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बिहार में उर्दू-बांग्ला शिक्षकों की बहाली , क्या था मामला

पिछले 6 मई को न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की एकलपीठ ने बिहार प्रारंभिक उर्दू एवं बांग्ला (विशेष) शिक्षक पात्रता परीक्षा के परिणाम को निरस्त कर दिया था। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने उर्दू एवं बांग्ला शिक्षकों के 27 हजार पदों पर बहाली के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा ली थी। परीक्षा के बाद बोर्ड ने छात्रों से आपत्ति की मांग की। 21 अक्टूबर, 2013 तक करीब 350 आपत्तियां मिलीं। 
छात्रों की आपत्ति पर बोर्ड ने प्रथम पेपर के दो एवं द्वितीय पेपर के तीन प्रश्नों को गलत करार दिया और 29 नवंबर, 2013 को परिणाम घोषित कर दिया। छात्र बोर्ड की इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने घोषित परिणाम पर विचार करने की गुहार बोर्ड से लगाई।
बोर्ड ने पूछे गए सवाल एवं उसके उत्तर की समीक्षा की। उसके बाद उर्दू के नुमाइंदों ने बोर्ड ने के समक्ष जारी परिणाम पर आपत्ति जताई। अंत में बोर्ड ने 17 नवंबर, 2014 को सभी छात्रों को पेपर एक में 13 अंक देकर संशोधित परिणाम घोषित किया।

संशोधित परिणाम से छात्र खुश नहीं हुए। उन्होंने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर इसे चुनौती दी। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई कर बोर्ड को प्रथम पेपर के 10 प्रश्न तथा द्वितीय पेपर के 13 गलत प्रश्नों को हटाकर दोबारा छात्रों की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन कर रिजल्ट निकालने का आदेश दिया। 

एकलपीठ के आदेश के बाद बोर्ड ने सभी गलत प्रश्नों को हटाकर नए सिरे से परिणाम घोषित किया। इसी बीच छात्रों ने आधा दर्जन अपील दायर कर एकलपीठ के फैसले को चुनौती दी। हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गत 23 जुलाई को एकलपीठ के फैसले पर रोक लगा दी। सभी मामलों पर खंडपीठ ने कई दिनों तक बहस सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया, जिसे सोमवार को सुनाया गया।
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