पूर्णिया। सात साल से एक सेवानिवृत्त शिक्षक अपने पेंशन व भविष्य निधि
के लिए अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रहे हैं लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला कोई
नहीं है। जबकि विधान परिषद सभापति द्वारा गठित समिति भी विभाग को उन्हें
पेंशन आदि भुगतान का निर्देश दे चुकी है। सेवानिवृत्त शिक्षक महाराजजी हाता
निवासी सच्चिदानन्द झा की कहानी शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर
रहा है।
सच्चिदानन्द झा मध्य विद्यालय हरभंगा, बनमनखी से 30 सितम्बर 2011 को सेवानिवृत्त हुए। उसके बाद से आज तक उनका ना ही पेंशन निर्धारित किया गया है, ना ही भविष्य निधि की राशि निर्गत की गई है और न ही लंबित वेतन का भुगतान किया गया है। मामला तत्कालीन विधान परिषद सभापति के पास भी पहुंचा। उन्होंने इसकी जांच के लिए समिति गठित की। समिति ने मामले की सुनवाई कर उक्त शिक्षक के बकाए वेतन और भविष्य निधि की निकासी का निर्देश दिया है। विभागीय अधिकारियों ने भी माना है कि शिक्षक को बकाए राशि का भुगतान होना चाहिए।
उक्त शिक्षक का सेवानिवृत्ति से पहले भी तीन साल से वेतन लंबित है। इस संबंध में उन्होंने बताया कि मध्य विद्यालय हरभंगा, बनमनखी पदास्थापना के दौरान प्रधानाध्यापक के प्रभार में थे। उनकी अनुपस्थिति में बिना मजिस्ट्रेट के ही विद्यालय का ताला तोड़कर सभी कागजात निकला गया था। इस संबंध में उनके द्वारा लिखित शिकायत भी दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पदभार नहीं दिए जाने के बाद सहायक शिक्षक एवं बीईओ की मिलीगत से सरकारी राशि को खर्च कर दिया गया जो वित्तीय अनियमितता है लेकिन दोष उनके मत्थे मढ़ा जा रहा है। इस दौरान उनके कागजात भी गायब कर दिए गए।
सच्चिदानन्द झा मध्य विद्यालय हरभंगा, बनमनखी से 30 सितम्बर 2011 को सेवानिवृत्त हुए। उसके बाद से आज तक उनका ना ही पेंशन निर्धारित किया गया है, ना ही भविष्य निधि की राशि निर्गत की गई है और न ही लंबित वेतन का भुगतान किया गया है। मामला तत्कालीन विधान परिषद सभापति के पास भी पहुंचा। उन्होंने इसकी जांच के लिए समिति गठित की। समिति ने मामले की सुनवाई कर उक्त शिक्षक के बकाए वेतन और भविष्य निधि की निकासी का निर्देश दिया है। विभागीय अधिकारियों ने भी माना है कि शिक्षक को बकाए राशि का भुगतान होना चाहिए।
उक्त शिक्षक का सेवानिवृत्ति से पहले भी तीन साल से वेतन लंबित है। इस संबंध में उन्होंने बताया कि मध्य विद्यालय हरभंगा, बनमनखी पदास्थापना के दौरान प्रधानाध्यापक के प्रभार में थे। उनकी अनुपस्थिति में बिना मजिस्ट्रेट के ही विद्यालय का ताला तोड़कर सभी कागजात निकला गया था। इस संबंध में उनके द्वारा लिखित शिकायत भी दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पदभार नहीं दिए जाने के बाद सहायक शिक्षक एवं बीईओ की मिलीगत से सरकारी राशि को खर्च कर दिया गया जो वित्तीय अनियमितता है लेकिन दोष उनके मत्थे मढ़ा जा रहा है। इस दौरान उनके कागजात भी गायब कर दिए गए।