बांका। देश के सबसे बड़े त्योहार दशहरा ने दस्तक दे दी है। हर तरफ वैदिक
मंत्रोच्चारण से वातावरण में आस्था की खुशबू घूल रही है। निश्चित रूप से बड़े
त्योहार से निपटने को बड़ी आबादी का बजट भी बड़ा हो जाता है। खासकर नौकरी पेशा वालों
से लोगों को काफी उम्मीदें होती है।
इनके पैसों से ही बाजार गुलजार होता है। अगर सरकारी कर्मियों के पास आया तो निश्चित रूप से यह बाजार के माध्यम से हर घर तक पहुंच खुशियां बांटती है। लेकिन, इस बार अधिकांश सरकारी कर्मी को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। उनकी जेब खाली रहने पर निश्चित रूप से दशहरा मेला की रौनक फीकी रह जाएगी। आइए दशहरा के पहले कर्मियों के इन्हीं वेतन की एक पड़ताल करते हैं। सबसे बड़ी आबादी वाले शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। सरकार ने जुलाई से शिक्षकों को नया वेतनमान देने की घोषणा कर रखी है। लेकिन, अब दशहरा के पहले वेतन भुगतान पर संकट दिख रहा है। ऐसे में करीब आठ हजार नियोजित से नियमित शिक्षक बने लोगों की खाली जेब दशहरा की मिठास को फीकी करने के लिए काफी है। वैसे सरकार ने शिक्षकों को हर हाल में दशहरा के पहले वेतन भुगतान का आदेश दे रखा है। लेकिन, पे-फिक्शेसन और सेवा पुस्तिका के पेंच में यह फंस गया है।
इसी तरह साक्षरता अभियान से जुड़े प्रेरक और वरीय प्रेरक को एक दो नहीं बल्कि, पूरे 15 महीने से वेतन नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के पास आवंटन होने के बावजूद इसका भुगतान नहीं हो रहा है। दशहरा के पहले इसके भुगतान की उम्मीद भी नहीं है। महादलित टोले के विकास को बहाल हुए टोला सेवकों और विकास मित्र की हालत भी वेतन भुगतान के मामले में खराब है। उन्हें तीन से पांच महीने का वेतन नहीं मिला है। चिकित्सा कर्मियों को भी पिछले दो महीने का वेतन नहीं मिला है। इसी तरह आशा, एएनएम आदि कार्यकर्ता की पारिश्रमिक भी बकाया है। अंचल कर्मियों के हालत भी वेतन भुगतान को लेकर ठीक नहीं है। बेलहर, शंभूगंज आदि अंचल में भी कर्मियों को पिछले तीन चार महीने से वेतन नहीं मिलने की सूचना है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इनके पैसों से ही बाजार गुलजार होता है। अगर सरकारी कर्मियों के पास आया तो निश्चित रूप से यह बाजार के माध्यम से हर घर तक पहुंच खुशियां बांटती है। लेकिन, इस बार अधिकांश सरकारी कर्मी को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। उनकी जेब खाली रहने पर निश्चित रूप से दशहरा मेला की रौनक फीकी रह जाएगी। आइए दशहरा के पहले कर्मियों के इन्हीं वेतन की एक पड़ताल करते हैं। सबसे बड़ी आबादी वाले शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। सरकार ने जुलाई से शिक्षकों को नया वेतनमान देने की घोषणा कर रखी है। लेकिन, अब दशहरा के पहले वेतन भुगतान पर संकट दिख रहा है। ऐसे में करीब आठ हजार नियोजित से नियमित शिक्षक बने लोगों की खाली जेब दशहरा की मिठास को फीकी करने के लिए काफी है। वैसे सरकार ने शिक्षकों को हर हाल में दशहरा के पहले वेतन भुगतान का आदेश दे रखा है। लेकिन, पे-फिक्शेसन और सेवा पुस्तिका के पेंच में यह फंस गया है।
इसी तरह साक्षरता अभियान से जुड़े प्रेरक और वरीय प्रेरक को एक दो नहीं बल्कि, पूरे 15 महीने से वेतन नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के पास आवंटन होने के बावजूद इसका भुगतान नहीं हो रहा है। दशहरा के पहले इसके भुगतान की उम्मीद भी नहीं है। महादलित टोले के विकास को बहाल हुए टोला सेवकों और विकास मित्र की हालत भी वेतन भुगतान के मामले में खराब है। उन्हें तीन से पांच महीने का वेतन नहीं मिला है। चिकित्सा कर्मियों को भी पिछले दो महीने का वेतन नहीं मिला है। इसी तरह आशा, एएनएम आदि कार्यकर्ता की पारिश्रमिक भी बकाया है। अंचल कर्मियों के हालत भी वेतन भुगतान को लेकर ठीक नहीं है। बेलहर, शंभूगंज आदि अंचल में भी कर्मियों को पिछले तीन चार महीने से वेतन नहीं मिलने की सूचना है।
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