न्यूज़ डेस्क: भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के विदेश मंत्रालय के पूर्व कर्मचारी राजेश कुमार सुमन जो मूलत: समस्तीपुर, बिहार के रहने वाले हैं.
इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने 8 साल पहले ‘बीएसएस’ नामक संस्था बनाकर युवा प्रतिभागियों की निशुल्क कोचिंग शुरू की और इन 8 सालों में उनकी संस्था ने सरकारी नौकरी की पूरी फ़ौज तैयार कर दी है. सुमन जब विदेश मंत्रालय में पोस्टेड थे जब कभी छुट्टी में घर में आते थे, तो युवाओं का हुजूम मिलने आते थे, जिससे परिचय का दायरा बढ़ा तो उन्हें समझ में आया कि इस राज्य में युवा लड़के लड़कियां पढ़ाई लिखाई में मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी यह सारी मेहनत उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लायक नहीं बना पाती. सुमन सोच में पड़ जाते लेकिन रास्ता नहीं सूझता. फिर एक दिन उन्होंने तय कर लिया कि इन युवाओं के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा.
उनकी इसी सोच के चलते नौकरी छोड़कर ‘बीएसएस क्लब’ नामक संस्था की नीव डाली. इस संस्था ने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों को मुफ्त कोचिंग देना शुरू कर दिया. इस कोचिंग की खास बात ये है कि सब कुछ 8 साल पहले भी मुफ्त था, अब भी बिलकुल मुफ्त है. पहले अपने घर में मुफ्त कोचिंग की शुरूआत की चार उम्मीदवारों के साथ. धीरे धीरे नाम बढ़ा और यहाँ से निकले लोग सफल भी होने लगे. छात्रों की संख्या जब बढ़कर 300 हो गई तो संस्था के लिए किराए पर एक मकान लेना पड़ा.” सुमन रोजाना सुबह-शाम नि:शुल्क कोचिंग दे रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि इस कोचिंग की कोई छुट्टी नहीं है, सप्ताह के सातों दिन यहाँ क्लासेज़ चलती हैं. फीस का खर्च कुछ भी नहीं.
बीएसएस क्लब के संस्थापक राजेश कुमार सुमन बताते हैं कि 8 साल में हमारे पढ़ाए छात्र-छात्राएँ बैंक,रेलवे, केंद्र सरकार के कई विभागों में कार्यरत हैं.
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इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने 8 साल पहले ‘बीएसएस’ नामक संस्था बनाकर युवा प्रतिभागियों की निशुल्क कोचिंग शुरू की और इन 8 सालों में उनकी संस्था ने सरकारी नौकरी की पूरी फ़ौज तैयार कर दी है. सुमन जब विदेश मंत्रालय में पोस्टेड थे जब कभी छुट्टी में घर में आते थे, तो युवाओं का हुजूम मिलने आते थे, जिससे परिचय का दायरा बढ़ा तो उन्हें समझ में आया कि इस राज्य में युवा लड़के लड़कियां पढ़ाई लिखाई में मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी यह सारी मेहनत उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लायक नहीं बना पाती. सुमन सोच में पड़ जाते लेकिन रास्ता नहीं सूझता. फिर एक दिन उन्होंने तय कर लिया कि इन युवाओं के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा.
उनकी इसी सोच के चलते नौकरी छोड़कर ‘बीएसएस क्लब’ नामक संस्था की नीव डाली. इस संस्था ने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों को मुफ्त कोचिंग देना शुरू कर दिया. इस कोचिंग की खास बात ये है कि सब कुछ 8 साल पहले भी मुफ्त था, अब भी बिलकुल मुफ्त है. पहले अपने घर में मुफ्त कोचिंग की शुरूआत की चार उम्मीदवारों के साथ. धीरे धीरे नाम बढ़ा और यहाँ से निकले लोग सफल भी होने लगे. छात्रों की संख्या जब बढ़कर 300 हो गई तो संस्था के लिए किराए पर एक मकान लेना पड़ा.” सुमन रोजाना सुबह-शाम नि:शुल्क कोचिंग दे रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि इस कोचिंग की कोई छुट्टी नहीं है, सप्ताह के सातों दिन यहाँ क्लासेज़ चलती हैं. फीस का खर्च कुछ भी नहीं.
बीएसएस क्लब के संस्थापक राजेश कुमार सुमन बताते हैं कि 8 साल में हमारे पढ़ाए छात्र-छात्राएँ बैंक,रेलवे, केंद्र सरकार के कई विभागों में कार्यरत हैं.
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