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प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी पत्र जारी नहीं कर रहा विभाग, शिक्षक भूख हड़ताल पर

एजुकेशन रिपोर्टर | मुजफ्फरपुर

हेडमास्टर प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद भी विभाग शिक्षकों को प्रोन्नति पत्र नहीं दे रहा है। विभागीय अधिकारियों की इस मनमानी के खिलाफ आक्रोशित शिक्षक सोमवार से स्थापना कार्यालय में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए। इस दौरान शिक्षकों ने डीपीअो स्थापना और शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर
नारेबाजी की। शिक्षकों का कहना है कि अधिकारियों की शिथिलता के कारण ही हेडमास्टरों का प्रमोशन 8 माह से अटका हुआ है। मार्च 2018 में शिक्षा विभाग के विशेष सचिव ने पत्र निर्गत कर डीपीओ स्थापना को हेडमास्टर प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। मई 2018 में डीपीओ ने शिक्षकों से आवेदन पत्र प्राप्त किया था। इसके बाद मेधा सूची जारी करते हुए अगस्त में काउंसेलिंग का पत्र निर्गत करते हुए काउंसेलिंग कराई गई। लेकिन कुछ प्रखंडों में काउंसेलिंग होने के बाद तत्कालीन डीपीओ स्थापना ने काउंसेलिंग प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया। शिक्षकों के काफी संघर्ष के बाद काउंसेलिंग प्रक्रिया पूरी हुई। लेकिन, इसके बाद से प्रमोशन को बाधित रखा गया है। शिक्षकों की मानें तो करीब 200 शिक्षकों का प्रमोशन होना है। सभी की प्रक्रिया पूरी हो गई है। सिर्फ प्रोन्नति पत्र निर्गत करना बाकी है। शिक्षकों ने कहा कि जब तक प्रोन्नति पत्र निर्गत नहीं किया जाएगा, यह अनशन जारी रहेगा। स्थापना कार्यालय में तालाबंदी भी की जाएगी।

काउंसेलिंग पूरी होने के बाद भी बाधित की गई प्रक्रिया, इसलिए शिक्षकाें में गुस्सा

डीपीओ स्थापना कार्यालय में अनशन पर बैठे शिक्षक।

60 वर्ष के बाद भी शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय में आदेशपाल कार्यरत

एजुकेशन रिपोर्टर | मुजफ्फरपुर

रिटायरमेंट की आयु सीमा पार हाेने के बाद भी 8 वर्षों से आदेशपाल के पद पर कार्यरत होने के मामले में डीईओ की संलिप्तता का अारोप लगाते हुए आरडीडीई से शिकायत की गई है। शिकायतकर्ता पारू के रहने वाले रंजीत कुमार ने बताया कि शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय पोखरैरा के तत्कालीन प्रधानाध्यापक ने 19 जुलाई 1984 को महेश्वर सिंह को आदेशपाल के पद पर नियुक्त किया था। वर्ष 2017 में आरटीआई के जवाब में पाया गया कि आदेशपाल की जन्म तिथि 1 जनवरी 1951 है। जिसके आधार पर उसका 60 वर्ष 2011 में ही पूरा हो गया है। इसके बाद भी इन्हें नियमित रूप से भुगतान भी किया जा रहा है। शिकायत के बाद डीपीओ स्थापना ने अपने कार्यालय में मामले की सुनवाई की और आरोप काे सत्य पाया। इसके बाद कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए डीईओ को पत्र भेज दिया गया। जिसके बाद डीईओ से रंजीत कुमार से कहा कि क्यों उसके पीछे पड़े है, कुछ लेन-देन करके मामला मैनेज कर लीजिए। 

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