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वेतनमान की लूट है लूट सके सो लूट

चारो तरफ लूटपाट का माहौल व्याप्त है ।brc से लेकर जिला कार्यालय तक अधिकारी मुँह बाये देख रहे हैं ।प्रखण्ड स्तरीय नेतृत्वकर्ताओं की नियुक्ति वसूली भाई के रूप में हो चुकी है ।एजेंट बनकर लोग गर्व महसूस कर रहे हैं । शिक्षकों के मसीहाओं का असली रूप अब देखने को मिल रहा है ।
जो लोग भी अवैध उगाही में लगे हैं उनसे ज्यादा दोषी देने वाला शिक्षक है बल्कि मैं तो कहता हूँ कि यही लोग माहटर के श्रेणी में हैं जिन्हें पुरातन काल से खिलाने की आदत सी पड़ गयी है ।दलालों के तलवे चाटने वाले शिक्षक क्या नैतिकता और ईमानदारी की शिक्षा देंगे बच्चों को ??????? यह परम्परा बंद नही होने वाली है किन्तु यह भी सर्वविदित सत्य है कि अगर मुट्ठी भर लोग भी अवैध पैसा देने का विरोध करते हैं तो किसी भी एजेंट या पदाधिकारी की औकात नहीं है कि सही काम के लिए ना कहे । हाँ । यह अवश्य है कि थोड़ा परेशान कर सकता है या विलंब कर सकता है किन्तु काम ना हो ऐसा नही हो सकता है । फैसला आपके अपने हाथ में है ।पैसा देकर चुपचाप निकलना है या 10 लोग भी एकजुट होकर विरोध करना है ।
धन्यवाद ।



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