जहां जमीन पर बैठना भी कष्ट दायक है। बिजली, पानी की बात करना ही यहां बेमानी है। नियत समय पर बच्चों का आना, समय के पूर्व शिक्षकों का जाना पढ़ाई के नाम पर रश्में अदायगी अमूमन सरकारी स्कूलों की नियति बन गई है। राजकीय बुनियादी विद्यालय इसका ताजा उदाहरण है। दिन के ठीक 09:30 बजे थे। उत्क्रमित मध्य विद्यालय, पतसंडा में बच्चों की उपस्थिति अंगुलियों पर गिनी जा सकती थी। गर्मी के कारण अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं पहुंचे। पूछने पर पता चला गुरूजी चुनाव कार्य में हैं। छठी कक्षा में पढ़ने वाली रेशम कुमारी, 7वीं कक्षा की खुशबू कुमारी, मनीषा कुमारी ने कहा कि गर्मी के दिनों में बहुत परेशानी होती है। स्कूल में बिजली नहीं है। गर्मी के कारण पढ़ाई में मन नहीं लगता है। 8वीं कक्षा के आकाश कुमार, सोनू कुमार का कहना है कि वर्ग कक्ष में गर्मी के कारण काफी परेशानी होती है। गर्म हवा के झोंके से तबियत खराब होने का डर रहता है।
पूछे जाने पर विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका अनिता कुमारी कहती हैं कि गर्मी में कोई विकल्प नहीं है। बिजली न होने के कारण पंखा का औचित्य क्या है। जो व्यवस्था है इसी में पठन-पाठन संचालित हो रहा है।
1256 स्कूलों में नहीं पहुंची बिजली
जिले में 1704 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय हैं। 46 हाईस्कूल हैं लेकिन महज 25 फीसद स्कूलों में ही बिजली पहुंच पाई है। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक महज 494 स्कूलों में ही बिजली है जिसमें 33 हाईस्कूल शामिल हैं। इन विद्यालयों में बिजली तो पहुंच गई लेकिन वर्ग कक्ष में पंखे नहीं हैं। कई स्कूलों में प्रधानाध्यापक कक्ष में पंखा लगा है। प्राथमिक व मध्य विद्यालय की बात कौन करे, हाईस्कूलों में भी पंखा नहीं लगा है।
बोले अधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार सिन्हा ने कहा कि चुनाव के दौरान विद्यालयों में बिजली का कनेक्शन दिया गया। विभाग द्वारा बिजली कनेक्शन के लिए अब तक कोई दिशा निर्देश नहीं दिया गया है। बावजूद मुख्यमंत्री के सात निश्चय कार्यक्रम में बिजली कनेक्शन का आंकड़ा भेजा गया है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
तपिश भरी दिन में स्कूल के बरामदे पर बच्चे कैसी पढ़ाई करते हैं इसका अंदाजा अभिभावकों को भी है। यह दीगर बात है कि प्रशासनिक महकमा इस व्यवस्था पर ही बेहतर शिक्षा देने का दंभ भरती है। खैर, एक बार फिर जिले भर के बच्चे गर्म पछुवा हवा के झोंके से परेशान, बस्ते की बोझ लेकर पढ़ाई के लिए स्कूल जा रहे हैं। गर्मी को लेकर शिक्षा विभाग ने स्कूल के शैक्षणिक समय में फेरबदल कर बच्चों को राहत देने की थोड़ी कोशिश की है। दरअसल सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की माकूल व्यवस्था के लिए पर्याप्त संसाधनों का टोटा है। कहीं पानी की किल्लत तो कहीं बरामदे पर पढ़ाई। अमूमन जिले भर के स्कूलों में यह दृश्य देखने को मिल जाएगा।
राजकीय बुनियादी विद्यालय, नूमर इसकी बानगी है। बरामदे पर बैठे मासूम बच्चे ककहरा पढ़ रहे हैं। शिक्षक अपने कक्ष में दिखे। अन्य बच्चे चिलचिलाती धूप में भी इधर-उधर खेल रहे थे। इस विद्यालय में व्यवस्था को मानो श्राप लगा हो। कई वर्ग कक्ष ऐसे हैं जहां जमीन पर बैठना भी कष्ट दायक है। बिजली, पानी की बात करना ही यहां बेमानी है। नियत समय पर बच्चों का आना, समय के पूर्व शिक्षकों का जाना पढ़ाई के नाम पर रश्में अदायगी अमूमन सरकारी स्कूलों की नियति बन गई है। राजकीय बुनियादी विद्यालय इसका ताजा उदाहरण है। दिन के ठीक 09:30 बजे थे। उत्क्रमित मध्य विद्यालय, पतसंडा में बच्चों की उपस्थिति अंगुलियों पर गिनी जा सकती थी। गर्मी के कारण अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं पहुंचे। पूछने पर पता चला गुरूजी चुनाव कार्य में हैं। छठी कक्षा में पढ़ने वाली रेशम कुमारी, 7वीं कक्षा की खुशबू कुमारी, मनीषा कुमारी ने कहा कि गर्मी के दिनों में बहुत परेशानी होती है। स्कूल में बिजली नहीं है। गर्मी के कारण पढ़ाई में मन नहीं लगता है। 8वीं कक्षा के आकाश कुमार, सोनू कुमार का कहना है कि वर्ग कक्ष में गर्मी के कारण काफी परेशानी होती है। गर्म हवा के झोंके से तबियत खराब होने का डर रहता है।
पूछे जाने पर विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका अनिता कुमारी कहती हैं कि गर्मी में कोई विकल्प नहीं है। बिजली न होने के कारण पंखा का औचित्य क्या है। जो व्यवस्था है इसी में पठन-पाठन संचालित हो रहा है।
1256 स्कूलों में नहीं पहुंची बिजली
जिले में 1704 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय हैं। 46 हाईस्कूल हैं लेकिन महज 25 फीसद स्कूलों में ही बिजली पहुंच पाई है। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक महज 494 स्कूलों में ही बिजली है जिसमें 33 हाईस्कूल शामिल हैं। इन विद्यालयों में बिजली तो पहुंच गई लेकिन वर्ग कक्ष में पंखे नहीं हैं। कई स्कूलों में प्रधानाध्यापक कक्ष में पंखा लगा है। प्राथमिक व मध्य विद्यालय की बात कौन करे, हाईस्कूलों में भी पंखा नहीं लगा है।
बोले अधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार सिन्हा ने कहा कि चुनाव के दौरान विद्यालयों में बिजली का कनेक्शन दिया गया। विभाग द्वारा बिजली कनेक्शन के लिए अब तक कोई दिशा निर्देश नहीं दिया गया है। बावजूद मुख्यमंत्री के सात निश्चय कार्यक्रम में बिजली कनेक्शन का आंकड़ा भेजा गया है।
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