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आठ फरवरी से खुलेंगे निजी एवं सरकारी प्रारंभिक विद्यालय

 सुपौल। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले करीब 10 माह से बंद प्रारंभिक विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए 8 फरवरी से स्कूल खुल जाएंगे। इसको लेकर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने सभी जिलाधिकारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी को को भी गाइडलाइन का पालन करते हुए इन कक्षाओं के लिए पठन-पाठन शुरू करने को को कहा है। जारी आदेश के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों के प्रधान को स्कूल खुलने से पूर्व की तैयारी पूरी कर लेने का निर्देश जारी किया है। इससे पहले सरकार ने कक्षा 9 से 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूलों को खोल दिया है।

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मास्क में रहेंगे छात्र और शिक्षक

प्रारंभिक विद्यालयों को खोलने के लिए सरकार ने जो गाइडलाइन जारी किए हैं उनके मुताबिक 8 फरवरी से सरकारी और निजी विद्यालय के कक्षा 6 से 8 वीं कक्षा में छात्रों की कुल क्षमता की 50 प्रतिशत उपस्थिति प्रथम दिन रहेगी तथा शेष 50 प्रतिशत उपस्थिति दूसरे दिन रहेगी। इस प्रकार किसी भी कार्य दिवस पर किसी भी कक्षा में कुल क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति नहीं होगी जबकि शिक्षक पूर्ण क्षमता के साथ उपस्थित होंगे। इसके अलावा इन कक्षाओं के बच्चों को दो मास्क जीविका के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे। सभी विद्यार्थी एवं विद्यालय के कर्मी जो कार्य पर आएंगे उन्हें नियमित रूप से मास्क पहनने का निर्देश दिया गया है। विशेषकर उस समय जब यह वर्ग कक्ष में होंगे या समूह में कोई कार्य कर रहे हो तो शिक्षकों को मास्क पहनना आवश्यक होगा। इसके अलावा विद्यार्थियों को परस्पर एक-दूसरे का मास्क अदला-बदली नहीं करने का निर्देश दिया जाएगा। विद्यालय पहुंचने वाले बच्चों को घर से ही पका-पकाया खाना लाने का निर्देश देने के अलावा साफ-सफाई के स्थल पर साबुन एवं साफ पानी की उपलब्धता होने चाहिए। शौचालय की नियमित अंतराल पर सफाई पर बल दिया गया है।

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शिक्षा समिति करेगी साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित

स्कूल खोलने से पूर्व तैयारी को लेकर जो गाइडलाइन जारी किए गए हैं उसके मुताबिक विद्यालय में साफ-सफाई की सुविधा, डिजिटल थर्मामीटर, सैनिटाइजर, साबुन आदि की व्यवस्था विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से किया जाना है। विद्यालय के परिवहन व्यवस्था किए जाने से पूर्व संबंधित विद्यालय द्वारा सैनिटाइजेशन सुनिश्चित किया जाना है। फिलहाल विद्यालय को वैसे आयोजन से बचना होगा जहां भौतिक और सामाजिक दूरी का पालन संभव नहीं हो पाता हो। 

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