बिहार में शिक्षकों को वेतन मिलने में हुई देर के लिए केंद्र जिम्मेवार : शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी

 पटना 08 मार्च, बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने राज्य में नियोजित शिक्षकों को वेतन मिलने में हुये विलंब के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेवार ठहराते हुये आज कहा कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत पूरी राशि नहीं मिलने के कारण शिक्षकों के वेतन भुगतान की समस्या खड़ी हुई।
श्री चौधरी ने विधानसभा में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए शिक्षा विभाग के 251 अरब 51 करोड़ 38 लाख 80 हजार रुपये की अनुदान मांग पर हुई चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि केंद्र सरकार के कार्यक्रम सलाहकार बोर्ड ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत बिहार को 5799 करोड़ रुपये देने का वादा किया था लेकिन अभी तक केवल 2706 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं। इस मद में केंद्र सरकार पर 3093 करोड़ रुपये बकाया होने के कारण पिछले साल नवंबर से नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान की समस्या खड़ी हुई । श्री चौधरी ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति बदतर होने के विपक्ष के आरोप पर कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अपने वादे के अनुरूप समय से पूरी राशि उपलब्ध करवा देती तो शिक्षकों के वेतन भुगतान की समस्या खड़ी नहीं होती। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति विशेष में राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर से फरवरी 2017 तक नियोजित शिक्षकों का वेतन भुगतान करने के लिए अपनी निधि से 2100 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों का वेतन भुगतान करने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में भी अपने संसाधन से 1137 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये। लेकिन, केंद्र सरकार ने अभी तक इसकी प्रतिपूर्ति नहीं की है।



श्री चौधरी ने विपक्ष के टॉपर घोटाले को लेकर सरकार की आलोचना पर कहा कि परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए लगातार किये गये प्रयास की बदौलत बिहार ने वर्ष 2016 में स्वच्छ एवं कदाचार मुक्त परीक्षा कराने का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह सिलसिला वर्ष 2017 की इंटरमीडिएट और मैट्रिक की परीक्षा में भी जारी रहा। इससे छात्र-छात्राओं में स्पष्ट संदेश गया है कि कड़ी मेहनत करने वालों को ही अच्छे अंक प्राप्त होंगे। अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूक और सचेत हुये हैं। उन्होंने कहा कि इस बार परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन लिये गये तथा उत्तर पुस्तिकाओं की बार कोडिंग कराकर पारदर्शी मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है। हालांकि नई प्रणाली के कारण कुछ कठिनाइयां हुई हैं, जिसे पारदर्शिता के साथ दूर किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से 09 प्रमंडलों में परीक्षा केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं और इन प्रमंडलों में क्षेत्रीय कार्यालय भी बनाया जा रहा ताकि छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए पटना का चक्कर न लगाना पड़े। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र तथा उनके सत्यापन में होने वाली समस्याओं से निजात देने के लिए वर्ष 2005 से अब तक मैट्रिक एवं इंटर के अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र को ऑनलाइन कर दिया गया। इसके लिए आधार कार्ड से जोड़कर नि:शुल्क डिजिटल लॉकर की सुविधा दी गई है।

श्री चौधरी ने कहा कि वर्ष 2017 की मैट्रिक परीक्षा में 898256 छात्र एवं 867471 छात्राएं तथा इंटर की परीक्षा में 704868 छात्र और 556925 छात्राएं शामिल हुई हैं। इन परीक्षाओं में लड़कियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि मैट्रिक की परीक्षा में छात्राओं की भागीदारी 49 प्रतिशत और इंटर में 44 प्रतिशत रही जो दर्शाता है कि आधी आबादी अपनी आधी हिस्सेदारी प्राप्त करने जा रही है। शिक्षा मंत्री ने प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र को और बेहतर बनाने में सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुये कहा कि प्रत्येक बसावट क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराने के लिए बीते वर्षों में करीब 21253 नये प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में मुख्यमंत्री पोशाक योजना एवं मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के लिए 608.85 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया है। इसमें प्रथम किस्त के रूप में 422 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। साथ ही सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देने के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत और आवंटित की गई है।

श्री चौधरी ने कहा कि वर्ग एक से आठ तक के बच्चों के लिए आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली लागू की गई है। इसके तहत बिना किसी भय के ग्रेडिंग प्रणाली के आधार पर विद्यालय में मासिक, अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा ली जाएगी। इससे बच्चों के शैक्षणिक स्तर का मूल्यांकन हो सकेगा। इस प्रणाली की केंद्र सरकार ने भी सराहना की है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पूर्णिया जिले के 100 विद्यालयों में किचेन गार्डेन विकसित किया जा रहा है, जिसका लाभ विद्यालय आने वाले बच्चों को मिलेगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने नवीन पहल करते हुये माध्यमिक विद्यालय विहीन क्षेत्रों में 4500 उच्च माध्यमिक विद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पांचवें चरण में शिक्षकों की शीघ्र नियुक्ति करना सरकार की प्राथमिकता है।



श्री चौधरी ने राज्य में उच्च शिक्षा के विकास का उल्लेख करते हुये कहा कि पूर्णिया, नालंदा और मुंगेर में तीन नये विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में व्याख्याताओं की शीघ्र नियुक्ति के लिए राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन प्रखंडों में डिग्री कॉलेज नहीं है वहां के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराने के लिए नालंदा ओपेन विश्वविद्यालय के माध्यम से ओपेन डिस्टेंस लर्निंग मोड के तहत लर्निंग सेंटर शुरू किये गये हैं।  शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा के साथ ही सामाजिक सुधार एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए सरकार प्रयत्नशील है। साक्षरता अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं, महिलाओं एवं आम लोगों की भागीदारी के माध्यम से शिक्षा विभाग ने नशामुक्ति के समर्थन में जोरदार अभियान चलाया है। इस अभियान में बच्चों ने अपने अभिभावकों एवं परिवार के पुरुष सदस्यों को नशा से दूर रहने के लिए प्रेरित किया। पिछले वर्ष बच्चों की प्रेरणा से इसके लिए एक करोड़ 17 लाख अभिभावकों ने शपथ पत्र दिया।

इस बीच शिक्षा मंत्री के जवाब से अंसतुष्ट होकर मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी सदन से बहिर्गमन कर गई। इसके बाद वित्त वर्ष 2017-18 के लिए शिक्षा विभाग के 252 अरब 51 करोड़ 38 लाख 80 हजार रुपये की बजट मांग को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

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