ठाकुरगंज : जिले में वर्ष 2017 के शुरुआती दिनों में नियमित शिक्षकों
को दी गयी प्रोन्नति विवादों के घेरे में आ गयी है. इन नियमित शिक्षकों को
टीजीटी पद पर प्रोन्नति दी गयी थी. विवाद प्रोन्नति प्राप्त शिक्षकों के
पदस्थापना में आवंटित विद्यालयों को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया. इन
शिक्षकों में से कई शिक्षकों को वैसे उत्क्रमित मध्य विद्यालयों में
पदस्थापित किया गया,जो 2011-12 या इसके बाद के वर्षों में प्राथमिक
विद्यालय से उत्क्रमित मध्य विद्यालय के रूप में परिणत किये गए थे.
जबकि इन विद्यालयों में नियमित शिक्षकों के टी जी टी पदों को वित्त व
शिक्षा विभाग, बिहार द्वारा अब तक स्वीकृति नहीं मिली है. इस मामले में
जिला अध्यक्ष,बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ,किशनगंज शाहजाद अनवर
राजा ने बताया की इन विद्यालयों में नियमित शिक्षकों के टी जी टी पदों को
वित्त व शिक्षा विभाग, बिहार द्वारा अब तक स्वीकृति नहीं मिली है,
इसके बावजूद इन विद्यालयों में नियमित शिक्षकों को प्रोन्नति देकर
पदस्थापित कर दिया गया. उनके अनुसार उत्क्रमित मध्य विद्यालयों में इन पदों
की स्वीकृति से सम्बंधित पत्र 78/c सचिव, प्रारम्भिक व वयस्क शिक्षा
विभाग, बिहार दिनांक 28/02/2004 के बाद अब तक नये सिरे से कोई पत्र निर्गत
ही नहीं हुआ है. जिला अध्यक्ष ने बताया की इन मुद्दों को उठाते हुए
इन्होंने दिनांक 05/06/2017 को लिखित शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी,
किशनगंज को सौंपा, जिस पर आज तक कार्रवाई लंबित है.
इसी क्रम में उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत कई बिंदुओं पर
सूचना की मांग जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, किशनगंज से दिनांक
20/06/2017 को किया. लेकिन सूचना न मिलने पर प्रथम अपील जिला शिक्षा
पदाधिकारी, के समक्ष दिनांक 29/06/2017 को किया. प्रथम अपील के बावजूद कोई
सूचना न मिलने पर राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील दिनांक
07/08/2017 को की गई है, जिस पर कार्यवाही आरम्भ होना है. उनके अनुसार
पदस्थापना में प्रोन्नति नियमावली को भी नजरअंदाज किया गया. नियमावली के
अनुसार प्रोन्नति प्राप्त शिक्षकों को जिले के सभी प्रखंडो में समान अनुपात
में पदस्थापित किया जाना था,
लेकिन पदस्थापना में घोर अनियमितता बरती गयी है जिस कारण शिक्षकों को
अपने इच्छा के अनुसार विद्यालय चयन की छूट मिल गयी. शाहजाद अनवर के अनुसार
वर्ष 2011-12 या इसके बाद स्वीकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालयों में नियोजित
शिक्षकों को हीं प्रोन्नति देकर टी जी टी पदों पर पदस्थापित किया जाना
है,जिसका उल्लेख नियोजित शिक्षकों के संशोधित नियमावली 2012 व 2014 में है.
किन्तु नियोजित शिक्षकों के साथ क्षल कर उनके लिए आवंटित पदों पर नियमित
शिक्षकों को उनके प्रोन्नति उपरांत पदस्थापित कर दिया गया . इस धोखाधड़ी के
कारण हीं स्नातक ग्रेड में नियोजन हेतु इस जिले में पर्याप्त रिक्ति जारी
नहीं हो सकी.
नतीजतन इस जिले के स्नातक प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को स्नातक ग्रेड
पदों पर नियोजन के लिए अन्य जिलों की ओर मजबूरन प्रस्थान करना पड़ा है.
उन्होंने जिला शिक्षा विभाग के इस कारनामे पर आक्रोश जताते हुए कहा कि
शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े इस जिले के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों व
अभ्यर्थियों के विरुद्ध रचे गए इस साजिश का निगरानी विभाग से जांच यथाशीघ्र
होना आवश्यक है ताकि इस जिले के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के मामलें
में बिहार सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति को लागू करवाया जा सके.