अगले माह लागू होगी नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्त

राज्य में नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्त नियमावली जुलाई में लागू हो जाएगी। माह के अंत तक शिक्षक संघों से भी सेवाशर्त पर शिक्षा विभाग राय लेना शुरू कर देगा। 12 जून को सेवाशर्त कमेटी की बैठक में तय किया गया था कि तबादला और अन्य सुविधा दी जाए।
सेवाशर्त नियमावली लागू होने के बाद नियोजित शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति मिलेगी। जिला स्तर पर नियोजन इकाई फाइनल होने की स्थिति में नियोजित शिक्षकों को अपने जिले में तबादले का मौका मिलेगा। अभी राज्य में पंचायत से लेकर जिला परिषद स्तर तक 21 प्रकार की नियोजन इकाइयां हैं। वित्त विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में सेवाशर्त के लिए कमेटी बनाई गई थी।

पहले नियोजित शिक्षकों की बहाली के लिए बनी नियमावली में पूरे सेवाकाल में एक बार अपने नियोजन इकाई के अंदर किसी स्कूल में तबादले का प्रावधान था। नई सेवाशर्त नियमावली लागू होने पर सेवाकाल में अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह ही एसीपी और प्रोन्नति का लाभ मिलेगा। सेवाशर्त निर्धारण में सेवा निरंतरता, ऐच्छिक स्थानांतरण, सेवाकालीन प्रशिक्षण, प्रोन्नति का अवसर एवं अनुशासनात्मक मुद्दों पर गाइडलाइन भी फाइनल हो जाएगा।

प्रधानाध्यापक के 24 हजार पद रिक्त

अभीराज्य में करीब 24 हजार स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद रिक्त हैं। नई सेवाशर्त नियमावली लागू होने से इन पदों पर नियोजित शिक्षकों को भी प्रोन्नति का लाभ मिल सकेगा। राज्य में 42701 प्राथमिक स्कूल, 30176 मध्य विद्यालय और माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालय 5391 हैं। राज्य में अभी 3.50 लाख नियोजित शिक्षक हैं। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष ही नियोजित शिक्षकों को वेतनमान का लाभ दिया है। इससे अब इन्हें सरकार के अन्य राज्यकर्मियों की तरह लाभ मिलने की संभावना है। हालांकि, अभी के प्रावधानों से नियोजित शिक्षकों को नियोजन इकाई पंचायत, प्रखंड, जिला परिषद आदि होने से कई समस्याएं रही हैं। जिला या राज्य स्तर पर नियोजन इकाई तय होने की स्थिति में शिक्षकों की कई समस्याओं का समाधान स्वत: हो जाएगा। सेवाशर्त तैयार करने के लिए वित्त विभाग के प्रधान सचिव अध्यक्षता वाली कमेटी की पहली बैठक 7 अक्टूबर और दूसरी बैठक 27 अक्टूबर को हुई थी।

पटना|राज्य केसभी वित्तरहित माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी 21 जून को बिहार बोर्ड का घेराव करेंगे। बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के बैनर तले वे प्रदर्शन करेंगे। परीक्षा समिति के अध्यक्ष द्वारा 715 वित्त अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों की जांच कराने के आदेश के खिलाफ शिक्षक प्रदर्शन करेंगे। संघ का कहना है कि यह न्यायोचित नहीं है। राज्य सरकार एवं समिति द्वारा सभी विद्यालय को 2012 में निर्देश दिया गया था कि पुरानी समिति को भंग करते समय शासी निकाय एवं प्रबंध समिति का गठन कर परीक्षा समिति को अनुमोदन के लिए 2 महीने के अंदर भेजा जाए। लेकिन, पांच साल बीत जाने के बाद भी विद्यालय द्वारा गठित कमेटी का अनुमोदन परीक्षा समिति द्वारा नहीं किया गया। 2009 से 2012-13 तक लंबित अनुदान राशि राज्य सरकार से स्वीकृति के बाद भी शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों का अनुदान नहीं दिया गया। 

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