सहरसा। जिले में चार वर्षों के दौरान करीब आठ सौ शिक्षकों के नियोजन से
संबंधित प्रमाणपत्र अब तक जमा नहीं हो पाया है। जिस कारण जांच कार्य
प्रभावित हो रहा है। निगरानी विभाग द्वारा बार-बार नोटिस जारी करने के बाद
भी नियोजन समिति ने शिक्षकों के प्रमाणपत्र विभाग के पास जमा नहीं हो पाया
है।
जिले में नियोजित शिक्षकों की संख्या 6841 है। जिसमें से करीब छह हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्र निगरानी कोषांग में जमा हो पाए हैं। प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच निगरानी विभाग कर रही है। ऐसे ही एक मामले में निगरानी विभाग ने एक शिक्षक के विरूद्ध फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी लेने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। निगरानी विभाग द्वारा प्रमाणपत्र जमा करने के निर्देश के बाद भी शिक्षकों के प्रमाण पत्र जमा नहीं होने से अब विभाग को यह लगने लगा है कि प्रमाण पत्र जमा नहीं होने के पीछे माजरा क्या है ? कहीं ऐसे शिक्षकों का नेटवर्क फर्जी प्रमाण पत्र से तो नहीं जुड़ा हुआ है।
जिले में मेधा सूची के आधार पर नियोजित होनेवाले शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच का निर्देश हाई कोर्ट ने मई 2015 को निगरानी विभाग को दिया था। इसी निर्देश पर निगरानी विभाग ने हर जिले में निगरानी कोषांग खोलकर शिक्षकों के कागजात प्रमाण पत्रों की जांच पड़ताल शुरू की गयी। निगरानी कोषांग में करीब छह हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच की। लेकिन करीब 800 शिक्षकों के प्रमाण पत्र अब तक नदारद ही है। जिस कारण निगरानी की जांच अब तक पूरी नहीं हो पायी है। चार वर्ष बीतने को है लेकिन अब तक शिक्षक नियोजन समिति इस दिशा में मौन है।
93 शिक्षकों ने दिया था त्यागपत्र
हाई कोर्ट ने अपने निर्देश में यह भी कहा था कि जो शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे है तो वे अपनी स्वेच्छा से इस्तीफा दे दें तो उनके विरूद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी। लेकिन अगर जांच में उनका प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया तो उनके विरूद्ध जालसाजी करने का मुकदमा किया जाएगा। साथ ही नौकरी अवधि में लिए गए रूपये ब्याज समेत वसूल किया जाएगा। इस निर्देश के बाद सहरसा जिले के विभिन्न प्रखंडों से 93 नियोजित शिक्षकों ने स्वेच्छा से त्याग पत्र दे दिया था।-
कोट
कई बार भेजा गया स्मार
नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र जमा करने के लिए कई बार नियोजन समिति को स्मार पत्र भेजा गया है। जिसकी जांच निगरानी विभाग कर रही है।
दिनेश चन्द्र देव, जिला शिक्षा पदाधिकारी
जिले में नियोजित शिक्षकों की संख्या 6841 है। जिसमें से करीब छह हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्र निगरानी कोषांग में जमा हो पाए हैं। प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच निगरानी विभाग कर रही है। ऐसे ही एक मामले में निगरानी विभाग ने एक शिक्षक के विरूद्ध फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी लेने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। निगरानी विभाग द्वारा प्रमाणपत्र जमा करने के निर्देश के बाद भी शिक्षकों के प्रमाण पत्र जमा नहीं होने से अब विभाग को यह लगने लगा है कि प्रमाण पत्र जमा नहीं होने के पीछे माजरा क्या है ? कहीं ऐसे शिक्षकों का नेटवर्क फर्जी प्रमाण पत्र से तो नहीं जुड़ा हुआ है।
जिले में मेधा सूची के आधार पर नियोजित होनेवाले शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच का निर्देश हाई कोर्ट ने मई 2015 को निगरानी विभाग को दिया था। इसी निर्देश पर निगरानी विभाग ने हर जिले में निगरानी कोषांग खोलकर शिक्षकों के कागजात प्रमाण पत्रों की जांच पड़ताल शुरू की गयी। निगरानी कोषांग में करीब छह हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच की। लेकिन करीब 800 शिक्षकों के प्रमाण पत्र अब तक नदारद ही है। जिस कारण निगरानी की जांच अब तक पूरी नहीं हो पायी है। चार वर्ष बीतने को है लेकिन अब तक शिक्षक नियोजन समिति इस दिशा में मौन है।
93 शिक्षकों ने दिया था त्यागपत्र
हाई कोर्ट ने अपने निर्देश में यह भी कहा था कि जो शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे है तो वे अपनी स्वेच्छा से इस्तीफा दे दें तो उनके विरूद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी। लेकिन अगर जांच में उनका प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया तो उनके विरूद्ध जालसाजी करने का मुकदमा किया जाएगा। साथ ही नौकरी अवधि में लिए गए रूपये ब्याज समेत वसूल किया जाएगा। इस निर्देश के बाद सहरसा जिले के विभिन्न प्रखंडों से 93 नियोजित शिक्षकों ने स्वेच्छा से त्याग पत्र दे दिया था।-
कोट
कई बार भेजा गया स्मार
नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र जमा करने के लिए कई बार नियोजन समिति को स्मार पत्र भेजा गया है। जिसकी जांच निगरानी विभाग कर रही है।
दिनेश चन्द्र देव, जिला शिक्षा पदाधिकारी