सुशासन बाबू की एक और घोषणा : बिना किताबों के तथा 6-7 महीनों तक शिक्षकों का वेतन बाधित कर गुणवत्ता आ पायेगी !
जबतक सरकार शिक्षकों की समस्याओं की उपेक्षा करती रहेगी ...उन्हे मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखेगी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मुश्किल है ।
लम्बे समय से शिक्षकों की #Swsp और राज्यकर्मी के दर्जे की माँग रही है लेकिन यह सम्वेदनहीन सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नही है ।एक ही विद्यालय मे पदस्थापित शिक्षक को 50-60 मिलते है ।दूसरी ओर नियोजित शिक्षकों को 13-20 हजार तक ।
यह सरासर अन्याय है ।शिक्षको का वेतन 6-7 महीनों तक लम्बित रखा जाता है जिससे उन्हे वेतन के लिये धरना-प्रदर्शन तथा अधिकारियों का घेराव करना पड़ता है ।
इस विभाग मे कहने को तो वेतनमान दे दिया गया लेकिन सरकार अभी भी उन्हे अपना कर्मचारी नही मानती है ।ये कौन सा वेतनमान है पता नही चलता ।कुछ लोग चाइनीज कहते है ।शायद ठीक ही कहते है ।
जिसकी कोई गरान्टि वरान्टि नही होती शायद वैसी ही है ।
इस विभाग मे कुछ की सेवा 14 साल तक हो गई है लेकिन सेवाशर्त तक नही दी गई ।घोषणा मंत्री द्वारा 2-3 साल से केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है ।बीरबल की खीचरी है जो शायद ही पकती हो !लगता है राज्य सरकार ने इसे पंचवर्षीय योजना की तरह चुनावी एजेंडे मे शामिल कर लिया है ।जहाँ विधायकों के वेतन, भत्ते बढ़ाने की बारी आती है ये लोग बिना किसी से पूछे ध्वनि मत से पारित कर देते है तथा पेपर के किसी कोने मे छोटे अक्षरो मे समाचार प्रकाशित की जाती है जिसपर किसी का शायद ही ध्यान जाता हो ।दूसरी तरफ़ शिक्षकों के वेतन बढ़ोत्तरी की बात आती है तो आम जनता से राय लेकर बढ़ोत्तरी की बात कही जाती थी ।वेतन मिलने या बढ़ने की बातों को सभी समाचार-पत्रों की हेडलाइन हो जाया करती है ।
जबतक राष्ट्र निर्माता शिक्षकों का शोषण और अपमान होता रहेगा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बातें करना बेमानी है ।
जबतक सरकार शिक्षकों की समस्याओं की उपेक्षा करती रहेगी ...उन्हे मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखेगी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मुश्किल है ।
लम्बे समय से शिक्षकों की #Swsp और राज्यकर्मी के दर्जे की माँग रही है लेकिन यह सम्वेदनहीन सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नही है ।एक ही विद्यालय मे पदस्थापित शिक्षक को 50-60 मिलते है ।दूसरी ओर नियोजित शिक्षकों को 13-20 हजार तक ।
यह सरासर अन्याय है ।शिक्षको का वेतन 6-7 महीनों तक लम्बित रखा जाता है जिससे उन्हे वेतन के लिये धरना-प्रदर्शन तथा अधिकारियों का घेराव करना पड़ता है ।
इस विभाग मे कहने को तो वेतनमान दे दिया गया लेकिन सरकार अभी भी उन्हे अपना कर्मचारी नही मानती है ।ये कौन सा वेतनमान है पता नही चलता ।कुछ लोग चाइनीज कहते है ।शायद ठीक ही कहते है ।
जिसकी कोई गरान्टि वरान्टि नही होती शायद वैसी ही है ।
इस विभाग मे कुछ की सेवा 14 साल तक हो गई है लेकिन सेवाशर्त तक नही दी गई ।घोषणा मंत्री द्वारा 2-3 साल से केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है ।बीरबल की खीचरी है जो शायद ही पकती हो !लगता है राज्य सरकार ने इसे पंचवर्षीय योजना की तरह चुनावी एजेंडे मे शामिल कर लिया है ।जहाँ विधायकों के वेतन, भत्ते बढ़ाने की बारी आती है ये लोग बिना किसी से पूछे ध्वनि मत से पारित कर देते है तथा पेपर के किसी कोने मे छोटे अक्षरो मे समाचार प्रकाशित की जाती है जिसपर किसी का शायद ही ध्यान जाता हो ।दूसरी तरफ़ शिक्षकों के वेतन बढ़ोत्तरी की बात आती है तो आम जनता से राय लेकर बढ़ोत्तरी की बात कही जाती थी ।वेतन मिलने या बढ़ने की बातों को सभी समाचार-पत्रों की हेडलाइन हो जाया करती है ।
जबतक राष्ट्र निर्माता शिक्षकों का शोषण और अपमान होता रहेगा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बातें करना बेमानी है ।