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शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के प्रति विभाग उदासीन

लखीसराय। जिले के शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच के प्रति विभाग उदासीन बना हुआ है। यही कारण है कि प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर सेवानिवृत्ति के बाद एक शिक्षक के विरूद्ध कार्रवाई की जा सकी है। जबकि नौकरी करने के करीब 20 वर्ष बाद तीन शिक्षकों के विरूद्ध कार्रवाई हुई है।
उक्त चारों शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्र का खुलासा करने में विभागीय अधिकारियों का कोई योगदान नहीं रहा है बल्कि ग्रामीणों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत चारों शिक्षकों के प्रमाण मांगे जाने पर फर्जी प्रमाण पत्र होने का खुलासा हो सका है।
जानकारी के अनुसार लखीसराय शिक्षांचल अंतर्गत मध्य विद्यालय महिसोना की शिक्षिका लीला देवी का प्रमाण पत्र एक ग्रामीण द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगा गया। शिक्षिका लीला देवी का प्राप्त प्रमाण पत्र की जांच कराई गई तो फर्जी पाया गया। विभागीय अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद लीला देवी के विरूद्ध कार्रवाई की गई। इसी तरह फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर विगत 09 अप्रैल 1986 से मध्य विद्यालय कछियाना की शिक्षिका कुमारी प्रेमलता एवं 14 अगस्त 1984 से प्राथमिक विद्यालय पानापुर के शिक्षक विशुनदेव प्रसाद महतो कार्य करते रहे। सूचना के आधार पर प्राप्त सूचना में प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर सेवानिवृत्ति के दो वर्ष पूर्व शिक्षिका कुमारी प्रेमलता के विरूद्ध एवं विगत एक वर्ष पूर्व शिक्षक विशुनदेव प्रसाद महतो के विरूद्ध विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की गई। पिपरिया शिक्षांचल अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय डीह पिपरिया के प्रभारी प्रधानाध्यापक रमेश कुमार तो बिना किसी प्रमाण पत्र के ही अबतक नौकरी करते रहे हैं। मेदनी चौकी थाना क्षेत्र के झपानी निवासी रविंद्र रजक की पत्‍‌नी बिंदू देवी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत उक्त शिक्षक के प्रमाण पत्रों की मांग की गई। बार-बार सूचना मांगने पर भी प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराने पर विभागीय अधिकारियों की नींद खुली। इसके बाद प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कैलाश प्रसाद के जांचोपरांत पाया गया कि उक्त शिक्षक बिना किसी प्रमाण पत्र के ही अबतक नौकरी करते रहे हैं। इसके बाद विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। इधर शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) श्याम बाबू राम ने बताया कि जिले के सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी। पूर्व में कुछ लोगों ने विभागीय अधिकारियों की आंख में धूल झोंकने का काम किया है।

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