पटना : राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब लोटा पार्टी या किसी को
खुले में शौच करते देखे तो वे सीटी तो बजायेंगे ही, उनकी फोटो भी खीचेंगे.
सरकार ने खुले में शौच से मुक्त अभियान में जागरूकता फैलाने के लिए अब
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लगाया है. इसके लिए मुजफ्फरपुर के कुढ़नी के
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और औरंगाबाद के देव प्रखंड के बीडीओ ने आदेश जारी
कर दिया है. कई अन्य जिलों में भी सीटी बजाकर लोगों को जागरुक करने की
जिम्मेदारी भी गयी है.
शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने इसकी पुष्टि की है और कहा है
कि शिक्षक बुद्धिजीवी होते हैं और उन्हें खुले में शौच को लेकर निगरानी की
जिम्मेदारी दी गयी है. मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के बीईओ ने प्रारंभिक
स्कूलों के शिक्षकों की 39 टीमें गठित की है. सभी टीमों की अलग-अलग ड्यूटी
लगायी गयी है. यहां शिक्षकों को सुबह छह से सात और शाम पांच से छह बजे तक
निगरानी के काम में लगाया गया है.
शिक्षक इस समय अपने-अपने पंचायतों में घूमेंगे और ग्रामीणों व बच्चों
के अभिभावकों को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए जागरूक करेंगे. साथ ही
निगरानी के काम की फोटो खींच कर भी पोस्ट करेंगे. वहीं, औरंगाबाद के देव
प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्रारंभिक के साथ-साथ हाई स्कूलों के
शिक्षकों को भी खुले में शौच की निगरानी का आदेश दिया है. शिक्षक सुबह पांच
बजे और शाम चार बजे इसकी निगरानी करेंगे.
प्रधानाध्यापकों को जहां शौचालय निगरानी का पर्यवेक्षक बनाया गया है,
वहीं शिक्षकों को वार्ड स्तरीय सदस्य बनाया गया है. प्रधानाध्यापक व शिक्षक
शौचालय की राशि आवंटन, उसके भौतिक सत्यापन और निर्माण का निरीक्षण भी
करेंगे. शिक्षकों को 31 दिसंबर से पहले देव प्रखंड को खुले में शौच से
मुक्त करने का लक्ष्य दिया गया है.
प्रताड़ित करने की साजिश संघ ने सीएम को लिखा पत्र
माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षकों को खुले में शौच की निगरानी की
जिम्मेदारी दिये जाने के फैसले को तुगलकी फैसला बताया है. संघ ने
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर इस फैसले को वापस लेने की भी मांग
की है. संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षकों को
प्रताड़ित करने की साजिश चल रही है. खुले में शौच की निगरानी करना शिक्षकों
के लिए अपमानजनक काम है.
स्वच्छता एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है और यह हमारा भी पहला लक्ष्य है.
हर लोगों को सहयोग करना चाहिए और अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए.
शिक्षक बुद्धिजीवी माने जाते हैं, इसलिए खुले में शौच को लेकर उन्हें
निगरानी की जिम्मेदारी दी गयी है. इस काम से शिक्षकों के मुख्य काम
प्रभावित नहीं होंगे. खुले में शौच की निगरानी का काम पढ़ाई शुरू होने से
पहले और पढ़ाई खत्म होने बाद में किया जायेगा.
कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, शिक्षा मंत्री