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जहाँ शिक्षक थप्पड़ खाते हैं...(मत बदनाम करो तुम शिक्षक को----श्रृंखला)

बिहार के दरभंगा जिले के एक ग्राम का प्राथमिक विद्यालय I विद्यालय का सही नाम मैं जान-बूझकर नहीं लिख रहा I संस्कृत शिक्षक वचनु मिश्र (परिवर्तित नाम) की क्लास I पठन-पाठन जारी I एक छात्र का मन वर्ग में नहीं लग रहा था और उसे शरारतें सूझ रही थीं I
शिक्षक ने एक-दो बार नजरअंदाज किया पर उस छात्र की अनुशासनहीनता चरम सीमा पर थी I सर ने उसे एक छड़ी लगा दी I छात्र गुस्से में तमतमाते हुए अपना बैग उठाकर अपने घर विदा हुआ I आधे घंटे बाद उस छात्र के पिता, चाचा समेत कुल पाँच लोग विद्यालय प्रांगण में दाखिल हुए और मिश्रजी के पास पहुँचे I बिना कुछ कहे उन्होंने मिश्रजी के गले में गमछा बाँधा और उन्हें खींचते हुए विद्यालय के मैदान में ले गए I लात-घूँसों की झड़ी लग गई और मिश्रजी की आवाज विद्यालय को गुंजाती रही और कुछ शब्द भी—‘मेरे बेटे पर हाथ उठाता है ! एक मामूली मास्टर होकर तेरी ये हिम्मत ! औकात में रहा कर नहीं तो तेरी .....में गरम सलाखें घुसेड़ देंगे I साले, मादर......!’ और भी बहुत कुछ I अस्तु ! उस दिन के बाद मिश्रजी ने छात्रों पर छड़ी-प्रयोग बंद ही कर दिया I कुछ दिनों बाद मिश्रजी ने उस विद्यालय से स्थानान्तरण ले लिया और दूसरे विद्यालय चले गए I कुछ वर्षों बाद सेवानिवृत्त भी हो गए I अब कभी-कभी मिल जाते हैं I और वह छात्र अब किसी गलत धंधे में लगकर अपना जीवन-यापन कर रहा है I सच ही है कक्षाओं में सियार की बोली बोलनेवाले छात्र आजीवन सियार की तरह ही भूंकते-भटकते चलते हैं I आदर्श विद्यार्थी फूलों की सेज पर नहीं पलता, बल्कि कठिनाईयों के व्यूह से निकलकर अपना मार्ग बनाता है I

हो सकता है यह आपकी नजर में एक छोटी घटना हो I पर वास्तव में यह शिक्षा-शिक्षण प्रणाली के पतन की कब्र खोदती है I आजकल ऐसी घटनाएं आम हो गईं है I शिक्षक पहले से ही अर्थाभाव से पीड़ित हैं, उनका महत्व इतना कम कर दिया गया है कि उच्च पदों पर कुंडली मारकर बैठे अधिकारी और मंत्री उन्हें निकृष्ट समझते हैं, उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जा रही और उस पर छात्रों-अभिभावकों द्वारा शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार I फिर भी जनता और सरकार की उन शिक्षकों से आदर्श अध्यापक बनने की आशा हास्यास्पद प्रतीत होती है I निष्कर्ष यह है कि शिक्षा-व्यवस्था की कब्र सरकारी नीतियाँ ही नहीं खोद रहीं बल्कि आम जन का शिक्षकों के प्रति तिरस्कारपूर्ण नजरिया भी इसके लिए जिम्मेवार है I

शिक्षक जहाँ थे पूज्य कभी, होता था जहाँ अपार सम्मान I
नित्य ही होता है वहाँ, अब तो उनका अपमान II
यदि उनका अपमान बंद कर सम्मान न किया जाएगा I
कब्र खुदेगी शिक्षा की, भविष्य निशामय हो जाएगा II

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