मुजफ्फरपुर |वित्तरहित को समय पर अनुदान देने को लेकर होने वाली बैठक टल
जाने पर विधान पार्षद डॉ. संजय कुमार सिंह ने सरकार को घेरते हुए कहा कि
विवि की शिक्षा व्यवस्था वित्तरहित के कंधे पर है। लेकिन, सरकार संवेदनशील
नहीं है।
उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में बकाए अनुदान और घाटानुदान को लेकर विधान मंडल में उनके ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सरकार ने सदन को आश्वस्त किया था कि सत्र समाप्ति के बाद इस पर चर्चा होगी। जुलाई से नवंबर माह बीतने को है लेकिन बैठक नहीं हुई। 30 नवंबर को फिर ध्यानाकर्षण के माध्यम से इस मामले को उठाने की बात देख सोमवार को बैठक बुलाई गई थी। यह बैठक भी टल गई। बताया गया है कि 27 नवंबर को होगी। उन्होंने कहा कि इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठता है। विधान मंडल किसी प्रदेश में सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्था है। ऐसे में डिप्टी सीएम के अाश्वासन पर कार्रवाई नहीं होना सदन को गुमराह करना है। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत इंटर छात्र, 50 से 60 प्रतिशत मैट्रिक और स्नातक छात्रों की शिक्षा-व्यवस्था फिलहाल वित्तरहित के कंधे पर है। बावजूद इसके इन संस्थानों के शिक्षकों को समय पर अनुदान नहीं मिल रहा है। 2011 से डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षकों को अनुदान नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में बकाए अनुदान और घाटानुदान को लेकर विधान मंडल में उनके ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सरकार ने सदन को आश्वस्त किया था कि सत्र समाप्ति के बाद इस पर चर्चा होगी। जुलाई से नवंबर माह बीतने को है लेकिन बैठक नहीं हुई। 30 नवंबर को फिर ध्यानाकर्षण के माध्यम से इस मामले को उठाने की बात देख सोमवार को बैठक बुलाई गई थी। यह बैठक भी टल गई। बताया गया है कि 27 नवंबर को होगी। उन्होंने कहा कि इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठता है। विधान मंडल किसी प्रदेश में सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्था है। ऐसे में डिप्टी सीएम के अाश्वासन पर कार्रवाई नहीं होना सदन को गुमराह करना है। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत इंटर छात्र, 50 से 60 प्रतिशत मैट्रिक और स्नातक छात्रों की शिक्षा-व्यवस्था फिलहाल वित्तरहित के कंधे पर है। बावजूद इसके इन संस्थानों के शिक्षकों को समय पर अनुदान नहीं मिल रहा है। 2011 से डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षकों को अनुदान नहीं मिला है।